भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार यानी 6 फरवरी को ग्रीस के विदेश मंत्री जॉर्ज गेरापेट्राइटिस से दिल्ली के हैदराबाद हाउस में मुलाकात की। इस उच्चस्तरीय बैठक में व्यापार, शिपिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), निवेश और सांस्कृतिक आदान-प्रदान सहित विभिन्न विषयों पर व्यापक चर्चा हुई। बैठक के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “दिल्ली में ग्रीस के अपने मित्र विदेश मंत्री जॉर्ज गेरापेट्राइटिस से मिलकर खुशी हुई। हमने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया और द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए सकारात्मक चर्चा की।”
IMEC और भारत-भूमध्यसागरीय संबंधों पर गहन चर्चा
इस मुलाकात के दौरान भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) और भारत-भूमध्यसागरीय संबंधों के भविष्य पर चर्चा प्रमुख रही। जयशंकर ने इसे द्विपक्षीय संबंधों के अगले चरण का महत्वपूर्ण केंद्र बताया। IMEC के तहत सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच सड़कों, रेलमार्ग और शिपिंग नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा, ताकि एशिया, मध्य पूर्व और पश्चिम के बीच व्यापार और कनेक्टिविटी मजबूत हो सके।
IMEC क्या है ?
तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में उभरा है। यह न केवल भौगोलिक सीमाओं को जोड़ने का प्रयास है, बल्कि वैश्विक व्यापार, ऊर्जा और परिवहन के क्षेत्र में एक नई क्रांति की नींव भी रखता है। सितंबर 2023 में नई दिल्ली में हुए G20 शिखर सम्मेलन के दौरान इस ऐतिहासिक परियोजना पर हस्ताक्षर किए गए। भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, इटली, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने इसमें भागीदारी कर इसे विश्व अर्थव्यवस्था के लिए एक परिवर्तनकारी कदम बना दिया है।

IMEC: भारत के लिए विकास और अवसरों का नया मार्ग-
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) भारत के लिए केवल एक कनेक्टिविटी परियोजना नहीं, बल्कि समग्र आर्थिक विकास की नई राह है। यह पहल भारत के व्यापार, परिवहन और ढाँचागत विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का वादा करती है।
- हरित ऊर्जा निर्यात में नई संभावनाएं
IMEC के जरिए भारत ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया जैसे पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दे सकता है। इसके साथ ही भारत के इंजीनियरिंग सामानों की वैश्विक बाजारों में मांग को भी बल मिलेगा।
- रणनीतिक साझेदारियों का विस्तार
यह गलियारा भारत को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों के साथ जोड़ते हुए क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक सहयोग को मजबूत करेगा, जिससे भारत का वैश्विक महत्व और अधिक बढ़ेगा।
भारत के लिए क्योंं जरूरी हैं भूमध्यसागरीय संबंध?
- इतिहास से आधुनिक व्यापार तक का जुड़ाव
भूमध्य सागर क्षेत्र, जो इतिहास से लेकर आज तक वैश्विक वाणिज्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र रहा है, भारत के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। दक्षिणी यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के देशों के साथ भारत के संबंध गहरे ऐतिहासिक जुड़ाव के साथ आधुनिक व्यापार और सुरक्षा सहयोग तक विस्तारित हैं।

- आर्थिक और सामरिक साझेदारी
लगभग 80 बिलियन डॉलर के वार्षिक व्यापार और 460,000 प्रवासियों के साथ भारत की इस क्षेत्र में उपस्थिति मजबूत होती जा रही है। उर्वरक, ऊर्जा, जल प्रौद्योगिकी, रक्षा और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग की असीम संभावनाएं हैं, जो भारत और भूमध्यसागरीय देशों के बीच संबंधों को और सुदृढ़ कर रही हैं।
यूएनएससी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन
जयशंकर ने क्षेत्रीय सुरक्षा और राजनीतिक घटनाक्रमों पर ग्रीस के दृष्टिकोण की सराहना की। इसके साथ ही उन्होंने 2025-26 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अस्थायी सदस्यता के लिए ग्रीस को भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।
भारत-ग्रीस संबंधों में नई ऊर्जा
दोनों देशों के बीच इस महत्वपूर्ण बातचीत ने सहयोग के नए आयाम खोल दिए हैं। शिपिंग, तकनीक, निवेश और सांस्कृतिक जुड़ाव जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों के साथ भारत और ग्रीस के बहुपक्षीय संबंध और मजबूत होने की संभावना है।
By Ankit Verma