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वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक में भारत ने लगाई लंबी छलांग!

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भारत ने हाल ही में वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (Global Cybersecurity Index) 2024 में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए टियर 1 का दर्जा प्राप्त किया है। यह उपलब्धि भारत की साइबर सुरक्षा के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है। संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस सफलता को देश के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताते हुए कहा कि यह उपलब्धि न केवल भारत की तकनीकी क्षमताओं को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारत साइबर सुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।

साइबर हमलों में उछाल-

डाटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (DSCI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत में लगभग 85 लाख उपकरणों पर 40 करोड़ से अधिक साइबर हमले दर्ज किए गए। यह आँकड़ा हर मिनट 761 साइबर हमलों की ओर इशारा करता है, जो साइबर खतरों की गंभीरता को दर्शाता है। सूरत (15%) और बंगलूरू (14%) जैसे शहरों में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। मीडिया और नेटवर्क ड्राइव से जुड़े हमलों का प्रतिशत 50% से भी अधिक रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार, 25% से अधिक साइबर हमले ईमेल और वेबसाइटों पर दुर्भावनापूर्ण लिंक क्लिक करने के कारण होते हैं। एंड्रॉयड डिवाइस उपयोगकर्ताओं को भी विशेष रूप से निशाना बनाया गया है, जिन पर औसतन हर महीने तीन साइबर हमले होते हैं। लाखों फर्जी एप्लिकेशन डाउनलोड किए गए हैं, जो उपयोगकर्ताओं के डिवाइस में सेंधमारी का काम करते हैं। यहाँ तक कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जैसी संस्थाओं को भी हर दिन 100 से अधिक साइबर हमलों का सामना करना पड़ता है।

सबसे अधिक प्रभावित सेक्टर-

पिछले छह महीनों में, भारत में हर हफ्ते साइबर हमलों का सबसे अधिक प्रभाव स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अनुसंधान तथा यूटिलिटी सेक्टर पर पड़ा है। चेक प्वाइंट की थ्रेट इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इन क्षेत्रों पर प्रति सप्ताह औसतन 2,157 साइबर हमले हुए, जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 1,139 का था। विशेषज्ञों के अनुसार, खुदरा, हॉस्पिटैलिटी, विनिर्माण और परिवहन क्षेत्रों में भी साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता देने की जरूरत है।

वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक 2024 में भारत की छलांग-

ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी इंडेक्स (GCI) 2024 में भारत को टियर 1 देशों की श्रेणी में शामिल किया गया है, जिसमें भारत ने 100 में से 98.49 अंक प्राप्त किए। यह सूचकांक वैश्विक साइबर सुरक्षा उपायों की समीक्षा करने वाला प्रमुख सूचकांक है, और इसमें भारत ने शीर्ष स्थानों में से एक पर अपनी जगह बनाई है। इस सूचकांक में साइबर सुरक्षा के पांच मानक होते हैं - कानूनी, तकनीकी, संगठनात्मक, क्षमता विकास और सहयोग। भारत ने इन सभी मानकों पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। सूचकांक की प्रश्नावली में कुल 83 प्रश्न शामिल थे, जो 20 संकेतकों और 64 उप-संकेतकों को कवर करते थे। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कानूनी और संस्थागत व्यवस्था साइबर सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सक्षम है। साथ ही, भारत ने शिक्षा और जागरूकता पर जोर देकर साइबर सुरक्षा को मजबूत किया है।

कानूनी उपायों पर विशेष जोर-

रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर सुरक्षा के कानूनी उपाय सबसे अहम पहलू हैं। दुनिया भर के 177 देशों में निजी डेटा की सुरक्षा और डेटा चोरी रोकने के लिए कानूनी नियम बनाए जा रहे हैं। भारत ने भी इस दिशा में मजबूत कदम उठाए हैं। हालांकि, रिपोर्ट यह भी बताती है कि साइबर सुरक्षा में संस्थागत सुधार की संभावना अभी भी बनी हुई है।

भारत की साइबर सुरक्षा प्रतिबद्धता-

भारत ने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है। 2024 में ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी इंडेक्स में टियर 1 में स्थान प्राप्त कर भारत ने यह साबित कर दिया है कि वह न केवल साइबर सुरक्षा खतरों का सामना करने के लिए तैयार है, बल्कि उसे वैश्विक स्तर पर रोल-मॉडल के रूप में देखा जा सकता है। यह उपलब्धि भारत की प्रौद्योगिकी और सुरक्षा नीति में की गई लगातार सुधारों का परिणाम है। आज के डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है, और भारत ने इस क्षेत्र में अपने कदम तेजी से बढ़ाए हैं। अब आवश्यकता है कि सभी नागरिक और व्यवसाय अपनी साइबर सुरक्षा पर ध्यान दें और संभावित खतरों से निपटने के लिए आवश्यक उपाय करें। जागरूकता बढ़ाने और ठोस सुरक्षा उपाय अपनाने से हम सभी एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण का निर्माण कर सकते हैं। वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक में भारत की हालिया छलांग न केवल तकनीकी क्षमताओं में सुधार को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि भारत साइबर सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

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