मणिपुर में महीनों से धधक रही जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता ने आखिरकार बड़ा मोड़ ले लिया है। 9 फरवरी को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था, और इसके बाद आज यानी गुरूवार को केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। 3 मई 2023 से भड़की हिंसा ने 300 से अधिक जिंदगियां लील ली हैं, और हालात अब भी सामान्य नहीं हो पाए हैं। विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर था, और बढ़ते दबाव के बीच यह फैसला लिया गया। अब सवाल यह है-क्या राष्ट्रपति शासन मणिपुर में शांति बहाल कर पाएगा, या यह सिर्फ एक और राजनीतिक कदम साबित होगा?
ITLF की मांग-अलग प्रशासन
कूकी समुदाय की संस्था ITLF (इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम) के प्रवक्ता गिन्जा वूलजोंग का कहना है कि बीरेन सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव में हार के डर से इस्तीफा दिया। हाल ही में उनके एक ऑडियो टेप के लीक होने पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया, जिससे बीजेपी के लिए भी उन्हें बचाना मुश्किल हो गया था।
ITLF ने साफ कहा— "बीरेन सिंह रहें या न रहें, हमारी मांग अलग प्रशासन की है। मैतेई समुदाय ने हमें अलग कर दिया है, अब हम पीछे नहीं हट सकते। बहुत खून बह चुका है। हमारा समाधान केवल एक राजनीतिक हल में है।"
राहुल गांधी की तीखी प्रतिक्रिया, पीएम से मणिपुर जाने की अपील
एन बीरेन सिंह के इस्तीफे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हिंसा और जान-माल के नुकसान के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीरेन सिंह को बचाने की कोशिश की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की जांच, कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव और जनता के दबाव के चलते आखिरकार उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
राहुल गांधी ने X (ट्विटर) पर लिखा—
"अब सबसे जरूरी बात यह है कि मणिपुर में शांति बहाल की जाए। प्रधानमंत्री को तुरंत मणिपुर जाकर वहां के लोगों से मिलना चाहिए और बताना चाहिए कि हालात सामान्य करने के लिए उनकी क्या योजना है।"
सीएम बीरेन सिंह की माफी— "मुझे माफ कर दीजिए"
दिसंबर 2024 में बीरेन सिंह ने मणिपुर हिंसा को लेकर दुख जताया और राज्य की जनता से माफी मांगी। उन्होंने कहा—
"पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा। कई लोगों ने अपनों को खोया, कई घरों से बेघर हुए। मैं इस स्थिति के लिए क्षमा चाहता हूं।"
उन्होंने यह भी बताया कि मई 2023 से अक्टूबर 2023 तक 408, नवंबर 2023 से अप्रैल 2024 तक 345 और मई 2024 से अब तक 112 हिंसक घटनाएं दर्ज की गईं। हालांकि, बीते कुछ हफ्तों से राज्य में शांति बनी हुई है, सरकारी दफ्तर और स्कूल फिर से सुचारू रूप से चल रहे हैं।
लीक ऑडियो टेप— हिंसा भड़काने के आरोप
3 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा पर सुनवाई की। कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (KOHUR) ने कोर्ट में याचिका दायर कर कुछ ऑडियो क्लिप्स की जांच की मांग की। दावा किया गया कि इन टेप्स में सीएम बीरेन सिंह कथित तौर पर मैतेई समुदाय को हिंसा भड़काने की अनुमति देने और उन्हें बचाने की बात कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा— "ये टेप बहुत गंभीर हैं।"
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार को चेतावनी दी और CFSL (सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब) से 6 हफ्ते के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए।
क्या आगे होगा शांति का समाधान?
मणिपुर में 21 महीने से जारी जातीय संघर्ष को लेकर अब सवाल यह है कि क्या राष्ट्रपति शासन के बाद हालात सुधरेंगे? कूकी समुदाय की मांगें जस की तस बनी हुई हैं, जबकि विपक्ष सरकार पर लगातार दबाव बनाए हुए है। ऐसे में अब सभी की निगाहें केंद्र सरकार की अगली रणनीति पर टिकी हैं