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चर्चा में क्यों है पीएम मोदी का यूक्रेन दौरा, क्या कह रहा है दुनिया का मीडिया

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सत्ता पर काबिज़ होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2024 तक, उन्होंने (6 महाद्वीपों पर) 52 विदेश यात्राएँ की हैं, जिनमें 59 देश शामिल हैं। पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे ने वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। विशेष रूप से, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ की गई गर्मजोशी से भरी मुलाकात और युद्ध पर दिए गए उनके बयान की दुनियाभर में चर्चा हो रही है। कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने इस दौरे पर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की हैं। आइए जानें, वैश्विक मीडिया ने पीएम मोदी के इस दौरे पर क्या कहा।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने क्या लिखा-

न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत की संतुलित विदेश नीति की सराहना की है। अखबार ने लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी सावधानीपूर्वक रूस और यूक्रेन दोनों के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में, वह मॉस्को दौरे पर गए थे और वहां राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी। रूस, भारत का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है। भारत ने जून में यूक्रेन में शांति समझौते में अपना प्रतिनिधि भेजा था, लेकिन एक अन्य शांति सम्मेलन में भाग नहीं लिया था।

बीबीसी ने क्या लिखा-

बीबीसी ने रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान को प्रमुखता से प्रकाशित किया है कि "युद्ध के हालात में भारत कभी तटस्थ नहीं रहा है, बल्कि शुरू से ही शांति का पक्षधर रहा है।" हालांकि, बीबीसी ने यह भी उल्लेख किया है कि भारत ने कभी भी रूस के यूक्रेन पर हमले की आलोचना नहीं की है। इसके बजाय, भारत रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हुए उसके तेल का सबसे बड़ा आयातक बनकर उभरा है।

द गार्जियन ने क्या लिखा-

द गार्जियन ने भी प्रधानमंत्री मोदी के यूक्रेन दौरे पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बयान को शीर्षक में लिया गया है, जिसमें जेलेंस्की ने पीएम मोदी के इस दौरे को ऐतिहासिक करार दिया है। जेलेंस्की ने सोशल मीडिया पर लिखा कि "आज इतिहास बना है। भारत के प्रधानमंत्री ने देश की स्वतंत्रता के बाद पहली बार यूक्रेन का दौरा किया। भारत ने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया है, जो कि बेहद महत्वपूर्ण है।"

सीएनएन ने क्या लिखा-

सीएनएन ने लिखा कि पीएम मोदी का यह दौरा उनके रूस दौरे के कुछ हफ्तों बाद ही हो रहा है। भारत युद्धविराम की अपील कर रहा है, लेकिन उसने अब तक रूस की आलोचना से दूरी बनाए रखी है। भारत रूस की अर्थव्यवस्था के लिए एक लाइफलाइन साबित हो रहा है और बड़ी मात्रा में तेल का आयात कर रहा है। रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान का भी जिक्र है, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी भी समस्या का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं हो सकता।

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