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RBI को मिला उसका नया गवर्नर, 1990 बैच के IAS संभालेंगे कमान

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को उसका 26वां गवर्नर मिल गया है। राजस्थान कैडर के 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी संजय मल्होत्रा को RBI के नए गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया है। वे वर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास का स्थान लेंगे। वित्त मंत्रालय की ओर से सोमवार को यह घोषणा की गई, जो देश की आर्थिक और वित्तीय व्यवस्था के लिए एक नई दिशा का संकेत देती है।

संजय मल्होत्रा के जीवन पर एक नजर-

संजय मल्होत्रा ने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, अमेरिका से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। अपने 33 वर्षों के करियर में उन्होंने बिजली, वित्त, कर प्रणाली (Taxation), सूचना प्रौद्योगिकी और खनन जैसे कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम किया है। वर्तमान में, वे राजस्व सचिव के रूप में कार्यरत हैं और इसके पहले वे वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के सचिव रह चुके हैं।

संजय मल्होत्रा के इन कामों की गई सराहना-

Taxation और वित्तीय क्षेत्र में उनके योगदान को व्यापक रूप से सराहा गया है। उन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों (Direct and Indirect Taxes) की नीतियों में बड़े सुधार किए हैं और सरकारी राजस्व बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।

क्या होती है RBIगवर्नर की नियुक्ति प्रक्रिया?

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर की नियुक्ति RBI अधिनियम, 1934 के तहत की जाती है। यह नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा गठित फाइनेंशियल सेक्टर रेगुलेटरी अपॉइंटमेंट सर्च कमिटी के माध्यम से की जाती है। इसमें कैबिनेट सचिव, वर्तमान आरबीआई गवर्नर, वित्तीय सेवा सचिव और दो स्वतंत्र सदस्य शामिल होते हैं। योग्य उम्मीदवारों की सूची तैयार कर इसे कैबिनेट कमिटी ऑन अपॉइंटमेंट्स को भेजा जाता है। गवर्नर बनने के लिए कोई विशेष शैक्षणिक योग्यता तय नहीं है, लेकिन आमतौर पर सिविल सेवा अधिकारी या अर्थशास्त्री ही इस पद पर नियुक्त होते हैं।

संजय मल्होत्रा के सामने क्या हैं चुनौतियां?

संजय मल्होत्रा ऐसे समय में यह पद संभाल रहे हैं जब भारतीय अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर दबाव का सामना कर रही है:

  1. GDP ग्रोथ: वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में GDP वृद्धि घटकर 5.4% रह गई है।
  2. रुपये की कमजोरी: भारतीय रुपये में गिरावट जारी है, जिससे आयात महंगा हो रहा है और व्यापार घाटा बढ़ रहा है।
  3. महंगाई और ब्याज दरें: महंगाई पर काबू पाने और ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती मांग को संतुलित करना नए गवर्नर के लिए बड़ी चुनौती होगी।
  4. वैश्विक मंदी का प्रभाव: वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखना भी एक अहम जिम्मेदारी होगी।

RBI की प्राथमिकताएं और अगला कदम-

शक्तिकांत दास के कार्यकाल के दौरान ब्याज दरों को स्थिर रखा गया था, लेकिन अब दरों में कटौती की मांग बढ़ रही है। फरवरी 2025 में होने वाली Monetary Policy Committee (MPC) की बैठक में संजय मल्होत्रा को इन मुद्दों पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे। संजय मल्होत्रा ने हाल ही में राजस्व अधिकारियों से कहा था कि "अर्थव्यवस्था के हितों को प्राथमिकता दी जाए।" यह बयान उनकी आर्थिक दृष्टि और संतुलित नीति निर्माण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

नया गवर्नर, नई उम्मीदें-

संजय मल्होत्रा की नियुक्ति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। जहां चुनौतियां अधिक हैं, वहीं उनकी विशेषज्ञता और अनुभव से वित्तीय स्थिरता और विकास को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। अब सभी की निगाहें उनके अगले कदमों पर टिकी हैं।

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