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क्यों गठित किया जाता है लॉ कमीशन? जानिए कैसे करता है काम

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केंद्र सरकार ने तीन साल की अवधि के लिए 23वें विधि आयोग यानी लॉ कमीशन का गठन किया है, जिसका कार्यकाल 1 सितंबर 2024 से 31 अगस्त 2027 तक रहेगा। इस संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दी है। नए आयोग में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज अध्यक्ष और सदस्य के रूप में शामिल होंगे। 22वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2024 को समाप्त हो गया था।

23वें विधि आयोग की संरचना

विधि आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष, एक सदस्य-सचिव, और चार पूर्णकालिक सदस्य होंगे। इसके अलावा, विधि कार्य विभाग और विधायी विभाग के सचिव पदेन सदस्य होंगे। आदेश के अनुसार, पैनल में पांच से अधिक अंशकालिक सदस्य नहीं हो सकते। यदि सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो वे अपनी सेवानिवृत्ति या आयोग के कार्यकाल की समाप्ति तक पूर्णकालिक आधार पर सेवा करेंगे।

क्‍या होता है लॉ कमीशन का काम?

लॉ कमीशन का काम जटिल कानूनी मसलों पर सरकार को विशेषज्ञ सलाह देना और कानूनी सुधारों के लिए सिफारिशें करना होता है। यह एक अर्ध-न्यायिक संस्था होती है जो समय-समय पर बदलती कानूनी आवश्यकताओं के मद्देनजर पुराने कानूनों को अद्यतन करने और नए कानूनों का मसौदा तैयार करने में सहायता करती है। लॉ कमीशन के सुझाव विधायिका, न्यायपालिका, और सरकार के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन ये सुझाव बाध्यकारी नहीं होते।

अध्यक्ष और सदस्यों का वेतन

आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त "अन्य श्रेणी" के व्यक्तियों को प्रति माह 2.50 लाख रुपये का निर्धारित वेतन मिलेगा, जबकि पूर्णकालिक सदस्यों को 2.25 लाख रुपये प्रति माह का वेतन दिया जाएगा।

22वें विधि आयोग का कार्यकाल और उसकी गतिविधियाँ

22वें विधि आयोग का गठन 21 फरवरी 2020 को तीन साल के लिए हुआ था। आयोग के अध्यक्ष के रूप में जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने 9 नवंबर 2022 को कार्यभार संभाला था। इस आयोग ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार को सलाह दी, जिनमें वन नेशन-वन इलेक्शन, पॉक्सो एक्ट, और यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) शामिल हैं। हालांकि, UCC पर आयोग की रिपोर्ट अभी अधूरी है।

प्रधानमंत्री का समान नागरिक संहिता पर जोर

स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता (UCC) के लिए नए सिरे से जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि देश के लिए धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता समय की मांग है और मौजूदा कानूनों को सांप्रदायिक नागरिक संहिता करार दिया था। अनुच्छेद 44 के तहत, राज्य का कर्तव्य है कि वह पूरे भारत में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करे। UCC भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में एक प्रमुख मुद्दा रहा है।

भारत में विधि आयोग का इतिहास

स्वतंत्रता के बाद, भारत में पहला विधि आयोग 1955 में स्थापित किया गया था। तब से अब तक 22 आयोगों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इन आयोगों का मुख्य कार्य जटिल कानूनी मुद्दों पर सरकार को सलाह देना है। 22वें विधि आयोग ने UCC पर लोगों से सुझाव भी मांगे थे, जिसमें 46 लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए थे। 23वें विधि आयोग का गठन एक महत्वपूर्ण समय पर हुआ है, जब सरकार कई संवेदनशील कानूनी मुद्दों पर विचार कर रही है। आगामी तीन वर्षों में, यह आयोग महत्वपूर्ण कानूनी सुधारों और नीतिगत मामलों पर अपनी सिफारिशें देगा, जो भारतीय समाज और न्याय प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं।

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