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क्या आपके साथ भी ऐसा होता है? कभी दरवाज़ा छूते ही झटका लगता है? किसी से हाथ मिलाते ही ‘करंट’ जैसा एहसास होता है? अगर हां, तो घबराइए नहीं – यह कोई बिजली का झटका नहीं, बल्कि विज्ञान का कमाल है, जिसे कहते हैं “स्टेटिक चार्ज”। हमारे बचपन का वो गुब्बारे वाला खेल याद है? जब गुब्बारे को सिर पर रगड़कर दीवार पर चिपका देते थे? वह कोई जादू नहीं था, बल्कि यही स्टेटिक चार्ज था, जो अब भी हमारे रोज़मर्रा के जीवन में एक्टिव रहता है।
क्या है स्टेटिक चार्ज?
जब हम चलते हैं – खासकर सिंथेटिक कपड़े पहनकर या कालीन (carpet) पर – तो हमारे शरीर पर सूक्ष्म इलेक्ट्रिक चार्ज जमा होने लगते हैं। ये चार्ज आँखों से दिखाई नहीं देते, लेकिन जब हम किसी धातु (metal) की वस्तु को छूते हैं, तो ये चार्ज एक झटके में ट्रांसफर हो जाते हैं – और हमें लगता है ‘करंट’। थोड़ी वैज्ञानिक भाषा में समझें तो हर एटम में तीन कण होते हैं – प्रोटॉन (Positive), इलेक्ट्रॉन (Negative) और न्यूट्रॉन (Neutral)। जब दो सतहें एक-दूसरे से रगड़ती हैं, तो उनके बीच इलेक्ट्रॉन का ट्रांसफर होता है। इससे एक वस्तु पॉज़िटिव और दूसरी नेगेटिव चार्ज हो जाती है – यहीं से बनता है स्टेटिक चार्ज।
झटका क्यों लगता है?
जब हमारे शरीर में यह चार्ज जमा हो जाता है और हम किसी कंडक्टिव (conductive) चीज़ – जैसे दरवाज़े का हैंडल या कार का गेट – को छूते हैं, तो चार्ज एक झटके में बाहर निकल जाता है। यही झटका हमें महसूस होता है।
क्यों ज़्यादा होता है सर्दियों में?
स्टेटिक इलेक्ट्रिसिटी का सबसे बड़ा कारण होता है सूखा मौसम। सर्दियों में हवा में ह्यूमिडिटी यानी नमी कम होती है, जिससे चार्ज ज़्यादा जमा होता है। बरसात में ऐसा कम होता है क्योंकि हवा में मौजूद नमी चार्ज को पहले ही डिस्चार्ज कर देती है।
कैसे करें बचाव?
अगली बार झटका लगे तो…
डरिए मत, ये किसी अदृश्य करंट की साज़िश नहीं – बल्कि विज्ञान की एक साधारण सी प्रक्रिया है। अब जब भी आपको झटका लगे, तो मुस्कुराइए और कहिए – "Thank you, science!"
Baten UP Ki Desk
Published : 13 April, 2025, 2:28 pm
Author Info : Baten UP Ki