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भारत में जनसंख्या वृद्धि की थमी रफ्तार! इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा...

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भारत की जनसंख्या को लेकर एक बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। ऑफिस ऑफ रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा हाल ही में जारी की गई 'सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) स्टैटिस्टिक्स रिपोर्ट 2021' के अनुसार, देश का टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) अब 2.0 पर चुका है -और ये लगातार दूसरे साल भी स्थिर बना हुआ है। TFR यानी टोटल फर्टिलिटी रेट, वह औसत संख्या है जो बताती है कि एक महिला अपने जीवनकाल में औसतन कितने बच्चों को जन्म देती है। यह दर सीधे तौर पर देश की जनसंख्या पर असर डालती है।

रिपोर्ट के अहम आंकड़े:

  • TFR 2.0जो कि 2.1 के रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे है। इसका मतलब है कि भारत की जनसंख्या धीरे-धीरे स्थिर होने की ओर बढ़ रही है।

  • बिहार में TFR सबसे ज्यादा 3.0, जबकि दिल्ली और पश्चिम बंगाल में सिर्फ 1.4

  • सिक्किम में TFR 1.0 से भी कम, जो जनसंख्या घटने का संकेत देता है।

देशभर में असमानता:

SRS रिपोर्ट से यह भी साफ होता है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में TFR के आंकड़े काफी अलग हैं।

  • उत्तर भारत के राज्य जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश अब भी ज्यादा बच्चों को जन्म देने वाले राज्यों में शामिल हैं।

  • जबकि दक्षिण भारत के राज्य जैसे केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक में जन्म दर काफी नीचे चुकी है।

महिलाओं की शिक्षा और फैमिली प्लानिंग की भूमिका:

विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण भारतीय और कुछ उत्तर भारतीय राज्यों में महिला शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और परिवार नियोजन पर बेहतर काम हुआ है, जिसके चलते TFR में गिरावट आई है। वहीं, जिन राज्यों में TFR अब भी ज्यादा है, वहां अब भी महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और सशक्तिकरण पर अधिक काम करने की जरूरत है।

कम TFR वाले राज्यों की नई चुनौतियां:

जहां कुछ राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में सफलता पाई है, वहीं अब वे नई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं।

  • सिक्किम जैसे राज्यों में लोग अब बच्चे चाहते ही नहीं हैं।

  • करियर प्रेशर, लाइफस्टाइल बदलाव और जिम्मेदारियों के चलते युवा परिवार से दूरी बना रहे हैं।

  • भविष्य में इन राज्यों में बुजुर्गों की देखभाल, वर्कफोर्स की कमी और आर्थिक असंतुलन एक बड़ी समस्या बन सकती है।

जन्म दर में भी गिरावट:

इस रिपोर्ट में Crude Birth Rate (CBR) यानी प्रति 1,000 लोगों पर जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या भी बताई गई है, जो 2021 में घटकर 19.3 हो गई। दिल्ली, केरल, तमिलनाडु जैसे राज्यों में CBR में गिरावट काफी तेज है, जबकि उत्तराखंड इकलौता राज्य है जहाँ CBR में मामूली बढ़त दर्ज हुई है।

क्या हैआगे की राह?

एक तरफ भारत को उन राज्यों में महिलाओं की शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने की ज़रूरत है जहाँ TFR अधिक है।
वहीं, दूसरी तरफ, जिन राज्यों में TFR बहुत नीचे चला गया है, वहाँ परिवार और समाज के बदलते स्वरूप, और आर्थिक दबावों को समझकर, ऐसी नीतियाँ बनानी होंगी जो संतुलित जनसंख्या और स्वस्थ सामाजिक संरचना को बनाए रखें।

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