हम अक्सर इंसानों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जानवर भी मानसिक बीमारियों का शिकार हो सकते हैं? हाल ही में, शोध और विशेषज्ञों की राय से यह साफ हुआ है कि जानवर भी तनाव, चिंता और यहां तक कि अल्जाइमर जैसी बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं।
भोलू की कहानी: जब मानसिक स्वास्थ्य ने बदली जिंदगी
भोलू, एक 16 वर्षीय लैब्राडोर, हमेशा खुश रहने वाला और लोगों से घुलने-मिलने वाला कुत्ता था। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ उसमें अजीब बदलाव आने लगे। वह घर में कहीं भी पेशाब करने लगा, रात में बेचैन रहता और पहले जैसी ऊर्जा उसमें नहीं दिखती। धीरे-धीरे वह चिड़चिड़ा होने लगा और साधारण आदेशों को भी अनसुना करने लगा।
जब याददाश्त और व्यवहार में आने लगे बदलाव
दरअसल, जानकारों के मुताबिक, ये ‘कॉग्निटिव डिसफंक्शन सिंड्रोम’ (CDS) के लक्षण थे, जो बूढ़े कुत्तों और बिल्लियों में पाया जाता है। यह इंसानों में होने वाली अल्जाइमर बीमारी के समान होता है, जिसमें याददाश्त कमजोर हो जाती है और सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है।
क्या सिर्फ उम्र बढ़ने पर ही जानवर मानसिक बीमार होते हैं?
नहीं, जानवरों को किसी भी उम्र में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
🔹 जन्मजात न्यूरोलॉजिकल समस्याएं उनकी सीखने और समझने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
🔹 डरावने या तनावपूर्ण माहौल में रहने से वे डिप्रेशन या एंग्जायटी का शिकार हो सकते हैं।
🔹 पुलिस और सेना में काम करने वाले कुत्तों को पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) हो सकता है।
क्या जानवरों को भी डाउन सिंड्रोम हो सकता है?
इंसानों में डाउन सिंड्रोम तब होता है जब उनके 21वें क्रोमोसोम की अतिरिक्त कॉपी होती है। लेकिन जानवरों में क्रोमोसोम की संरचना अलग होती है, इसलिए वे इस बीमारी से प्रभावित नहीं होते। हालांकि, चिंपांजी और ओरंगुटान जैसे जानवरों में डाउन सिंड्रोम जैसे लक्षण देखे गए हैं।
जापान में "कनाको" नाम की एक चिंपांजी में अतिरिक्त क्रोमोसोम पाया गया था, जिससे उसे हृदय और दृष्टि संबंधी समस्याएँ थीं। लेकिन इंसानों की देखभाल से वह लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकी।
जानवरों में मानसिक तनाव के कारण
🔹 गलत माहौल: अगर जानवरों को उनकी प्राकृतिक आदतें पूरी करने का मौका न मिले, तो वे डिप्रेशन में जा सकते हैं।
🔹 पालतू जानवरों में अकेलेपन का डर (Separation Anxiety): कई कुत्ते जब अपने मालिक से दूर होते हैं तो अत्यधिक तनाव में आ जाते हैं।
🔹 ट्रॉमा: युद्धग्रस्त क्षेत्रों में काम करने वाले या बुरी घटनाओं का सामना कर चुके जानवर PTSD का शिकार हो सकते हैं।
चिड़ियाघरों में मानसिक सेहत का ख्याल
चिड़ियाघरों में जानवरों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए ‘एनवायर्नमेंटल एनरिचमेंट’ दिया जाता है, जैसे:
✅ पेंगुइन के लिए तैरने की सुविधा
✅ मीर्कैट के लिए गड्ढे खोदने की जगह
✅ मुर्गियों के लिए धूल में नहाने का अवसर
जानवरों की मानसिक सेहत का ध्यान कैसे रखें?
अगर आपका पालतू जानवर बार-बार छिपता है, खाना कम कर देता है या आक्रामक हो जाता है, तो यह उसकी मानसिक परेशानी का संकेत हो सकता है। आप इन उपायों से उसकी मदद कर सकते हैं:
✔️ रोज़ाना खेलने और घुमाने ले जाएं।
✔️ नए और रोचक गेम्स के ज़रिए उसका दिमाग सक्रिय रखें।
✔️ अगर समस्या गंभीर हो, तो पशु-चिकित्सक से सलाह लें।
जानवरों की मानसिक सेहत का भी रखें ख्याल-
हम विज्ञान की मदद से जानवरों की मानसिक समस्याओं को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और उनका इलाज कर सकते हैं। लेकिन सबसे जरूरी है कि हम उनके प्रति दया और संवेदनशीलता रखें। मानसिक स्वास्थ्य केवल इंसानों के लिए नहीं, बल्कि जानवरों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है।