सड़क हादसों में जान बचाने और घायलों को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश में इस योजना की शुरुआत इसी महीने से होगी। इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले छह राज्यों में लागू किया गया था और अब इसे पूरे देश में विस्तारित करने की तैयारी है।
क्या है यह योजना और कैसे करेगी काम?
यह योजना सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है। योजना के तहत, घायल व्यक्ति को उपचार के लिए ₹1.5 लाख तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी। गडकरी ने बताया कि यह योजना अब तक असम, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तराखंड और पुडुचेरी में सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी है।इन राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के दौरान 2,100 लोगों की जान बचाई गई है। इस सफलता को देखते हुए, योजना को जनवरी 2024 से पूरे देश में लागू करने का लक्ष्य है।
उत्तर प्रदेश में जल्द होगी शुरुआत-
नितिन गडकरी ने लोकसभा में कहा कि उत्तर प्रदेश में यह योजना इसी महीने शुरू होगी। यह प्रदेश में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि उत्तर प्रदेश सड़क दुर्घटनाओं और मौतों के मामले में देश के शीर्ष राज्यों में से एक है।
कानून का सम्मान न होने से बढ़ रहीं दुर्घटनाएं-
गडकरी ने सड़क दुर्घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सख्त कानून और जागरूकता अभियानों के बावजूद, देश में लोगों के बीच यातायात नियमों का पालन करने की प्रवृत्ति कमजोर है। इस समस्या को हल करने के लिए न केवल कानून सख्त करने, बल्कि नागरिकों में इसका सम्मान और पालन का भाव जागृत करने की जरूरत है।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में छुपाना पड़ता है चेहरा-
नितिन गडकरी ने सड़क सुरक्षा के मामले में भारत के खराब रिकॉर्ड पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "जब मैं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में जाता हूं और सड़क हादसों पर चर्चा होती है, तो मैं अपना चेहरा छिपाने की कोशिश करता हूं। यह बहुत शर्म की बात है कि इस क्षेत्र में हमारा प्रदर्शन इतना खराब है।"
हादसों में 60% मृतक हैं युवा-
गडकरी ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले 60% लोग 18 से 34 साल की आयु के हैं। यह तथ्य न केवल दुखद है, बल्कि देश के भविष्य के लिए भी चिंताजनक है। इस साल सड़क दुर्घटनाओं में 1.78 लाख लोगों की जान गई है, जो पिछले साल की तुलना में काफी अधिक है।
हेलमेट न पहनने से हर साल 30,000 मौतें-
गडकरी ने एक और चिंताजनक आंकड़ा साझा किया: हर साल सिर्फ हेलमेट न पहनने की वजह से 30,000 लोगों की मौत हो रही है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि यातायात नियमों का पालन करने में लापरवाही कितनी खतरनाक साबित हो सकती है।
भविष्य की योजनाएं और सुधार की जरूरत-
गडकरी ने बताया कि आने वाले दो से तीन महीनों में यह योजना देशभर में लागू की जाएगी। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने की जरूरत है। साथ ही, नागरिकों को भी सड़क सुरक्षा के प्रति अधिक जागरूक होने और यातायात नियमों का पालन करने की आवश्यकता है।
क्यों है यह योजना महत्वपूर्ण?
- सड़क हादसों में घायलों को तत्काल इलाज मिलेगा।
- योजना से हजारों लोगों की जान बचाने की संभावना है।
- उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और प्रभावित राज्यों में इसे लागू करना एक बड़ी उपलब्धि होगी।
यह योजना न केवल सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में सुधार लाएगी, बल्कि देश को इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए एक नई दिशा भी देगी।