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34 लाख कर्मियों के साथ देश करेगा डिजिटल जनगणना, इतनी भाषाओं में ऐप तैयार

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भारत सरकार ने देश की 16वीं राष्ट्रीय जनगणना की अधिसूचना जारी कर दी है। यह जनगणना डिजिटल माध्यम से कराई जाएगी और पहली बार जाति आधारित आंकड़े भी एकत्र किए जाएंगे। यह स्वतंत्र भारत की 8वीं जनगणना होगी, जो लगभग 16 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद हो रही है। पिछली बार जनगणना वर्ष 2011 में की गई थी, जबकि कोविड-19 महामारी के कारण 2021 की जनगणना टाल दी गई थी।

सरकार ने बताया है कि जनगणना प्रक्रिया दो चरणों में संपन्न होगी—पहले चरण में मकान सूचीकरण और मकानों की गणना होगी, जबकि दूसरे चरण में जनसंख्या की गणना की जाएगी।

दो तारीखें, दो चरण

  1. पहला चरण – मकान सूचीकरण और मकानों की गणना (HLO):
    इसमें प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति और मूलभूत सुविधाओं की जानकारी जुटाई जाएगी।

  2. दूसरा चरण – जनसंख्या गणना:

इस चरण में हर व्यक्ति की जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और जातीय जानकारी दर्ज की जाएगी।

राजपत्र अधिसूचना के अनुसार:

  • हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में जनगणना 1 अक्टूबर 2026 से आरंभ होगी।

  • देश के शेष भागों में 1 मार्च 2027 से जनगणना शुरू की जाएगी।

पूरी तरह डिजिटल होगी यह जनगणना

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि यह जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। इसके लिए एक विशेष मोबाइल एप तैयार किया गया है, जो 16 भाषाओं में उपलब्ध रहेगा। इसी एप के जरिए सभी आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। जनगणना में लगे कर्मी मोबाइल और टैबलेट जैसे उपकरणों का उपयोग करेंगे।

  • 34 लाख गणक व सुपरवाइज़र और

  • 1.3 लाख जनगणना अधिकारी

इस कार्य में आधुनिक डिजिटल साधनों के साथ भाग लेंगे।

स्व-गणना (Self-Enumeration) की सुविधा भी

नागरिकों को इस बार एक अतिरिक्त सुविधा दी जा रही है—स्व-गणना, यानी वे चाहें तो खुद ही ऑनलाइन माध्यम से अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे। यह सुविधा देश में डिजिटल साक्षरता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

डेटा सुरक्षा पर विशेष जोर

सरकार ने स्पष्ट किया है कि जनगणना डेटा की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। जानकारी के संग्रह, संचरण और संग्रहण के दौरान अत्याधुनिक साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाए जाएंगे ताकि नागरिकों की गोपनीयता सुरक्षित रहे।

जाति आधारित गणना पहली बार

इस बार जनगणना में पहली बार जाति आधारित आंकड़े भी जुटाए जाएंगे। यह निर्णय लंबे समय से हो रही मांगों के मद्देनजर लिया गया है और इससे नीति निर्माण तथा सामाजिक योजनाओं के लक्ष्य निर्धारण में सहायता मिलेगी।

तकनीक से बदलेगा जनगणना का चेहरा

भारत की 16वीं जनगणना, जो तकनीक और पारदर्शिता के नए मानकों को स्थापित करेगी, न केवल देश की जनसंख्या की ताजातरीन तस्वीर पेश करेगी, बल्कि पहली बार जातिगत विविधताओं और सामाजिक संरचना को भी वैज्ञानिक रूप से दर्ज करेगी। इसके नतीजे आने वाले वर्षों में नीतिगत फैसलों की आधारशिला बनेंगे।

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