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जनरेशन Z, जिसे जूमर्स या पोस्ट-मिलेनियल्स भी कहा जाता है, वे लोग हैं जो 1990 के दशक के अंत से लेकर 2010 के दशक की शुरुआत के बीच पैदा हुए। यह पीढ़ी डिजिटल तकनीक के साथ बड़ी हुई है, जहां संवाद के साधन व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, एक्स (पूर्व में ट्विटर), और स्नैपचैट जैसे प्लेटफॉर्म बन चुके हैं। इनकी भाषा इमोजी, जीआईएफ और छोटे-छोटे टेक्स्ट संदेशों तक सिमट गई है।
हस्तलिपि: क्यों है यह जरूरी?
विशेषज्ञों के अनुसार, हाथ से लिखने का अभ्यास न केवल संवाद के लिए बल्कि मानसिक विकास के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।
शोध में खुलासा: हस्तलिपि क्यों हो रही है कमजोर?
स्टेवांगर विश्वविद्यालय के अध्ययन के अनुसार, स्कूलों और कॉलेजों में छात्र अब साफ-सुथरी और प्रभावशाली हस्तलिपि के लिए संघर्ष करते दिखते हैं।
हस्तलिपि पर डिजिटल युग का प्रभाव
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने हमारे संवाद के तरीकों को पूरी तरह बदल दिया है। व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, और स्नैपचैट जैसे एप्स के माध्यम से भेजे जाने वाले संदेश अब इमोजी और संक्षिप्त शब्दों तक सीमित हो गए हैं। इससे न केवल लिखावट प्रभावित हो रही है, बल्कि संवाद की गहराई भी कम हो रही है।
क्या जनरेशन Z बचा पाएगी इस कला को?
स्कूल और विश्वविद्यालयों में पेन और पेपर का महत्व घटता जा रहा है। अगर यही प्रवृत्ति जारी रही, तो जनरेशन Z शायद पहली ऐसी पीढ़ी होगी जो सही तरीके से हस्तलिपि में निपुण नहीं होगी।
आवश्यकता: लेखन को पुनर्जीवित करने की
विशेषज्ञों का मानना है कि हाथ से लिखने की कला को बचाने के लिए स्कूलों और परिवारों को संयुक्त प्रयास करना होगा।
हस्तलिपि :मस्तिष्क के विकास का अटूट हिस्सा
डिजिटल युग के इस दौर में, हस्तलिपि केवल एक कला नहीं, बल्कि हमारे संवाद और मस्तिष्क विकास का अटूट हिस्सा है। अगर इसे सहेजने की कोशिश नहीं की गई, तो यह कला हमेशा के लिए खो सकती है।
Baten UP Ki Desk
Published : 24 January, 2025, 2:09 pm
Author Info : Baten UP Ki