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कपूर खानदान का बॉलीवुड में था जलवा, फिर भी शशि को लगाने पड़े चक्कर

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(Special Story)  2011 में पद्म भूषण और 2014 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित अभिनेता शशि कपूर का हिंदी सिनेमा में अहम योगदान रहा है। बचपन से ही एक्टिंग के माहौल में पले-बड़े Shashi Kapoor का रुझान अभिनय की तरफ रहा है। शशि कपूर अक्सर पृथ्वी थिएटर में होने वाले नाटकों में राज कपूर के बचपन का रोल निभाया करते थे। इसके बावजूद उनका फिल्मी सफर आसान नहीं रहा कपूर खानदान का नाम होने के बावजूद भी उनकी लांचिंग वैसी नहीं हुई जैसे-अभिनेता-अभिनेत्रियों के बच्चों की होती है। नमक हलाल और सत्यम शिवम सुंदरम जैसी यादगार फिल्में ऑडियंस को देने वाले शशि कपूर की बर्थ एनिवर्सरी पर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से....

नहीं था असली नाम शशि कपूर -

18 मार्च 1938 को कोलकाता में जन्में शशि कपूर का नाम आज भी पूरी दुनिया में पॉपुलर है। लेकिन क्या आपको पता है इनका असली नाम शशि नहीं था। शशि कपूर का असली नाम बलबीर राज था। इनकी मां रामसरनी कपूर को उनका यह नाम जरा भी पसंद नहीं था। इतना ही नहीं वह इस नाम से बेहद चिढ़ती थीं। वह हमेशा अपने लाडले बेटे को शशि कहकर ही बुलाती थीं। तीनों भाइयों में शशि कपूर सबसे छोटे थे। मां को उनको असली नाम पसंद नहीं आया तो उन्होंने प्यार से उन्हें शशि कहकर बुलाना शुरू किया और यहीं से उनका नाम शशि कपूर हो गया।

शशि कपूर का फिल्मी सफर-

फिल्म ‘आवारा’ में भी वे बतौर बाल कलाकार उपस्थित थे। फिल्म के निर्देशक उनके बड़े भाई राज कपूर थे। इसमें उन्होंने राज कपूर के बचपन की भूमिका निभाई थी। लेकिन शशि का असली संघर्ष तब आरंभ हुआ, जब उन्होंने फिल्मों में बतौर एक्टर काम करना शुरू किया। वह भले ही पृथ्वीराज कपूर के बेटे थे और उनके दोनों बड़े भाई राज कपूर और शम्मी कपूर स्टार थे, लेकिन शशि की राहें आसान नहीं थीं। फिल्मों में करियर बनाने के इच्छुक लोगों की तरह वह भी निर्माता और निर्देशकों के चक्कर लगाते थे। आखिर में उन्हें पहला ब्रेक फिल्म ‘चार दीवारी’ में मिला। 

यश चोपड़ा से  पहली मुलाकात-

‘चार दीवारी’ में उन्हें भले ही पहला ब्रेक मिला, लेकिन ‘धर्मपुत्र’ उनकी बतौर पहली फिल्म प्रदर्शित हुई। इस फिल्म के मिलने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। फिल्ममेकर यश चोपड़ा ने शशि को मुंबई के एक रेस्त्रां में देखा था। उस रेस्त्रां में तब संघर्षरत कलाकार अक्सर जाते थे। उस दौरान यश ने शशि को देखकर अपनी टेबल पर बुलाया। दोनों के बीच बातचीत हुई। यश ने उनसे अपने बड़े भाई बी.आर. चोपड़ा से मिलने के लिए कहा  क्योंकि यश ने उन्हें एक कहानी सुनाई थी, जिसे उनके भाई प्रोड्यूस करने वाले थे और इस फिल्म का नाम ‘धर्मपुत्र’था। 

उनके करियर की 10 प्रमुख फिल्मों के बारे में

शशि कपूर की बर्थ एनीवर्सी के मौके पर  शशि कपूर के लाखों चाहने वाले उनकी फिल्में देख सकते हैं।

 फिल्म 'हसीना मान जाएगी' (1 जनवरी 1968)

 फिल्म कन्यादान (9 अगस्त 1968)

फिल्म एक श्रीमान एक श्रीमती (31 दिसंबर 1968)

फिल्म जब जब फूल खिले (5 नवंबर 1965)

फिल्म शर्मीली (1 जनवरी 1971)

फिल्म  जानवर और इंसान (1 जनवरी 1972)

फिल्म  आ गले लग जा (16 नवंबर 1973)

फिल्म  चोर मचाए शोर ( 18 मार्च 1974)

फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम ( 22 मार्च 1978)

फिल्म जुनून (30 मार्च 1979)

पद्म भूषण से सम्मानित-

भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 2011 में पद्म भूषण और 2014 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अभिनेता शशि कपूर, जिन्होंने इतना प्रतिष्ठित अभिनय किया कि उन भूमिकाओं में किसी अन्य अभिनेता की कल्पना करना लगभग असंभव है। उन्होंने 4 दिसंबर, 2017 को अंतिम सांस ली। महान अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के सबसे छोटे बेटे को फिल्मों में उनकी भूमिकाओं के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

 

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