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क्या विपक्षी दल उपराष्ट्रपति को कर रहे हैं हटाने की तैयारी?

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(Special Story) चर्चा है कि विपक्षी पार्टियां उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को उनके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव (No-Confidence Resolution) लाने की तैयारी में हैं। इंडिया अलायंस और दूसरे विपक्षी दल राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के कथित पक्षपातपूर्ण रवैये से नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि 9 अगस्त को विपक्ष के हंगामे के बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि, जब संसद नहीं चल रही तो प्रस्ताव किस तरीके से लाया जाएगा। 

उपराष्ट्रपति को दोहरी भूमिका

देश का संविधान भारत के उपराष्ट्रपति को दोहरी भूमिका सौंपता है। पहली भूमिका ये है कि वो कार्यपालिका के दूसरे मुखिया होते हैं और दूसरी भूमिका यह है कि वह संसद के राज्यसभा के सभापति होते हैं। उपराष्ट्रपति का पद अमेरिका के उपराष्ट्रपति की तर्ज पर बनाया गया है, परन्तु इसमें काफी भिन्नता है। जहा अमेरिका का उपराष्ट्रपति ,राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर, पूर्व राष्ट्रपति के शेष कार्यकाल तक उस पद पर बना रहता है वही भारत का उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर तब तक राष्ट्रपति बना रह सकता है जब तक नया राष्ट्रपति पद ग्रहण ना कर ले।

कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव? 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, निवर्तमान उपराष्ट्रपति के पद की अवधि की समाप्ति से पहले अगले चुनाव को किया जाना आवश्यक है। संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय वोट और सीक्रेट बैलेट पेपर द्वारा होता है। इलेक्टोरल कॉलेज में शामिल हैं: 1) राज्य सभा के सभी सदस्य और 2) लोकसभा के सभी सदस्य। सिंगल वोट यानी मतदाता एक ही वोट देता है, लेकिन वह कई उम्मीदवारों को अपनी प्राथमिकता के आधार पर वोट देता है। अर्थात् वह बैलेट पेपर पर यह बताता है कि उसकी पहली पसंद कौन है और दूसरी, तीसरी कौन। यदि पहली पसंद वाले वोटों से विजेता का फैसला नहीं हो सका, तो उम्मीदवार के खाते में वोटर की दूसरी पसंद को नए सिंगल वोट की तरह ट्रांसफर किया जाता है। इसलिये इसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट कहा जाता है। उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में किसी भी विवाद की जांच और निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है जिसका निर्णय अंतिम होता है।
 

उपराष्ट्रपति बनने की क्या होती है योग्यता?

कोई व्यक्ति भारत का उपराष्ट्रपति चुने जाने के लिए तभी योग्य होगा जब वह कुछ शर्तों को पूरा करता हो। जैसे, वह भारत का नागरिक होना चाहिए, उम्र 35 साल से कम नहीं होनी चाहिए और वह राज्यसभा के लिए चुने जाने की योग्यताओं को पूरा करता हो। अगर कोई भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन कोई लाभ का पद रखता है तो वह उपराष्ट्रपति चुने जाने के योग्य नहीं होगा। अगर संसद के किसी सदन या राज्य विधानमंडल का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति चुन लिया जाता है तो यह समझा जाता है कि उन्होंने उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण करते ही अपना पुराना पद छोड़ दिया है।
 

उपराष्ट्रपति को पद की शपथ

अनुच्छेद 69 के अनुसार राष्ट्रपति या उनकी ओर से नियुक्त किसी व्यक्ति द्वारा उपराष्ट्रपति को पद की शपथ दिलाई जाती है। उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण करने की तारीख से 5 वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करता है।

क्या होती है  उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया?

अब बात आती है कि कैसे उपराष्ट्रपति अपने पद को छोड़ सकता है या उस को उसके पद से हटाया जा सकता है। तो इसके लिए 5 तरीके होते हैं - 1) उसकी 5 वर्षीय पदावधि की समाप्ति होने पर, 2) उसके द्वारा राष्ट्रपति को त्यागपत्र दी जाने पर, 3) उसकी मृत्यु पर, 4) यदि उसका निर्वाचन अवैध घोषित हो और 5) उसे बर्खास्त करने पर अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राष्ट्रपति की तरह औपचारिक महाभियोग की आवश्यकता नहीं होती है। उसे राज्यसभा द्वारा संकल्प पारित कर पूर्ण बहुमत द्वारा हटाया जा सकता है और इस पर लोकसभा की सहमति जरूरी होती है। हां, राज्य सभा में प्रस्ताव पारित करने से पहले उसे 14 दिनों का नोटिस दिया जाना आवश्यक होता है।
 
क्या होती उपराष्ट्रपति की मुख्य जिम्मेदारी?
 

उपराष्ट्रपति के कामों की बात करें तो संविधान में उपराष्ट्रपति को मुख्य जिम्मेदारी यही दी गई है कि वह राज्यसभा का सभापति होता है। इसके अलावा भी कुछ भूमिकाएं हैं जिनका निर्वहन उपराष्ट्रपति को करना होता है जैसे कि अगर राष्ट्रपति का पद किसी वजह से ख़ाली हो जाए तो यह ज़िम्मेदारी उपराष्ट्रपति को ही निभानी पड़ती है, क्योंकि राष्ट्र प्रमुख के पद को ख़ाली नहीं रखा जा सकता। हालांकि उपराष्ट्रपति को सिर्फ 6 महीने के लिए ही राष्ट्रपति बनाया जा सकता है और इस दौरान राष्ट्रपति का चुनाव करवाना आवश्यक होता है। जब वह राष्ट्रपति की तरह कार्य करता है, तो उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के कर्तव्यों का पालन नहीं करता है। इस अवधि में वह कर्तव्य राज्यसभा के उपसभापति निभाते हैं। चूँकि उपराष्ट्रपति सदन का सदस्य नहीं होता है, इसलिए अमूमन वह सदन में अपने मत का प्रयोग नहीं करता है, लेकिन वोट बराबर होने की स्थिति में निर्णायक मत का प्रयोग कर सकता है। पदक्रम यानी Hierarchy के आधार पर देखें तो उपराष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति से नीचे और प्रधानमंत्री से ऊपर होता है। उपराष्ट्रपति विदेश दौरों पर भी जाते हैं, ताकि अन्य देशों के साथ कूटनीतिक रिश्ते मज़बूत किए जा सकें। 

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