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पेपर लीक रोकने के लिए बना सख्त कानून, दोषी पाए जाने पर होगी 10 साल की सजा

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देश में युवाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी है लेकिन आजकल छात्र इससे भी बड़ी चुनौती, पेपर लीक की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इस साल सरकार शुचितापूर्ण परिक्षाओं को संपन्न कराने की कोशिश करती रह गई दूसरी एक के बाद एक  लगातार परीक्षाओं के पेपर लीक के मामले सामने आते रहे। इसका नतीजा यह हुआ कि करोड़ों अभ्यर्थियों का भविष्य में अटका हुआ है। लेकिन अब पेपर लीक जैसे अपराधों से निपटने के लिए सरकार ने बीते कल यानी 21 जून को आधी रात में देश में एंटी पेपर लीक कानून (Centre notifies Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act, 2024 लागू कर दिया है। इस कानून से पेपर लीक जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।

इसी साल राष्ट्रपति से मिली थी मंजूरी-

साल 2024 अभ्यर्थियों के लिहाज से बहुत अच्छा नहीं रहा है क्योंकि इस साल  फरवरी में यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ, फिर यूपी आरओ एआरओ भर्ती, उसके बाद नीट यूजी और यूजीसी नेट। देशभर में नीट पेपर लीक और यूजीसी नेट पेपर लीक पर बहस छिड़ी हुई है। हर तरफ इसी की चर्चा हो रही है। इसी बीच सरकार ने एंटी पेपर लीक कानून लागू कर दिया है। इसी साल 6 फरवरी को लोकसभा में और 9 फरवरी को राज्यसभा में पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को बिल को मंजूरी देकर इसे कानून में बदल दिया था।

नकल रोकने से संबंधित नहीं था कोई कानून 

भर्ती परीक्षाओं में नकल और अन्य गड़बड़ियां रोकने और उनसे निपटने के लिए अब तक केद्र सरकार और जांच एजेंसियों के पास कोई ठोस कानून नहीं था। इसी कारण अक्सर पेपर लीक की घटनाएं होती रहती हैं। हाल ही में नीट परीक्षा को लेकर विवाद चल रहा है और यूजीसी नेट परीक्षा को आयोजित होने के एक दिन बाद ही रद्द कर दिया गया। इसके बाद, कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने 21 जून की रात इस कानून की अधिसूचना जारी की। देश में चल रहे नीट यूजी विवाद के बाद इस कानून को लागू किया गया है। आइए विस्तार से जानते हैं यह कानून क्या है? और किन परीक्षाओं पर लागू होता है? 

पेपर लीक के दोषी को 10 साल की सजा

NEET और UGC-NET जैसी परीक्षाओं में गड़बड़ियों के बीच यह कानून लाने का फैसला सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है। इस कानून के लागू होने के बाद अब पेपर लीक करने का दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की कैद से लेकर 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा  इस कानून के तहत, पेपर लीक करने या आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर कम से कम 3 साल जेल की सजा होगी। इसे 10 लाख तक के जुर्माने के साथ 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रावधानों के अनुसार कारावास की अतिरिक्त सजा दी जाएगी।

वरिष्ठ अधिकारियों को भी हो सकती है 10 साल की सजा

यदि अपराध किसी निदेशक, वरिष्ठ प्रबंधन या सेवा प्रदाता फर्म के प्रभारी व्यक्तियों की सहमति या मिलीभगत से किया गया है, तो उन्हें तीन से 10 वर्षों की जेल और एक करोड़ रुपये जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।

इन परीक्षाओं पर लागू होगा ये कानून 

इस कानून में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB), बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (IBPS) और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की परीक्षाएं शामिल होंगी। केंद्र के सभी मंत्रालयों, विभागों की भर्ती परीक्षाएं भी इस कानून के दायरे में होंगी। इसके तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।

इन गलतियों पर नहीं मिलेगी कोई माफी-

लोक परीक्षा कानून 2024 में  कुछ एक्टिविटीज को हाईलाइट किया गया है जिनमें से किसी में भी शामिल होने पर जेल जाने या बैन होने तक की सजा मिल सकती है। इन स्थितियों में 3 से 10 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना भरने की सजा सुनाई जा सकती है।

  • परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र या Answer Key लीक करना।
  • किसी भी परीक्षा की आंसर-की या पेपर लीक करने में दूसरे लोगों के साथ शामिल होने पर।
  • बिना किसी विशेष या कानूनी अधिकार के प्रश्न पत्र या ओएमआर शीट देखने या अपने पास रखने पर।
  • परीक्षा के दौरान किसी भी अनधिकृत व्यक्ति द्वारा 1 या उससे ज्यादा सवालों के जवाब बताने पर।
  • परीक्षा में किसी भी कैंडिडेट की डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से जवाब लिखने में मदद करने पर।
  • आंसर शीट या ओएमआर शीट में गड़बड़ी करने पर।
  • बिना किसी अधिकार या बिना बोनाफाइड एरर के असेसमेंट में कोई हेरफेर करने की स्थिति में।
  • किसी भी परीक्षा के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानकों और नियमों की जानबूझकर अनदेखी या उल्लंघन करने पर।
  • किसी भी ऐसे डॉक्यूमेंट से छेड़छाड़ करने पर, जो कैंडिडेट की शॉर्टलिस्टिंग या उसकी मेरिट या रैंक निर्धारित करने के लिए जरूरी माना जाता है।
  • परीक्षा के संचालन में गड़बड़ी कराने की नीयत से जानबूझकर सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने पर।
  • कंप्यूटर नेटवर्क, कंप्यूटर रिसोर्स या किसी भी कंप्यूटर सिस्टम से छेड़खानी करने की स्थिति में।
  • एग्जाम में घपला करने की नीयत से उम्मीदवार के सीटिंग अरेंजमेंट, एग्जाम डेट या शिफ्ट के आवंटन में गड़बड़ी करने पर।
  • पब्लिक एग्जाम अथॉरिटी, सर्विस प्रोवाइडर या किसी भी सरकारी एजेंसी से संबंधित लोगों को धमकाने या किसी परीक्षा में व्यवधान उत्पन्न करने पर।
  • पैसे ऐंठने या धोखाधड़ी करने के लिए फर्जी वेबसाइट बनाने पर भी सजा का प्रावधान है।
  • फर्जी परीक्षा कराने, फर्जी एडमिट कार्ड या ऑफर लेटर जारी करने पर भी सजा हो सकती है।

सर्विस प्रोवाइडर पर हो सकता है 1 करोड़ रुपये

यदि कोई संस्था संगठित अपराध करने में शामिल है, तो उसकी संपत्ति कुर्की और जब्ती के अधीन होगी और परीक्षा की आनुपातिक लागत भी उससे वसूली जाएगी।  इसके अलावा परीक्षा संचालन के लिए नियुक्त सर्विस प्रोवाइडर अगर दोषी होता है तो उस पर 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना होगा। सर्विस प्रोवाइडर अवैध गतिविधियों में शामिल है, तो उससे परीक्षा की लागत वसूली जाएगी। साथ ही, सेवा प्रदाता को 4 साल की अवधि के लिए किसी भी सार्वजनिक परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी से भी रोका जा सकता है?

क्या है नीट पेपर लीक मामला ?

मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट इन दिनों विवादों में हैं। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा यह परीक्षा 05 मई को आयोजित की गई थी। लगभग 24 लाख अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। परीक्षा के आयोजन के दौरान से ही पेपर लीक होने के आरोप लगने लगे। विवाद ज्यादा तब बढ़ा, जब 4 जून को नीट यूजी रिजल्ट में रिकॉर्ड 67 उम्मीदवारों ने रैंक-1 हासिल की। नीट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि इतनी बड़ी संख्या में छात्रों ने पूरे सौ फीसदी नंबर हासिल किए हों।NEET में गड़बड़ी और री-एग्जाम की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अब तक 5 याचिकाएं दाखिल की गई हैं।

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