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आपके रोज़ के खाने की थाली में मौजूद चावल अब आपके स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता जा रहा है। द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में छपी एक ताज़ा रिसर्च ने चिंता की लहर दौड़ा दी है। इस रिसर्च के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के चलते चावल में आर्सेनिक का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जो वर्ष 2050 तक चीन, भारत, बांग्लादेश, वियतनाम, म्यांमार, फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे देशों में करोड़ों कैंसर मामलों का कारण बन सकता है।
क्या है रिसर्च में?
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लुईस जिस्का की अगुवाई में हुई इस रिसर्च में बताया गया है कि जैसे-जैसे धरती का तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे चावल में प्राकृतिक रूप से मौजूद आर्सेनिक की मात्रा भी बढ़ती जा रही है। यह वही आर्सेनिक है, जो कैंसर, लंग डिजीज और हार्ट डिजीज जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
कैसे पहुंचता है आर्सेनिक चावल तक?
दरअसल, आर्सेनिक पहले से ही मिट्टी, पानी और हवा में मौजूद होता है। धान की खेती के दौरान जब खेतों में लंबे समय तक पानी भरा रहता है, तो मिट्टी से आर्सेनिक निकलकर चावल के पौधों में समा जाता है। धीरे-धीरे यह हमारी डाइट का हिस्सा बन जाता है – और खतरा यहीं से शुरू होता है।
सबसे ज्यादा खतरा एशिया को
चावल एशिया की लगभग आधी आबादी का मुख्य भोजन है। अकेले चीन में 2050 तक 2 करोड़ लोग चावल में बढ़ते आर्सेनिक के चलते कैंसर से प्रभावित हो सकते हैं। भारत, बांग्लादेश और अन्य दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
क्या करें? चावल खाना बंद नहीं, बस तरीका बदलें
विशेषज्ञों का कहना है कि चावल पूरी तरह छोड़ने की जरूरत नहीं है, बल्कि उसे पकाने का तरीका बदलना ही काफी है।
➡️ चावल को अच्छी तरह धोएं
➡️ फिर करीब 5 मिनट उबालें और वह पानी फेंक दें
➡️ अब ताजा पानी डालकर दोबारा पकाएं
इस तरीके से सफेद चावल में आर्सेनिक का स्तर 70% तक और लाल चावल में 50% तक कम किया जा सकता है।
फोर्टिफाइड राइस है बेहतर विकल्प
सरकार द्वारा शुरू किए गए फोर्टिफाइड राइस प्रोग्राम की भी इस समस्या में बड़ी भूमिका हो सकती है। इसमें आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 जैसे ज़रूरी पोषक तत्व मिलाए जाते हैं। यह चावल पोषण की कमी को दूर करने के साथ-साथ आर्सेनिक के असर को भी कुछ हद तक कम कर सकता है।
बासमती और अफ्रीकी चावल हैं ज़्यादा सुरक्षित
अच्छी खबर ये है कि बासमती चावल और अफ्रीका में उगने वाले कुछ खास किस्म के चावल में आर्सेनिक का स्तर बहुत कम पाया गया है। ये विकल्प ज़्यादा सुरक्षित माने जा सकते हैं। चावल हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन बदलते पर्यावरण में अब इसे सावधानी से खाना जरूरी हो गया है। सही जानकारी, सही विकल्प और सही कुकिंग मेथड से हम अपने स्वास्थ्य को बचा सकते हैं। क्योंकि जो चीज़ हर दिन खाई जाती है, वो ज़हर नहीं, पोषण देनी चाहिए।
Baten UP Ki Desk
Published : 24 April, 2025, 1:53 pm
Author Info : Baten UP Ki