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ऑनलाइन जाल में फंसता बचपन! हर सेकेंड में इतने बच्चे बन रहे हैं शोषण का शिकार

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इंटरनेट, जो कभी ज्ञान और मनोरंजन का एक साधन हुआ करता था, अब एक खतरनाक अपराध मंच बनता जा रहा है। यह अब केवल वयस्कों के लिए ही नहीं, बल्कि बच्चों के लिए भी खतरों से भरा हुआ है। एक अध्ययन के अनुसार, पिछले साल दुनिया भर में लगभग 12 बच्चों में से एक बच्चा ऑनलाइन यौन उत्पीड़न का शिकार हुआ। यह चिंताजनक आंकड़ा इंटरनेट पर बच्चों के सुरक्षा के सवाल को गंभीर बना देता है।

बच्चों का ऑनलाइन यौन उत्पीड़न: एक वैश्विक आपदा

द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 2010 से 2023 तक की रिसर्च में यह पाया गया है कि स्मार्टफोन और डिजिटल उपकरणों के बढ़ते उपयोग के साथ बच्चों के यौन शोषण के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। खासकर विकासशील देशों में यह समस्या और अधिक गंभीर है, जहां इन अपराधों की रिपोर्टिंग अक्सर नहीं होती। रिपोर्ट के अनुसार, हर सेकेंड में 10 बच्चे ऑनलाइन यौन उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। शोधकर्ताओं ने इसे एक वैश्विक स्वास्थ्य आपदा माना और चेतावनी दी कि इसका बच्चों की मानसिक और शारीरिक वृद्धि पर गंभीर नकारात्मक असर पड़ता है, जो अंततः उनके रोजगार और जीवन प्रत्याशा पर भी असर डालता है।

विकासशील देशों में शोषण की बढ़ती समस्या

इस संकट का सबसे बड़ा असर विकासशील देशों में देखा जा रहा है, जहां ऐसे अपराधों की रिपोर्टिंग बहुत कम होती है। यहां बच्चों को इंटरनेट पर ऐसे शोषण से बचाने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों का अभाव है। इसका सबसे भयावह परिणाम यह है कि प्रभावित बच्चों की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर दीर्घकालिक नकरात्मक प्रभाव पड़ता है, जो उनके समग्र जीवन को प्रभावित करता है।

ऑनलाइन यौन उत्पीड़न के विभिन्न रूप

ऑनलाइन यौन उत्पीड़न के विभिन्न रूपों में शामिल हैं:

  • ऑनलाइन सॉलिसिटेशन: 12.5%
  • सहमति के बिना तस्वीरें साझा करना: 12.6%
  • ऑनलाइन शोषण: 4.7%
  • सेक्सुएल एक्सटोर्शन: 3.5%

ये आंकड़े बच्चों के लिए इंटरनेट को एक खतरनाक जगह बना रहे हैं। इससे न केवल उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि उनके सामाजिक और भावनात्मक विकास पर भी गहरा असर पड़ रहा है।

समाज की भूमिका: ‘लाइक-शेयर’ में व्यस्त समाज

हमारे समाज की विडंबना यह है कि हम सोशल मीडिया पर व्यस्त हैं, लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा करने का समय नहीं है। इस समस्या के लिए जितना अपराधी जिम्मेदार हैं, उतना ही हम और हमारा समाज भी। आइए, इस समस्या के कारणों को समझते हैं:

1. एकल परिवार का चलन

पहले दादी-नानी बच्चों को जीवन के मूल संस्कार सिखाती थीं। अब मोबाइल ही बच्चों का ‘गुरु’ बन गया है। माता-पिता यदि कामकाजी हैं, तो बच्चों को इंटरनेट की संगत ही मिलती है।

2. तकनीक का दुरुपयोग

इंटरनेट ज्ञान का भंडार है, लेकिन बच्चे उसमें सही और गलत की पहचान नहीं कर पाते। सोशल मीडिया पर रील्स और वायरल कंटेंट में अश्लीलता परोसी जा रही है और हम इसे ‘एंटरटेनमेंट’ मान रहे हैं।

3. जागरूकता की कमी

बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों पर बात करने से समाज कतराता है। किसी घटना के बाद पुलिस के पास जाने की बजाय इसे घर में ही दबाने की कोशिश की जाती है।

4. धीमी न्याय प्रक्रिया

पोक्सो के तहत 2.4 लाख मामले कोर्ट में अटके हुए हैं। इनमें से केवल 3% मामलों में सजा हुई है। अगर कोई नया केस दर्ज न हो, तब भी इन मामलों को निपटाने में 9 साल लगेंगे।

5. पेरेंटिंग की समस्या

हम बच्चों को समय देने की बजाय उन्हें मोबाइल थमा देते हैं ताकि वे शांत रहें। लेकिन इसका परिणाम गंभीर होता है।

6. सेक्स एजुकेशन की कमी

चाहे स्कूल हो या समाज, सेक्स एजुकेशन को आज भी वर्जित विषय माना जाता है। इस विषय पर चर्चा करना गुनाह जैसा बन गया है।

बड़े भी इंटरनेट पर लाचार: सोशल मीडिया की लत

न केवल बच्चे, बल्कि वयस्क भी अब इंटरनेट और सोशल मीडिया के शिकार हो रहे हैं। एक ताजा शोध में पाया गया कि जब लोग भावनात्मक तनाव का सामना करते हैं, तो वे परिवार और दोस्तों के बजाय इंटरनेट पर सहारा खोजने लगते हैं। यह असमर्थ प्रयास केवल उनका ध्यान भटका सकता है, लेकिन यह उनके असली भावनात्मक जरूरतों को संबोधित नहीं करता। इस प्रक्रिया में उन्हें सोशल मीडिया की लत लग सकती है, जो "फबिंग" नामक एक आचरण को जन्म देती है, जहां व्यक्ति ऑफलाइन संपर्क की बजाय स्मार्टफोन को प्राथमिकता देने लगता है।

फबिंग: सामाजिक रिश्तों के लिए खतरा

फबिंग का मतलब है जब कोई व्यक्ति वास्तविक जीवन में अपने सामाजिक रिश्तों की बजाय स्मार्टफोन पर ज्यादा ध्यान देता है। यह आचरण लोगों को एकांत और असामाजिक बना देता है, जिससे उनके रिश्ते कमजोर हो जाते हैं और वे अपने भावनात्मक शून्य को भरने में असमर्थ रहते हैं।

इंटरनेट का सुरक्षित उपयोग ही समाधान

इंटरनेट एक अमूल्य साधन हो सकता है, लेकिन अगर इसका सही उपयोग न किया जाए, तो यह बच्चों और वयस्कों के लिए खतरों से भरा हो सकता है। इसके सुरक्षित उपयोग के लिए जागरूकता और सख्त सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है ताकि बच्चे और वयस्क इस डिजिटल दुनिया का सही तरीके से लाभ उठा सकें।

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