बड़ी खबरें

पहलगाम हमले के बाद भारत ने लिए पांच कड़े फैसले, सिंधु जल संधि स्थगित, पाक नागरिकों के वीजा रद्द, अटारी बॉर्डर बंद, उच्चायोग सलाहकार निष्कासित एक दिन पहले कश्मीर हमले पर वैश्विक समर्थन, पुतिन और ट्रम्प ने कहा- दोषियों को मिले सख्त सजा, इजराइल, रूस, अमेरिका समेत कई देशों ने जताई संवेदनाएं एक दिन पहले पहलगाम आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी का कानपुर दौरा रद्द, सभी मंत्रियों के कार्यक्रम निरस्त, प्रदेश में हाई अलर्ट और धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा बढ़ाई गई एक दिन पहले यूपी में भीषण गर्मी का कहर जारी, 37 जिलों में लू का अलर्ट, तापमान 45 डिग्री तक पहुंचने की संभावना, मौसम विभाग ने दी चेतावनी एक दिन पहले आतंकी हमले को लेकर सर्वदलीय बैठक शाम छह बजे, कांग्रेस की मांग- पीएम मोदी करें अध्यक्षता 21 घंटे पहले भारत की कार्रवाई से बौखलाया पाकिस्तान, कहा-पानी रोका तो यह कदम युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी 21 घंटे पहले MEA की चेतावनी: वीजा अवधि खत्म होने से पहले भारत छोड़ें पाकिस्तानी, 29 अप्रैल से मेडिकल वीजा भी मान्य नहीं 21 घंटे पहले राष्ट्रपति से मिले अमित शाह और जयशंकर, विदेश मंत्रालय में हुई कई देशों के राजदूतों की बैठक 20 घंटे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिले अमित शाह और जयशंकर, पहलगाम आतंकी हमले पर दिया अपडेट 20 घंटे पहले

चावल बन रहा है 'धीमा ज़हर'? 2050 तक करोड़ों को कैंसर का खतरा, आई चौंकाने वाली रिपोर्ट!

Blog Image

आपके रोज़ के खाने की थाली में मौजूद चावल अब आपके स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता जा रहा है। द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में छपी एक ताज़ा रिसर्च ने चिंता की लहर दौड़ा दी है। इस रिसर्च के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के चलते चावल में आर्सेनिक का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जो वर्ष 2050 तक चीन, भारत, बांग्लादेश, वियतनाम, म्यांमार, फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे देशों में करोड़ों कैंसर मामलों का कारण बन सकता है।

क्या है रिसर्च में?

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लुईस जिस्का की अगुवाई में हुई इस रिसर्च में बताया गया है कि जैसे-जैसे धरती का तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे चावल में प्राकृतिक रूप से मौजूद आर्सेनिक की मात्रा भी बढ़ती जा रही है। यह वही आर्सेनिक है, जो कैंसर, लंग डिजीज और हार्ट डिजीज जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

कैसे पहुंचता है आर्सेनिक चावल तक?

दरअसल, आर्सेनिक पहले से ही मिट्टी, पानी और हवा में मौजूद होता है। धान की खेती के दौरान जब खेतों में लंबे समय तक पानी भरा रहता है, तो मिट्टी से आर्सेनिक निकलकर चावल के पौधों में समा जाता है। धीरे-धीरे यह हमारी डाइट का हिस्सा बन जाता है – और खतरा यहीं से शुरू होता है।

सबसे ज्यादा खतरा एशिया को

चावल एशिया की लगभग आधी आबादी का मुख्य भोजन है। अकेले चीन में 2050 तक 2 करोड़ लोग चावल में बढ़ते आर्सेनिक के चलते कैंसर से प्रभावित हो सकते हैं। भारत, बांग्लादेश और अन्य दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

क्या करें? चावल खाना बंद नहीं, बस तरीका बदलें

विशेषज्ञों का कहना है कि चावल पूरी तरह छोड़ने की जरूरत नहीं है, बल्कि उसे पकाने का तरीका बदलना ही काफी है।
➡️ चावल को अच्छी तरह धोएं
➡️ फिर करीब 5 मिनट उबालें और वह पानी फेंक दें
➡️ अब ताजा पानी डालकर दोबारा पकाएं

इस तरीके से सफेद चावल में आर्सेनिक का स्तर 70% तक और लाल चावल में 50% तक कम किया जा सकता है।

फोर्टिफाइड राइस है बेहतर विकल्प

सरकार द्वारा शुरू किए गए फोर्टिफाइड राइस प्रोग्राम की भी इस समस्या में बड़ी भूमिका हो सकती है। इसमें आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 जैसे ज़रूरी पोषक तत्व मिलाए जाते हैं। यह चावल पोषण की कमी को दूर करने के साथ-साथ आर्सेनिक के असर को भी कुछ हद तक कम कर सकता है।

बासमती और अफ्रीकी चावल हैं ज़्यादा सुरक्षित

अच्छी खबर ये है कि बासमती चावल और अफ्रीका में उगने वाले कुछ खास किस्म के चावल में आर्सेनिक का स्तर बहुत कम पाया गया है। ये विकल्प ज़्यादा सुरक्षित माने जा सकते हैं। चावल हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन बदलते पर्यावरण में अब इसे सावधानी से खाना जरूरी हो गया है। सही जानकारी, सही विकल्प और सही कुकिंग मेथड से हम अपने स्वास्थ्य को बचा सकते हैं। क्योंकि जो चीज़ हर दिन खाई जाती है, वो ज़हर नहीं, पोषण देनी चाहिए।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें