बड़ी खबरें

PM मोदी का घाना की संसद में संबोधन:बोले- यहां की धरती लोकतंत्र की भावना से भरी हुई, मेरा आना सौभाग्य की बात 11 घंटे पहले IND vs ENG दूसरा टेस्ट- शुभमन गिल ने लगाई डबल सेंचुरी 8 घंटे पहले IND vs ENG दूसरा टेस्ट: इंग्लैंड में बेस्ट स्कोर बनाने वाले शुभमन गिल पहले भारतीय बने 8 घंटे पहले

साइबर क्राइम की एक ऐसी अनोखी कहानी...एक महीने तक चला लाइव वीडियो कॉल का चक्रव्यूह!

Blog Image

मुंबई के एक पॉश इलाके से आई इस दिल दहला देने वाली घटना ने साइबर अपराधों की नई परिभाषा गढ़ दी है। 77 वर्षीय महिला को ठगों ने एक महीने तक "डिजिटल अरेस्ट" के नाम पर फंसाकर 3.8 करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया। यह मामला न केवल उनकी जीवनभर की मेहनत की कमाई छीनने का है, बल्कि डिजिटल ठगी के खतरनाक आयामों को उजागर करता है।

ठगी की पटकथा: एक व्हाट्सएप कॉल से हुई शुरुआत-

सब कुछ एक साधारण व्हाट्सएप कॉल से शुरू हुआ। कॉलर ने महिला को बताया कि उनके नाम से ताइवान भेजे गए एक पार्सल में आपत्तिजनक सामग्री-बैंक कार्ड, पासपोर्ट, कपड़े और ड्रग्स (एमडीएमए)—पाई गई है। यह सुनकर महिला घबरा गईं। उन्होंने जब इस दावे को नकारा, तो कॉलर ने आरोप लगाया कि उनका आधार कार्ड मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल हो रहा है।

फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग और पुलिस की धमकी-

कॉल करने वालों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए महिला को फर्जी नोटिस भेजा। इसमें क्राइम ब्रांच की मुहर और आधिकारिक प्रतीत होने वाले दस्तावेज़ थे। इसके बाद महिला को स्काइप पर जोड़ने का नाटक रचा गया।

फर्जी आईपीएस अधिकारी और "जांच" का नाटक-

स्काइप पर महिला की बातचीत दो "फर्जी" आईपीएस अधिकारियों से कराई गई। एक ने अपना नाम आनंद राणा और दूसरे ने जॉर्ज मैथ्यू बताया। इन "अधिकारियों" ने महिला को भरोसा दिलाया कि मामले की जांच के लिए उनके बैंक खातों की पूरी जानकारी चाहिए।

पैसे ट्रांसफर की चाल-

"आप निर्दोष साबित हो जाएंगी और आपका पैसा वापस मिल जाएगा," यह झूठा आश्वासन देकर महिला से 3.8 करोड़ रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवाए गए। ठगों ने महिला की चिंता और डर का फायदा उठाकर उन्हें पूरी तरह से अपने चंगुल में फंसा लिया।

डिजिटल अरेस्ट: 24x7 निगरानी का आतंक

महिला को दिन-रात वीडियो कॉल पर "डिजिटल कैद" में रखा गया। कॉल कटने पर उन्हें धमकाया जाता था। एक महीने तक ठगों ने महिला को इस कदर मानसिक दबाव में रखा कि वह न तो किसी से मदद मांग सकीं और न ही अपनी परेशानी साझा कर सकीं।

विदेश में बसे बच्चों से संपर्क टूटा

महिला के दोनों बच्चे विदेश में रहते हैं। जब इतने बड़े ट्रांजेक्शन के बावजूद पैसों की वापसी नहीं हुई, तो उन्होंने अपनी बेटी से संपर्क किया। बेटी की सलाह पर महिला ने तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस ने शुरू की कार्रवाई

महिला की शिकायत पर मुंबई पुलिस ने तेजी से कदम उठाए। ठगों के छह बैंक खातों को सीज कर दिया गया है। हालांकि आरोपी अभी तक फरार हैं, लेकिन उनकी तलाश जारी है।

साइबर अपराधों से कैसे बचें?

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डिजिटल युग में सतर्कता और जागरूकता बेहद ज़रूरी है।
कुछ ज़रूरी सावधानियां:

  1. अनजान कॉल्स पर भरोसा न करें: किसी भी संदिग्ध कॉल की सत्यता की पुष्टि करें।
  2. व्यक्तिगत और बैंकिंग जानकारी साझा न करें: इसे गोपनीय रखें और अजनबियों से बचाएं।
  3. हेल्पलाइन का सहारा लें: किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर तुरंत दें।
  4. आधिकारिक जानकारी की जांच करें: फर्जी दस्तावेज़ों और कॉल्स से बचने के लिए हर सूचना की सत्यता जांचें।

जागरूकता ही बचाव का सबसे मजबूत हथियार-

यह घटना डिजिटल ठगी के बढ़ते खतरे का एक और सबक है। महिला के साथ हुई इस चौंकाने वाली घटना ने दिखाया कि कैसे ठग न केवल तकनीकी जानकारी का इस्तेमाल करते हैं, बल्कि लोगों की भावनाओं और डर का फायदा उठाते हैं। सतर्क रहें, सुरक्षित रहें। केवल जागरूकता ही ऐसी घटनाओं से बचाव का सबसे मजबूत हथियार है।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें