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एफिल टावर से ऊंचा है चिनाब ब्रिज, भूकंप और धमाके होंगे बेअसर! जानिए क्या हैं इसकी खासियतें...

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जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज अब बनकर तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इस ऐतिहासिक ब्रिज का उद्घाटन किया। यह ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक का सबसे अहम और सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा रहा। 1315 मीटर लंबा चिनाब ब्रिज एफिल टावर से भी ऊंचा (359 मीटर) है और इसे बनने में 22 साल लगे।

क्यों है चिनाब ब्रिज जरूरी?

पहले जम्मू तक ही रेल नेटवर्क था। कश्मीर घाटी जाने के लिए सड़क या फ्लाइट का सहारा लेना पड़ता था। ठंड में सड़कें बंद हो जाती थीं। अब यह पुल जम्मू से कश्मीर तक सीधी रेल कनेक्टिविटी देगा।

सबसे बड़ी चुनौती — चिनाब नदी पर पुल बनाना

चिनाब नदी पहाड़ों के बीच गहरे खाई में बहती है। इस पर पुल बनाना इंजीनियरिंग के लिए सबसे मुश्किल काम था। 1500 करोड़ रुपये खर्च कर इसे बनाया गया।

क्या है ब्रिज की खासियत?

  • 359 मीटर ऊंचा— एफिल टावर से भी ऊंचा

  • 266 km/h की रफ्तार तक के तूफान को झेलने में सक्षम

  • भूकंप-प्रूफ और ब्लास्ट-प्रूफ स्टील से बना

  • आतंकी हमले के बाद भी ट्रेन 30 km/h रफ्तार से चल सकेगी

कैसा है डिजाइन?

कनाडा की WSP कंपनी ने डिजाइन तैयार किया। 17 स्टील के खंभों पर टिका हुआ यह आर्क ब्रिज है। पुल बनाने के लिए 3000 फीट ऊंचाई तक क्रेन्स का इस्तेमाल हुआ।

किन-किन देशों की भूमिका?

इसमें जर्मनी, दक्षिण कोरिया, भारत की कंपनियां और कोंकण रेलवे शामिल रहे। सबसे खास बात— पुल में इस्तेमाल स्टील को ब्लास्ट-लोड टेस्टिंग के बाद ही लगाया गया ताकि आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में पुल सुरक्षित रहे।

देश को क्या मिलेगा?

अब कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक सीधी ट्रेन सेवा संभव हो जाएगी। यह पुल पर्यटन, कारोबार और रणनीतिक मजबूती के लिहाज से भारत के लिए बड़ा कदम है।

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