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भारत की योजना अपने देश में लागू करने वाले ये राष्ट्रपति, जिन्होंने टिकटॉक पर किया था प्रचार, तानाशाह के हैं दामाद...

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भारत ने इस वर्ष के गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो का नाम घोषित किया है। 26 जनवरी को जब वह कर्तव्य पथ पर भारतीय सेना के अद्वितीय साहस और शक्ति को देखेंगे, तो यह एक सामान्य आगंतुक के लिए नहीं, बल्कि एक अनुभवी सैन्य अधिकारी के लिए एक अनोखा अनुभव होगा। उनका सैन्य पृष्ठभूमि और राजनीतिक यात्रा उन्हें एक विशिष्ट दृष्टिकोण प्रदान करती है। दिलचस्प यह है कि भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था, और अब यह चौथी बार है, जब भारतीय गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया का नेतृत्व करने वाला राष्ट्रपति हमारे देश की ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा बनेगा।

प्रबोवो सुबियांतो: एक सैन्य पृष्ठभूमि और विवादों से भरा जीवन-

प्रबोवो सुबियांतो का जन्म 1951 में एक शक्तिशाली परिवार में हुआ था। उनके पिता, सुमित्रो जोजोहादिकुसुमो, इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो और बाद में राष्ट्रपति सुहर्तो की सरकार में मंत्री रहे थे। सुबियांतो का बचपन और युवावस्था इंडोनेशिया से बाहर, यूरोप में बीता। उन्होंने फ्रेंच, जर्मन, अंग्रेजी और डच जैसी भाषाओं में दक्षता हासिल की।

सेना में सेवा और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप-

1970 में सुबियांतो इंडोनेशिया की मिलिट्री एकेडमी में शामिल हुए और 1974 में ग्रेजुएशन के बाद उन्हें स्पेशल फोर्सेज में भर्ती किया गया। 1980 और 1990 के दशक में पूर्वी तिमोर में उनके नेतृत्व में कई मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं सामने आईं। इन घटनाओं के कारण अमेरिका ने 2000 में उनके खिलाफ प्रतिबंध लागू कर दिया था, जो 2020 तक जारी रहा।

तानाशाह सुहर्तो के दामाद: एक शक्तिशाली परिवार से जुड़ा हुआ-

सुबियांतो का सैन्य करियर काफी प्रभावशाली था, और एक कारण यह था कि वे इंडोनेशिया के तानाशाह सुहर्तो के दामाद थे। 1983 में उनकी शादी सुहर्तो की बेटी तितिएक सुहर्तो से हुई। हालांकि, 1998 में सुहर्तो के सत्ता से हटने के बाद उनका इस रिश्ते से भी अलगाव हो गया। इस दौरान, उन्होंने लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की, जिसके कारण 1998 में उन्हें सेना से निकाल दिया गया।

राजनीति में कदम और राष्ट्रपति पद की यात्रा-

सुबियांतो ने 2008 में जॉर्डन से लौटने के बाद व्यापार और राजनीति में कदम रखा। उन्होंने पाम ऑयल और खनन व्यापार में अपनी छाप छोड़ी। 2009 में उन्होंने उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद 2014 और 2019 में उन्होंने राष्ट्रपति पद के चुनावों में भी भाग लिया, लेकिन इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो से हार गए। 2019 में, जब वह नतीजों से सहमत नहीं हुए, तो विदोदो ने उन्हें रक्षा मंत्री बनाने की पेशकश की, और इस तरह वह सरकार में शामिल हो गए।

टिकटॉक प्रचार से छवि का पुनर्निर्माण और राष्ट्रपति चुनाव की जीत-

सुबियांतो ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में अपनी छवि को नए सिरे से गढ़ने के लिए टिकटॉक का सहारा लिया। उन्हें 'क्यूट ग्रैंडपा' के रूप में प्रचारित किया गया और इस अनोखे तरीके से उन्होंने चुनाव में सफलता प्राप्त की। 14 फरवरी 2024 को चुनाव परिणामों के बाद, उन्हें राष्ट्रपति के रूप में घोषित किया गया, और 20 अक्टूबर 2024 को उन्होंने शपथ ली।

भारत के प्रति प्रबोवो सुबियांतो का समर्थन और नजरिया-

प्रबोवो सुबियांतो ने हमेशा भारत के विकास मॉडल को सराहा है। 2023 में, उन्होंने भारत से सीखने की बात की और कहा कि अब इंडोनेशिया को पश्चिमी देशों की ओर नहीं, बल्कि पूर्वी एशिया के देशों जैसे भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से प्रेरणा लेनी चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने ब्रिक्स गठबंधन में इंडोनेशिया को शामिल करने की संभावनाओं पर विचार किया, यह मानते हुए कि ब्रिक्स एक आर्थिक गठबंधन है, जो इंडोनेशिया के लिए लाभकारी हो सकता है।

पीएम मोदी से मुलाकात और कूटनीतिक संबंधों का सुधार-

राष्ट्रपति बनने के बाद, प्रबोवो सुबियांतो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की और भारत-इंडोनेशिया के सभ्यतागत रिश्तों और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। इसके अलावा, दोनों नेताओं की मुलाकात 2024 में रियो डी जेनेरो में होने वाले जी20 सम्मेलन के दौरान भी हुई।

भारत की योजनाओं का पालन-

भारत में बच्चों को मुफ्त में भोजन देने की योजना से प्रेरित होकर, प्रबोवो सुबियांतो ने इंडोनेशिया में 6 जनवरी 2024 को एक नई योजना शुरू की, जिसमें 5.7 लाख बच्चों को मुफ्त भोजन मुहैया कराया गया। इस योजना के लिए 4.4 अरब डॉलर का बजट मंजूर किया गया, और इसके पीछे प्रेरणा भारत के मिड-डे मील कार्यक्रम से मिली। सुबियांतो ने इस योजना को लागू करने से पहले भारतीय प्रतिनिधिमंडल को भेजा था, जिसने भारत के मिड-डे मील कार्यक्रम का अध्ययन किया था। इस अध्ययन के दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने योजना की गुणवत्ता, लॉजिस्टिक्स और बच्चों तक इसकी पहुंच पर विशेष ध्यान दिया।

भारतीय विचारधारा की झलक-

प्रबोवो सुबियांतो का जीवन एक दिलचस्प और विवादों से भरा हुआ है। एक सैन्य अधिकारी, व्यापारिक दिग्गज और अब राष्ट्रपति के तौर पर उनकी यात्रा बेहद प्रेरणादायक रही है। भारत के प्रति उनके रुख में हमेशा एक सकारात्मक दृष्टिकोण देखने को मिला है, और उनकी योजनाओं में भारतीय विचारधारा की झलक साफ दिखाई देती है।

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