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पहली महिला आईपीएस से प्रेम कहानी तक...जानिए 'क्रेन बेदी' का सफर

Episode- 2 (साभार 'ध्येय टीवी')

भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी की कहानी केवल उनके प्रशासनिक योगदान तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी निजी जिंदगी भी उतनी ही प्रेरणादायक और दिलचस्प रही है। चाहे वह पुलिस सेवा में उनके ऐतिहासिक फैसले हों या फिर उनकी प्रेम कहानी, किरण बेदी हमेशा से ही अपने साहसिक निर्णयों के लिए जानी जाती रही हैं।

एक बदलाव की शुरुआत

साल 1949 में अमृतसर में जन्मीं किरण बेदी ने 1972 में भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनने का गौरव प्राप्त किया। ट्रैफिक कंट्रोल से लेकर तिहाड़ जेल सुधार और नशा मुक्ति अभियानों तक, उन्होंने अपनी सेवाओं से एक मिसाल कायम की। तिहाड़ जेल में सुधार कार्यक्रम शुरू कर उन्होंने इसे सुधारात्मक संस्थान की पहचान दिलाई। 1994 में उन्हें प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्होंने "नवज्योति" और "इंडिया विजन फाउंडेशन" की स्थापना कर समाज सेवा में भी अपनी अहम भूमिका निभाई।

जब एक महिला ने अपनी पहचान बनाई

मेल-डोमिनेटेड पुलिस विभाग में अपनी जगह बनाना आसान नहीं था। एक बार एक सीनियर अफसर ने तंज कसते हुए उन्हें "ए छोकरी" कहकर पुकारा। इस पर किरण बेदी ने बेझिझक जवाब दिया, "सर, मेरा एक नाम है... जिसे दुनिया किरण कहती है।" उनका यह जवाब सिर्फ एक अफसर के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक संदेश था कि महिलाओं की भी अपनी पहचान होती है।

जब ट्रैफिक जाम में फंसी महिला को बचाया

1980 के दशक में दिल्ली के कनॉट प्लेस में ट्रैफिक जाम की समस्या विकराल थी। इस दौरान, जब किरण बेदी ने दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की कमान संभाली, तो उन्होंने अपने मजबूत नेतृत्व से व्यवस्था में सुधार किया। एक बार एक महिला अपने बीमार बच्चे को लेकर अस्पताल जाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन ट्रैफिक जाम की वजह से वह फंसी हुई थी। किरण बेदी ने स्थिति को भांपते हुए तुरंत अपनी सरकारी जीप से महिला और बच्चे को अस्पताल पहुंचाया, जिससे बच्चे की जान बच सकी। इस घटना के बाद, हर किसी की जुबान पर बस एक ही नाम था - किरण बेदी।

'क्रेन बेदी' नाम कैसे पड़ा?

किरण बेदी की ईमानदारी और निष्पक्षता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने प्रधानमंत्री की गाड़ी तक को गलत पार्किंग के लिए क्रेन से उठवा लिया था। इस घटना के बाद उन्हें 'क्रेन बेदी' के नाम से जाना जाने लगा।

किरण बेदी की दिलचस्प प्रेम कहानी

1970 के दशक में, जब किरण बेदी टेनिस खेला करती थीं, तब उनकी मुलाकात बृज बेदी से हुई। धीरे-धीरे दोनों के बीच नज़दीकियां बढ़ीं और किरण को एहसास हुआ कि वह बृज बेदी से प्रेम करने लगी हैं। उस दौर में, किसी महिला द्वारा प्रेम प्रस्ताव रखना और प्रेम विवाह करना आसान नहीं था, लेकिन किरण ने अपने दिल की सुनी और साहसिक निर्णय लेते हुए बृज बेदी से विवाह किया।

निडरता और साहस की मिसाल

किरण बेदी केवल एक अधिकारी ही नहीं, बल्कि एक बदलाव लाने वाली योद्धा भी हैं। उनके प्रशासनिक फैसलों से लेकर उनकी निजी जिंदगी के साहसी निर्णयों तक, हर पहलू प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने हर कार्य से यह सिद्ध किया कि नियम और ईमानदारी से बढ़कर कुछ नहीं। उनकी कहानी आज भी लाखों युवाओं को प्रेरित करती है और यह साबित करती है कि सच्चा साहस वही है जो बिना किसी हिचकिचाहट के सही फैसले लेने की शक्ति रखता हो।

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