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पीएम नरेंद्र मोदी की मेजबानी में 17 अगस्त को आयोजित तीसरी ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनुस ने भाग लिया है। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद यह पहली बार है जब दोनों देशों के नेता एक ही मंच पर नजर आए। भारत वर्चुअल प्रारूप में इस वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट की मेजबानी कर रहा है। इस बैठक से पहले, 16 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी और मोहम्मद युनुस के बीच फोन पर बातचीत भी हुई थी। भारत ने जी20 की अध्यक्षता मिलने के बाद विकासशील देशों की आवाज को मजबूत करने के उद्देश्य से ग्लोबल साउथ समिट की शुरुआत की थी। सितंबर 2023 में हुए जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों की समस्याओं और उनकी आवाज को प्रमुखता से उठाया था। इस तीसरी वर्चुअल शिखर बैठक में 100 से अधिक देशों के नेता भाग ले रहे हैं, जो भारत की अगुवाई में आयोजित की जा रही है।
विकास से संबंधित समस्याओं और प्राथमिकताओं पर चर्चा-
ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह मंच विकास से संबंधित समस्याओं और प्राथमिकताओं पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि भारत ने ग्लोबल साउथ की आशाओं और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए जी-20 का एजेंडा तैयार किया है। पीएम मोदी ने कहा, "जब भारत ने जी-20 की अध्यक्षता संभाली, तो हमने इस मंच को एक नया स्वरूप देने का संकल्प लिया था।" उन्होंने आगे कहा, "हम ऐसे समय में मिल रहे हैं जब दुनिया अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है। युद्ध जैसी परिस्थितियों ने हमारे विकास के मार्ग में कठिनाइयां बढ़ा दी हैं। हम पहले से ही जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, भोजन और ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियों से जूझ रहे हैं। आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद हमारे समाजों के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं।"
ग्लोबल साउथ के देश एकजुट होकर एक-दूसरे की बनें ताकत-
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह समय है जब ग्लोबल साउथ के देश एकजुट होकर एक-दूसरे की ताकत बनें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने और अपनी क्षमताओं को साझा करने की जरूरत है। भारत ग्लोबल साउथ के साथ सहयोग करने और अपने अनुभवों और क्षमताओं को साझा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत व्यापार, समावेशी विकास, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्रगति और महिला नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। स्वास्थ्य सुरक्षा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मिशन 'एक विश्व, एक स्वास्थ्य' और दृष्टिकोण 'आरोग्य मैत्री' का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है 'स्वास्थ्य के लिए मित्रता'। उन्होंने कहा कि मानवीय संकट के समय भारत हमेशा अपने मित्र देशों की सहायता के लिए सबसे पहले आगे आता है।
ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन का विषय-
इसमें विकासशील देशों के लिए भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी। इस शिखर सम्मेलन का विषय 'एक सतत भविष्य के लिए एक सशक्त वैश्विक दक्षिण' है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के दृष्टिकोण के विस्तार के रूप में शुरू हुआ है और भारत के वसुधैव कुटुंबकम (दुनिया एक परिवार है) के दर्शन पर आधारित है।
किन- किन मुद्दों पर होनी है चर्चा?
शिखर सम्मेलन में पिछली बैठकों की तरह ही इस बार भी खाद्य, ऊर्जा सुरक्षा संकट और जलवायु परिवर्तन जैसी जटिल चुनौतियों पर चर्चा होने की उम्मीद है। शिखर सम्मेलन के तीसरे संस्करण में ग्लोबल साउथ के देशों के साथ एक साझा मंच पर देशों की चुनौतियों, प्राथमिकताओं और विकास के क्षेत्र में समाधान को लेकर विचार साझा किए जाएंगे। उद्घाटन सत्र राज्य सरकार के प्रमुखों के स्तर पर होगा, जिसकी मेजबानी प्रधानमंत्री मोदी करेंगे।
भारत ने की थी पहले इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी
भारत ने 12 और 13 जनवरी 2023 को पहले वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। इसका दूसरा संस्करण 17 नवंबर 2023 को आयोजित किया गया था। दोनों शिखर सम्मेलन वर्चुअल प्रारूप में आयोजित किए गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरे संस्करण के दौरान कहा था कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ 21वीं सदी की बदलती दुनिया का सबसे अनूठा मंच है। यह मंच भौगोलिक रूप से ग्लोबल साउथ को पहली बार एक सशक्त आवाज प्रदान कर रहा है। हमारे हित और प्राथमिकताएँ समान हैं, और यह मंच हमारे साझा प्रयासों का परिणाम है।
Baten UP Ki Desk
Published : 17 August, 2024, 4:02 pm
Author Info : Baten UP Ki