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आज (8 अप्रैल 2024) यानि सोमवार को साल 2024 की पहली सोमवती अमावस्या है। इस अवसर पर तमाम श्रद्धालु सुबह से ही प्रयागराज सहित तीर्थों एवं नदियों में स्नान कर दान पुण्य कर रहे हैं। भक्त अपने पूर्वजों के लिए दान-पुण्य एवं पूजा और अनुष्ठान कर रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं दूसरी तरफ साल का पहला सूर्य ग्रहण भी आज के ही दिन लग रहा है। यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण है, जो करीब 54 साल बाद लग रहा है। इससे पहले ऐसा सूर्य ग्रहण 1971 में दिखाई दिया था।
क्या होती है सोमवती अमावस्या ?
सोमवती अमावस्या पूर्वजों या पितरों की पूजा के लिए समर्पित है और इसलिए लोगों को ‘पितृ दोष’ से छुटकारा पाने के लिए इसका उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इस दिन, लोग गंगा में पवित्र स्नान के लिए जाते हैं और हवन और यज्ञ, दान, जानवरों को खाना खिलाना और मंत्रों का जाप जैसे अनुष्ठान करते हैं।
सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को कितने बजे होगा ? क्या सूर्य ग्रहण में सूतक काल मान्य होगा? और सूर्य ग्रहण व सोमवती अमावस्या के संयोग में कौन से उपाय आपको लाभ दे सकते हैं? जैसे तमाम विषयों पर आपको विस्तार से बताएंगे।
कितने बजे होगा सूर्य ग्रहण?
भारतीय समयानुसार, साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को रात 09 बजकर 12 मिनट से शुरू होगा और रात 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। इस सूर्य ग्रहण की अवधि 5 घंटे 10 मिनट होगी।
क्या मान्य होगा सूतक काल?
सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। सूतक काल में पूजा-पाठ की मनाही होती है। लेकिन सूतक काल केवल तभी मान्य होता है, जब सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान हो। चूंकि साल का पहला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा ,इसलिए इसका सूतक काल भी लागू नहीं होगा।
कहां-कहां होगा सूर्य ग्रहण ?
8 अप्रैल को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। यह सूर्य ग्रहण पश्चिमी यूरोप, पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक, मेक्सिको, उत्तरी अमेरिका (अलास्का को छोड़कर), कनाडा, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों में, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र और आयरलैंड में ही दिखेगा।
सोमवती अमावस्या का संबंध पितरों की कृपा पाने के लिए विशेष माना गया है। इस दिन पितरों की शांति के लिए कुछ विशेष उपाय किए जाने चाहिए..
कैसे करें उपाय?
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार पितरों के आर्शीवाद और राहु की शांति के लिए चावल, दूध और चीनी की खीर बनाएं। मिट्टी के बर्तन में खीर दक्षिण दिशा की ओर रखें. 'ॐ पितृभ्य: नम:' मंत्र का जाप करें। फिर दक्षिण की ओर ही मुंह करके प्रार्थना करें। खीर को किसी निर्धन व्यक्ति को दान कर दें. पितरों का आशीर्वाद मिलेगा और राहु की समस्या दूर होगी। इसके अलावा, मंत्र जाप, सिद्धि साधना और दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति होती है।
क्या है सूर्य ग्रहण का धार्मिक इतिहास
सूर्य ग्रहण की धार्मिक मान्यता पुराणों के अनुसार पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण समुद्र मंथन के समय हुआ था। रामायण के अरण्य कांड में भी सूर्य ग्रहण की जानकारी मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान राम ने खर-दूषण का वध किया था। महाभारत काल में जिस दिन पांडव जुए में हारे थे, उस दिन भी सूर्य ग्रहण लगा था। महाभारत युद्ध के 14वें दिन सूर्य ग्रहण था। इसके अलावा, जब अर्जुन ने जयद्रथ का वध किया था और जब कृष्ण नगरी द्वारका डूबी थी,तब भी सूर्य ग्रहण था।
सूर्य ग्रहण में इन बातों का रखें ध्यान-
Baten UP Ki Desk
Published : 8 April, 2024, 1:58 pm
Author Info : Baten UP Ki