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साइबर अपराध इन दिनों देश की सबसे बड़ी चिंताओं में शामिल हो गए हैं। ऑनलाइन धोखाधड़ी, सेक्टार्शन, डाटा चोरी, रैनसमवेयर जैसे अपराध न केवल आम जनता के लिए खतरा बन गए हैं, बल्कि देश की आर्थिक और आंतरिक सुरक्षा को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं। आजकल, लोग अज्ञात कॉल्स और ऑनलाइन लेन-देन से सतर्क हो गए हैं, लेकिन साइबर अपराधों का ग्राफ निरंतर बढ़ रहा है।
साइबर फ्रॉड: 2024 में 11,333 करोड़ का नुकसान
2024 के पहले नौ महीनों में साइबर फ्रॉड की वजह से भारत में 11,333 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। गृह मंत्रालय से जुड़ी एजेंसी सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) के मुताबिक, नवंबर तक लगभग 12 लाख साइबर फ्रॉड की शिकायतें दर्ज की गई हैं। इस तेज़ी से बढ़ते अपराध को रोकने के लिए जल्द ही एक ठोस और बहुमुखी रणनीति की आवश्यकता महसूस हो रही है।
2033 तक हर वर्ष एक लाख करोड़ का साइबर नुकसान
साइबर अपराध पर नजर रखने वाली संस्था पब्लिक रिस्पांस अगेंस्ट हेल्पलेसनेस एंड एक्शन फॉर रिड्रेसल (प्रहार) का अनुमान है कि अगर अपराधों पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो 2033 तक भारत में हर वर्ष एक लाख करोड़ रुपये का साइबर नुकसान होगा। इस स्थिति से निपटने के लिए, विशेष कानूनी और सुरक्षा उपायों की जरूरत है।
साइबर अपराध का असर: आर्थिक और सुरक्षा पर गंभीर खतरे
साइबर अपराध केवल ऑनलाइन धोखाधड़ी तक सीमित नहीं हैं। इनमें डाटा चोरी, रैनसमवेयर, ऑनलाइन हेट क्राइम, साइबर बुलिंग, स्वास्थ्य सेवाओं पर अटैक, और अवैध सट्टेबाजी एप जैसी गंभीर गतिविधियाँ भी शामिल हैं, जो देश की आर्थिक और आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने में भूमिका निभा सकती हैं। खासकर जब इनका उद्देश्य राष्ट्र की आर्थिक या राजनीतिक स्थिरता को नुकसान पहुँचाना हो।
साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में प्रयास
सरकार ने साइबर अपराध से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। 2024 में अगस्त में संसद सत्र के दौरान, गृह मंत्रालय ने बताया कि साइबर फ्रॉड पर रोक लगाना राज्य एजेंसियों की जिम्मेदारी है। इसके तहत, नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल और साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर की स्थापना की गई है। साथ ही, लोगों में जागरूकता फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
साइबर अपराधों से निपटने के लिए विशेष कानून की आवश्यकता
हालांकि, साइबर अपराधों के नियंत्रण के लिए आईटी एक्ट में कुछ बदलाव किए गए हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अभी भी एक विशेष और समर्पित साइबर अपराध कानून की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट के वकील पवन दुग्गल के मुताबिक, सरकार को साइबर अपराधों के रोकथाम के लिए एक बहुमुखी रणनीति तैयार करनी चाहिए, जो विभिन्न सेक्टर्स के हिसाब से अलग-अलग कानूनों का निर्माण करें।
राज्यों में साइबर पुलिस की आवश्यकता
साइबर सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण आवश्यकता यह भी है कि राज्यों में अलग से साइबर पुलिस व्यवस्था बनाई जाए। केंद्र सरकार के द्वारा साइबर सुरक्षा को मज़बूत बनाने के लिए पहल की जानी चाहिए, ताकि साइबर अटैक के खतरों से निपटा जा सके, खासकर सेटेलाइटों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों को बचाने के लिए। रूस और चीन इस दिशा में पहले ही सक्रिय हैं, और भारत को भी इस ओर कदम बढ़ाने की आवश्यकता है।
ब्लॉक किए गए 59 हजार वाट्सएप अकाउंट्स
केंद्र सरकार ने साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए कड़ी कार्रवाई की है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बंडी संजय कुमार ने लोकसभा में बताया कि साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आइ4सी) ने डिजिटल धोखाधड़ी में इस्तेमाल हो रहे 1,700 स्काइप आइडी और 59 हजार वाट्सएप अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया है। इस कदम से 9.94 लाख शिकायतों में से 3,431 करोड़ रुपये की रकम को बचाया गया है। इसके अतिरिक्त, पुलिस रिपोर्ट पर 6.69 लाख सिम कार्ड्स और 1.32 लाख IMEI नंबर भी ब्लॉक किए गए हैं।
साइबर सुरक्षा के लिए ठोस कदम जरूरी
भारत में साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या न केवल आम लोगों के लिए एक खतरा है, बल्कि इससे देश की आर्थिक और सुरक्षा की स्थिरता भी प्रभावित हो रही है। इसके समाधान के लिए, साइबर सुरक्षा में सुधार, खासकर विभिन्न क्षेत्रों के लिए अलग-अलग कानूनों और राज्य स्तर पर साइबर पुलिस की व्यवस्था की जरूरत है। साथ ही, लोगों में साइबर अपराधों से बचने के लिए जागरूकता फैलाना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Baten UP Ki Desk
Published : 4 December, 2024, 5:15 pm
Author Info : Baten UP Ki