23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में जन्मा एक बालक, जिसने बचपन से ही असाधारण साहस और नेतृत्व का परिचय दिया, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे चमकता सितारा बना। नेताजी सुभाष चंद्र बोस—एक ऐसा व्यक्तित्व, जो न केवल अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ आवाज़ बनकर उभरा, बल्कि आजाद हिंद फौज की स्थापना कर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी। उनका जीवन एक प्रेरणादायक गाथा है, जहां हर कदम पर साहस, संघर्ष और बलिदान की कहानी लिखी गई।
लेकिन उनके जीवन जितना प्रेरणादायक था, उनकी मृत्यु उतनी ही रहस्यमयी। एक ऐसा व्यक्ति जिसने "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा" का नारा देकर करोड़ों दिलों में जोश भर दिया, उसकी मौत का रहस्य आज भी अनसुलझा है। विमान दुर्घटना, षड्यंत्र, या कोई गहरी साजिश? उनकी मृत्यु के पीछे की सच्चाई क्या है, यह सवाल आज भी इतिहास के पन्नों में गूंजता है। नेताजी केवल एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं, बल्कि एक रहस्य बन चुके हैं, जो हर भारतीय के दिल में अमर हैं।
नेताजी की मौत: एक अनसुलझा रहस्य-
नेताजी का जीवन जितना प्रेरणादायक रहा, उनकी मृत्यु उतनी ही रहस्यमयी। चाहे उनकी व्यक्तिगत जिंदगी हो या अंग्रेजों के खिलाफ उनकी अद्वितीय लड़ाई, उनके जीवन के हर पहलू से अनगिनत कहानियां जुड़ी हैं। परंतु, उनकी मौत आज भी इतिहास के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है।
क्या कहती हैं सरकारी रिपोर्ट्स?
सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत 18 अगस्त 1945 को एक विमान दुर्घटना में हुई थी। यह बताया गया कि वह मंचूरिया की ओर जा रहे थे, लेकिन उनका विमान रास्ते में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि, विमान का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला, जिससे यह सवाल उठता है कि यह महज दुर्घटना थी या कोई सुनियोजित साजिश।
जापान ने क्यों बदला अपना बयान?
विमान दुर्घटना की खबर सबसे पहले 23 अगस्त 1945 को एक जापानी संस्था द्वारा दी गई थी। इसमें दावा किया गया था कि नेताजी का विमान ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हुआ और इसी में उनकी मौत हो गई। लेकिन, कुछ समय बाद जापान सरकार ने इस बात का खंडन किया और कहा कि उस दिन ताइवान में कोई विमान दुर्घटना हुई ही नहीं थी। इस बयान ने नेताजी की मृत्यु को लेकर संदेह और गहरा दिया।
नेताजी के परिवार पर निगरानी-
नेताजी के परिवार की गुप्त जासूसी का रहस्य 2015 में खुला, जब इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की दो फाइलें सार्वजनिक की गईं। इन फाइलों से पता चला कि नेताजी के परिवार पर दो दशकों तक नजर रखी गई। ऐसा माना गया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने नेताजी के परिवार की गतिविधियों पर इसलिए नजर रखवाई ताकि अगर नेताजी उनसे संपर्क करें तो सरकार को इसकी जानकारी मिल सके।
क्या आजादी के बाद भी जीवित थे नेताजी?
कई समर्थकों का मानना है कि नेताजी 1945 में विमान दुर्घटना के बाद भी जीवित थे और भारत की आजादी के समय कहीं छिपे हुए थे। हालांकि, इस बात के कोई पुख्ता सबूत अब तक सामने नहीं आए हैं।
सरकार द्वारा जारी फाइलें और नए सवाल-
नेताजी की मृत्यु से जुड़े रहस्यों को सुलझाने के लिए सरकार ने 37 गोपनीय फाइलें सार्वजनिक कीं। लेकिन, इन फाइलों में भी कोई ऐसा ठोस सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित हो सके कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई थी।
नेताजी की मौत: इतिहास का अनसुलझा अध्याय-
सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु का रहस्य आज भी अनसुलझा है। इतने वर्षों बाद भी यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि उनकी मौत हत्या थी, दुर्घटना थी, या फिर यह किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा। उनकी कहानी रहस्य और प्रेरणा का ऐसा मिश्रण है जो इतिहासकारों और देशवासियों को सदैव विचलित करता रहेगा।