बड़ी खबरें

ISRO ने अगले 15 साल का तैयार किया रोड़मैप,अगले साल रोबोट, 2026 में अंतरिक्ष में भेजेगा इंसान, 2040 में चांद पर कदम रखेंगे एक दिन पहले 70 से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग आज से आयुष्मान योजना के दायरे में, सरकारी-प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त इलाज, 6 करोड़ लोगों को फायदा एक दिन पहले लखनऊ में रन फॉर यूनिटी मैराथन आज, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे शुभारंभ, पूरे शहर में रहेगा डायवर्जन एक दिन पहले आज देपसांग-डेमचोक से सैन्य वापसी पूरी होगी, भारत-चीन सीमा पर सेनाएं पहले की तरह करेंगी गश्त एक दिन पहले आज से दीपोत्सव की शुरुआत, धनतेरस पर जमकर होगी खरीदारी, इस बार छह दिनों का होगा उत्सव एक दिन पहले

हीमोग्लोबिन का स्तर घटने से बढ़ सकता है इन बीमारियों का खतरा, जानिए क्या-क्या हैं इसके दुष्प्रभाव?

Blog Image

शरीर को सही ढंग से काम करने के लिए सभी अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाना जरूरी है, और इस काम को हीमोग्लोबिन अंजाम देता है। हीमोग्लोबिन हमारी लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है, जो फेफड़ों से ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाने का काम करता है। जब शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होती है, तो इसका मतलब है कि रक्त में ऑक्सीजन का संचार सही से नहीं हो पा रहा है। यह स्थिति एनीमिया का कारण बनती है, जो धीरे-धीरे शरीर की कार्यक्षमता को प्रभावित करने लगती है। महिलाओं में, विशेषकर, यह समस्या ज्यादा देखी जाती है, खासकर मासिक धर्म या गर्भावस्था के दौरान।

हीमोग्लोबिन की कमी के सामान्य कारण-

  • पोषक तत्वों की कमी:

आयरन, विटामिन बी12, और फोलिक एसिड की कमी से हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो सकता है।

  • मासिक धर्म:

महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान खून की कमी होने से हीमोग्लोबिन कम हो सकता है।

  • अंतर्निहित रोग:

कुछ बीमारियां जैसे क्रोनिक किडनी डिजीज, कैंसर या लीवर की समस्या भी हीमोग्लोबिन की कमी का कारण बन सकती हैं।

कितना होना चाहिए हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर?

सामान्य रूप से, पुरुषों के लिए हीमोग्लोबिन का स्तर 14.0-17.5 ग्राम/डीएल होना चाहिए, जबकि महिलाओं के लिए यह 12.3-15.3 ग्राम/डीएल होता है। अगर महिलाओं में यह स्तर 12 ग्राम/डीएल और पुरुषों में 13 ग्राम/डीएल से कम हो जाए, तो यह स्वास्थ्य के लिए खतरे का संकेत हो सकता है।

हीमोग्लोबिन की कमी के खतरनाक दुष्प्रभाव-

1. लगातार थकान और कमजोरी का अनुभव

हीमोग्लोबिन की कमी से शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह सही से नहीं हो पाता, जिसके कारण मांसपेशियों को जरूरी ऊर्जा नहीं मिल पाती। इसका नतीजा होता है लगातार थकान और कमजोरी। चाहे आप पर्याप्त आराम कर लें, फिर भी शरीर में कमजोरी बनी रह सकती है। हल्की शारीरिक गतिविधि भी आपको अत्यधिक थकान का अनुभव करवा सकती है।

2. सिरदर्द और चक्कर आना

ऑक्सीजन की कमी से दिमाग भी प्रभावित होता है। एनीमिया से पीड़ित लोगों को सिरदर्द, चक्कर आना या ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत महसूस हो सकती है। यह स्थिति लंबे समय तक बने रहने पर मानसिक और शारीरिक कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है।

3. हृदय गति में अनियमितता

हीमोग्लोबिन की कमी से दिल को अधिक काम करना पड़ता है ताकि वह शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचा सके। इस कारण दिल की धड़कन असामान्य हो सकती है। यह स्थिति धीरे-धीरे दिल की बीमारियों का रूप ले सकती है और दिल के दौरे या स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकती है।

4. सांस लेने में दिक्कत

जब शरीर के अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, तो सांस फूलने की समस्या हो सकती है। खासतौर पर हल्के-फुल्के काम करने पर भी सांस लेने में तकलीफ महसूस हो सकती है। कुछ लोगों को आराम की स्थिति में भी सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, जो कि गंभीर स्थिति का संकेत है।

5. रंगत फीकी पड़ जाना

शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के कारण त्वचा की रंगत भी फीकी पड़ सकती है। त्वचा पर पीलेपन या हल्की सफेदी का अनुभव हो सकता है। यह इस बात का संकेत है कि आपके शरीर में पर्याप्त रक्त संचार नहीं हो रहा है, जो कि स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।

हीमोग्लोबिन की कमी के दीर्घकालिक दुष्प्रभाव-

1. मस्तिष्क के कार्यों पर असर

लंबे समय तक हीमोग्लोबिन की कमी मस्तिष्क की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है। व्यक्ति को स्मरण शक्ति में कमी, ध्यान में गिरावट और मानसिक थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

2. प्रतिरक्षा प्रणाली में कमजोरी

हीमोग्लोबिन की कमी से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे आप संक्रमण और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। यह स्थिति आपके शरीर को सामान्य रोगों से लड़ने में भी अक्षम बना सकती है।

3. गर्भावस्था में जोखिम

गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी होने पर गर्भस्थ शिशु के विकास पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। यह स्थिति गर्भपात, शिशु के कम वजन और समय से पहले जन्म जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है।

हीमोग्लोबिन का स्तर बनाए रखने के उपाय-

1. आहार में आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन

हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, दालें, मछली, और रेड मीट जैसे खाद्य पदार्थ आयरन से भरपूर होते हैं, जो हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने में मदद करते हैं।

2. विटामिन सी का सेवन बढ़ाएं

विटामिन सी आयरन के अवशोषण में मदद करता है, इसलिए इसे अपने आहार में जरूर शामिल करें। संतरे, नींबू, आंवला और ब्रोकली जैसे खाद्य पदार्थ विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं।

3. फोलिक एसिड का सेवन करें

फोलिक एसिड शरीर में नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है। हरी पत्तेदार सब्जियां, अंडे, और होल ग्रेन्स फोलिक एसिड के अच्छे स्रोत होते हैं।

4. समय-समय पर जांच कराएं

अगर आपको हीमोग्लोबिन की कमी का अनुभव हो रहा है, तो समय-समय पर ब्लड टेस्ट कराएं और डॉक्टर की सलाह लें। उचित उपचार और पोषक तत्वों की कमी को पूरा करके आप इस समस्या से बच सकते हैं। हीमोग्लोबिन का लगातार कम बना रहना सिर्फ थकान और कमजोरी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। सही समय पर जांच और पोषण से इसे नियंत्रित करना बेहद जरूरी है।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें