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क्या बुज़ुर्गों के गिरने की वजह है कानों की सुनने की क्षमता? इस शोध में हुआ बड़ा खुलासा

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बुजुर्गों की सुरक्षा को लेकर सामने आया एक अहम वैज्ञानिक शोध अब सोच बदल सकता है। द लैंसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित ताज़ा अध्ययन के अनुसार, बुजुर्गों को हियरिंग एड्स (श्रवण यंत्र) और काउंसलिंग देने से उनकी गिरने की घटनाओं में तीन वर्षों में लगभग 30% तक कमी देखी गई है। यह शोध इस बात की तरफ इशारा करता है कि केवल शरीर की स्थिरता या सोचने-समझने की क्षमता ही नहीं, बल्कि सुनने की शक्ति में कमी भी गिरने का एक बड़ा कारण हो सकती है।

क्या कहता है यह क्लिनिकल ट्रायल?

यह ट्रायल अमेरिका में 70 से 84 वर्ष की उम्र के 977 बुजुर्गों पर किया गया, जिन्हें सुनने में दिक्कत थी। 'अचीव' नामक इस परीक्षण के तहत आधे प्रतिभागियों को हियरिंग एड्स दिए गए और उनके परिवारों को विस्तृत परामर्श दिया गया। शेष प्रतिभागियों को सामान्य स्वास्थ्य सलाह के साथ नियंत्रण समूह में रखा गया।

तीन सालों के डेटा के अनुसार:

  • हियरिंग एड्स व काउंसलिंग समूह में औसतन 1.45 बार गिरने की घटना दर्ज हुई।

  • नियंत्रण समूह में यह औसत 1.98 बार रहा।

इस तरह, श्रवण यंत्र और काउंसलिंग प्राप्त करने वालों में गिरने की घटनाओं में 27% की कमी पाई गई।

भारत में भी हालात चिंताजनक

मार्च 2024 में द एविडेंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि भारत में 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 11.43% बुजुर्गों को गिरने की समस्या का सामना करना पड़ा। यह अध्ययन 2017-2019 के दौरान लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग स्टडी ऑफ इंडिया (LASI) के तहत 28,710 प्रतिभागियों पर आधारित था।

विशेषज्ञों के अनुसार, गिरने की अधिक संभावना उन बुजुर्गों में होती है जिन्हें:

  • लंबे समय से हड्डियों या जोड़ों की समस्याएं हैं।

  • देखने की क्षमता में कमी है।

सुनने की शक्ति: अब केवल संवाद का नहीं, सुरक्षा का भी सवाल

इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि सुनने की क्षमता में गिरावट सिर्फ सामाजिक अलगाव या संवाद की समस्या नहीं है, बल्कि यह शारीरिक संतुलन और सुरक्षा से भी गहराई से जुड़ी हुई है। हियरिंग एड्स और काउंसलिंग के जरिये बुजुर्गों को न सिर्फ बेहतर जीवनशैली मिल सकती है, बल्कि हादसों से भी बचाया जा सकता है।

नीति निर्माताओं और परिवारों के लिए संदेश

यह शोध बुजुर्गों की देखभाल को लेकर देशभर के परिवारों, डॉक्टरों और नीति निर्माताओं के लिए एक जागरूक करने वाला संकेत है। अब वक्त आ गया है कि हियरिंग हेल्थ को बुजुर्गों की देखरेख में एक जरूरी स्तंभ के रूप में अपनाया जाए।

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