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क्या चावल की भूसी में छिपा है इलाज? 6 किस्मों में मिले कैंसर से लड़ने वाले Elements!

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फिलीपींस स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) ने चावल की ऐसी छह विशेष किस्मों की पहचान की है जिनमें कैंसर से लड़ने की अद्वितीय क्षमता मौजूद है। यह खोज उन एशियाई देशों के लिए बड़ी उम्मीद बनकर सामने आई है, जहां कोलोरेक्टल कैंसर जैसी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

चावल की 6 किस्में बनीं सुपरफूड

IRRI के वैज्ञानिकों ने दुनिया भर से जुटाए गए 1.32 लाख चावल के नमूनों का विश्लेषण किया, जिसमें से 800 रंगीन चावल किस्मों का रसायनिक परीक्षण किया गया। इसके बाद सामने आईं छह ऐसी किस्में जिनमें अत्यधिक मात्रा में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और कैंसर रोधी यौगिक मौजूद हैं। इन तत्वों की शक्ति ब्लूबेरी और चिया सीड्स जैसे महंगे सुपरफूड्स के समकक्ष पाई गई।

भूसी से निकला जीवनदायी अर्क

शोध में यह भी सामने आया कि इन चावल किस्मों की भूसी (ब्रान) से निकाला गया पोषक अर्क, कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ बेहद असरदार है।

  • यह अर्क पानी में घुलनशील है,

  • इसकी थोड़ी सी मात्रा भी कोशिकाओं को रोकने में सक्षम है,

  • और यह बहुत कम लागत में तैयार किया जा सकता है।

प्रयोगों से यह भी सिद्ध हुआ कि पकाने के बाद भी ये चावल करीब 70% एंटीऑक्सीडेंट क्षमता बरकरार रखते हैं, जो इन्हें आम चावल से अलग बनाता है।

बुजुर्गों में त्वचा कैंसर: दुनिया के लिए एक नई चेतावनी

इस बीच, एक अन्य अंतरराष्ट्रीय शोध में बुजुर्गों में त्वचा कैंसर की बढ़ती दर ने चिंता बढ़ा दी है। चीन की चोंगकिंग मेडिकल यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों द्वारा 204 देशों के आंकड़ों के विश्लेषण में पता चला कि सिर्फ 2021 में ही 44 लाख बुजुर्गों में त्वचा कैंसर के नए मामले दर्ज हुए।

अध्ययन के मुताबिक पुरुषों में इसका खतरा महिलाओं की तुलना में दो गुना अधिक है। त्वचा कैंसर के प्रमुख प्रकार—मेलानोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और बेसल सेल कार्सिनोमा—पर आधारित यह अध्ययन प्रतिष्ठित JAMA Dermatology में प्रकाशित हुआ है।

भारत और विकासशील देशों के लिए क्या मायने हैं?

भारत जैसे देश, जहां चावल मुख्य आहार है और कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, के लिए यह खोज स्वस्थ भोजन और सस्ती दवा के बीच सेतु बन सकती है। इससे न केवल पोषण स्तर सुधरेगा, बल्कि आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का संयोजन भी संभव हो सकेगा। भविष्य में, यदि इन चावल किस्मों की खेती और सप्लीमेंट उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए, तो यह कैंसर रोकथाम में क्रांतिकारी भूमिका निभा सकता है।

क्या भारत इस खोज को नीति और कृषि स्तर पर अपनाएगा?

या यह भी किसी और देश की औद्योगिक उपलब्धि बनकर रह जाएगी? जवाब आने वाले वर्षों में मिलेगा, लेकिन इतना तय है—स्वस्थ भविष्य अब सिर्फ विज्ञान प्रयोगशालाओं की बात नहीं, बल्कि हमारी थाली में भी छुपा है।

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