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एशियाई देशों में मीठे जहर का बढ़ता असर, इस बीमारी से जाती है हर साल 5 लाख लोगों की जान

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डायबिटीज अब सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बन गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में एक रिपोर्ट में इस बीमारी के कारण बढ़ती मौतों और स्वास्थ्य प्रणाली पर इसके प्रभाव को लेकर गहरी चिंता जताई है। रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण-पूर्व एशिया में हर साल मधुमेह के कारण 4.82 लाख से अधिक मौतें हो रही हैं। इन आंकड़ों ने सरकारों और स्वास्थ्य संगठनों को चेतावनी दी है कि यदि रोकथाम और उपचार के प्रयास नहीं बढ़ाए गए, तो स्थिति और विकट हो सकती है।

डायबिटीज का बढ़ता प्रभाव-

WHO दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद के मुताबिक डायबिटीज से संबंधित जटिलताओं को रोकने के लिए मरीजों तक इलाज की समय पर पहुंच सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। उनका कहना है कि डायबिटीज का प्रभाव हर उम्र के लोगों पर देखा जा रहा है, खासकर युवा और किशोरों में टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

महत्वपूर्ण आंकड़े:

  • 2025 तक 10 करोड़ लोग मधुमेह और उच्च रक्तचाप के प्रोटोकॉल-आधारित प्रबंधन के दायरे में होंगे।
  • टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित 2.60 लाख से अधिक बच्चे और किशोर अब भी उचित इलाज से वंचित हैं।
  • हर साल लाखों लोग इस बीमारी के प्रबंधन में आने वाली आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों से जूझते हैं।

इलाज में कमी: आधे मरीज हैं वंचित-

WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने खुलासा किया कि मधुमेह से पीड़ित 80 करोड़ लोगों में से आधे से ज्यादा को उपचार की सुविधा ही नहीं मिल पाती। उन्होंने यह भी बताया कि जीवनशैली में छोटे लेकिन महत्वपूर्ण बदलावों के जरिए मधुमेह के जोखिम को कम किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, जिन परिवारों में पहले से डायबिटीज का इतिहास है, उन्हें अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। समय पर निदान और उपचार न केवल बीमारी की गंभीरता को कम करता है, बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर पड़ने वाले दबाव को भी कम कर सकता है।

डायबिटीज से बचाव के उपाय-

डायबिटीज को रोकने और नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने निम्नलिखित उपाय सुझाए हैं:

  1. संतुलित आहार:

    • साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, और स्वस्थ वसा का सेवन करें।
    • चीनी और कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
    • फलों और हरी सब्जियों को आहार का हिस्सा बनाएं।
  2. नियमित व्यायाम:

    • रोजाना 30-45 मिनट का व्यायाम या योग करें।
    • सक्रिय जीवनशैली अपनाएं और लंबे समय तक एक स्थान पर बैठे रहने से बचें।
  3. स्वास्थ्य जांच:

    • नियमित रूप से ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाएं।
    • मधुमेह का निदान जल्दी हो जाए तो इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
  4. तनाव प्रबंधन:

  • तनाव को कम करने के लिए ध्यान और मेडिटेशन करें।
  • पर्याप्त नींद लें, क्योंकि नींद की कमी डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकती है।

युवाओं में बढ़ते मामले: एक गंभीर चुनौती-

विशेषज्ञों ने बताया कि टाइप-2 डायबिटीज के मामले युवा पीढ़ी में बढ़ते जा रहे हैं। खराब खानपान और निष्क्रिय जीवनशैली इसके प्रमुख कारण हैं। डिजिटल युग में शारीरिक गतिविधियों की कमी और जंक फूड के अत्यधिक सेवन ने समस्या को और बढ़ा दिया है।

सरकारी प्रयास:

दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों ने डायबिटीज के प्रबंधन को लेकर कई सकारात्मक पहल की हैं, जैसे कि सस्ती दवाओं की उपलब्धता और सामुदायिक जागरूकता अभियान। लेकिन, WHO का मानना है कि रोकथाम और समय पर उपचार पर जोर देकर इस बीमारी के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सकता है।

भविष्य के लिए चेतावनी-

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि अगर मौजूदा प्रयासों को मजबूत नहीं किया गया तो साल 2030 तक मधुमेह स्वास्थ्य क्षेत्र पर सबसे बड़ा आर्थिक बोझ बन सकता है। इसके अलावा, इसके साथ जुड़ी जटिलताएं जैसे हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी और आंखों की समस्याएं और अधिक गंभीर होंगी।

जागरूकता ही बचाव का रास्ता-

डायबिटीज से बचने और इसे नियंत्रित करने के लिए समाज और सरकार दोनों को मिलकर काम करना होगा। व्यक्तिगत स्तर पर जीवनशैली में बदलाव लाना और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना जरूरी है। सामूहिक प्रयास और सरकारी नीतियां मिलकर ही इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट को नियंत्रित कर सकती हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और जागरूकता फैलाकर इस चुनौती का सामना किया जा सकता है। WHO की यह चेतावनी हमें सतर्क करने के साथ-साथ जिम्मेदारी उठाने का संदेश भी देती है।

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