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भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने घोषणा की है कि ग्रेजुएशन डिग्री को 3-4 साल के बजाय सिर्फ 2-2.5 साल में भी पूरा किया जा सकेगा। यह कदम नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 के तहत लचीले और समावेशी शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
UGC चेयरमैन का ऐलान-
UGC के चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने IIT मद्रास के एक कार्यक्रम में जानकारी दी कि 2025-26 से एक फ्लेक्सिबल सिस्टम लागू करने की तैयारी चल रही है। इस नए नियम के तहत छात्रों को ग्रेजुएशन कोर्स की अवधि को घटाने या बढ़ाने का विकल्प मिलेगा। यह सुविधा उन छात्रों के लिए विशेष रूप से मददगार साबित होगी जो अपनी पढ़ाई तेजी से पूरी करना चाहते हैं या जिनके पास शिक्षा के लिए सीमित संसाधन हैं। वहीं, जिन छात्रों को पढ़ाई में अधिक समय चाहिए, वे 5 साल तक का समय ले सकेंगे।
क्या होगा फायदा?
UGC का मानना है कि यह कदम अधिक से अधिक छात्रों को उच्च शिक्षा से जोड़ने में मदद करेगा। इस नीति के लाभों को देखते हुए इसके लागू होने से कई सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है:
हर नई नीति के साथ कुछ चुनौतियाँ भी होती हैं। इस बदलाव से जुड़े कुछ संभावित नकारात्मक पहलू इस प्रकार हैं:
UGC के इस प्रस्ताव पर विशेषज्ञों और विभिन्न राज्यों की सरकारों की राय बंटी हुई है। पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों ने इस बदलाव पर सवाल उठाए हैं, जबकि तमिलनाडु ने अपनी अलग नीति बनाने का फैसला किया है।
क्या होगा आगे का रास्ता?
12-13 नवंबर को दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने NEP 2020 की प्रगति की समीक्षा की। इसमें इस नई पॉलिसी पर भी चर्चा की गई। हालांकि, UGC ने अभी तक इस प्रस्ताव को अंतिम रूप नहीं दिया है। UGC की इस योजना से शिक्षा प्रणाली अधिक लचीली और समावेशी बनने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। हालांकि, इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए छात्रों और शिक्षकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सही रणनीति बनानी होगी। अंतिम फैसला और इसके परिणाम का इंतजार सभी को है।
Baten UP Ki Desk
Published : 16 November, 2024, 2:17 pm
Author Info : Baten UP Ki