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खत्म हुआ भद्राकाल, जानिए रक्षाबंधन का कब से कब तक है शुभ मुहूर्त

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आज पूरे देश में भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और सुरक्षा का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल का प्रभाव था, जिसे शुभ नहीं माना जाता है। रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल समाप्त हो चुका है। आज सुबह से भद्राकाल था, जो दोपहर 01:32 बजे समाप्त हुआ। इसके बाद, राखी बांधने का शुभ समय शाम 09:31 बजे तक रहेगा। भद्राकाल के दौरान राखी बांधना या कोई भी शुभ कार्य करना अनुशासनहीन माना जाता है।

राखी बांधते समय जाप करने वाला मंत्र-

रक्षाबंधन के दिन राखी बांधते समय इस मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है:

येन बद्धो बली राजा, दानवेंद्रो महाबल:। तेन त्वाम् प्रतिपद्धनामि, रक्षे माचल माचल:।

रक्षाबंधन की पूजा थाली में सामग्री-

  • अक्षत (चिउड़े)
  • नारियल
  • पानी का लोटा
  • कुमकुम
  • राखी
  • मिठाई
  • दीपक
  • रुमाल

श्रावण पूर्णिमा

आज श्रावण पूर्णिमा का पर्व भी है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं से युक्त रहता है। पूजा-पाठ, जाप और दान का विशेष महत्व होता है। गंगा स्नान और पूजा करने से जीवन के दोषों से मुक्ति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

रक्षाबंधन 2024: भद्राकाल और शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन 2024 का त्योहार आज है। भद्राकाल के कारण राखी बांधने का शुभ समय दोपहर 01:32 बजे से लेकर रात 09:31 बजे तक रहेगा। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती और भाई की सुरक्षा का वादा करने का अवसर प्रदान करता है।

रक्षाबंधन मनाने की पौराणिक कथाएं

1. श्रीकृष्ण और द्रौपदी:

भगवान कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई थी। द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा काटकर उनकी उंगली पर बांध दिया। इस पर भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की हमेशा रक्षा करने का वादा किया, जिसे उन्होंने द्रौपदी के अपमान के समय पूरा किया।

2. इंद्र और इंद्राणी:

जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध शुरू हुआ और देवता हारने लगे, तब इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने एक पवित्र धागा अपने पति की कलाई पर बांधकर विजय की कामना की, और इंद्र ने विजय प्राप्त की।

3. मां लक्ष्मी और राजा बलि:

राजा बलि ने देवताओं से स्वर्ग जीत लिया था और भगवान विष्णु को रसातल में रहने का वचन दिया। लक्ष्मीजी ने राजा बलि को राखी बांधकर अपने पति को वापस लाने का वादा किया। इस प्रकार, रक्षा बंधन का त्योहार प्रचलित हुआ।

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