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भारत तेजी से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी जगह मजबूत कर रहा है। प्रतिभा और कौशल के क्षेत्र में भारत ने हाल के वर्षों में बड़ी छलांग लगाई है। देश के स्नातकों की रोजगार काबिलियत लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2025 की व्हीबॉक्स ईटीएस इंडिया स्किल्स रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष 54.81% स्नातक रोजगार के काबिल हो गए हैं, जो पिछले साल के 51.25% की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।
एक दशक में 17% की काबिलियत वृद्धि-
रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, 50% से अधिक भारतीय स्नातक अब रोजगार के काबिल हैं। एक दशक पहले यह आंकड़ा मात्र 33% था। इस दौरान 17% की वृद्धि ने न केवल भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार को दिखाया है, बल्कि यह भी प्रमाणित किया है कि भारत की कार्यबल तैयार करने की प्रतिबद्धता भविष्य की वैश्विक जरूरतों को पूरा करने में मददगार साबित हो रही है।
डिजिटलीकरण से खुले नए अवसर-
डिजिटलीकरण और हाइब्रिड कार्य संस्कृति ने भारतीय प्रतिभाओं के लिए वैश्विक स्तर पर नए अवसर पैदा किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन परिवर्तनों के चलते 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में $500 अरब का योगदान संभव है, जिसमें भारत की भूमिका केंद्रीय होगी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 6.5 लाख से अधिक उम्मीदवारों के डेटा पर आधारित यह विश्लेषण भारत की क्षमता और संभावनाओं को उजागर करता है।
कुशल प्रतिभा का अनूठा लाभ-
भारत की कुशल और प्रमाणित प्रतिभा ने उसे एक अनूठा लाभ प्रदान किया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग, और ऑटोमेशन जैसी उभरती तकनीकों में भारत के फोकस ने पारंपरिक नौकरी भूमिकाओं को नया आकार दिया है और नए अवसरों के द्वार खोले हैं। यह भारत की तकनीकी और व्यावसायिक दक्षता को दर्शाता है।
निर्माण और वित्तीय क्षेत्र में भारी मांग-
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के $2.5 ट्रिलियन के निर्माण क्षेत्र को आवासीय और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए कुशल इंजीनियरों और योजनाकारों की आवश्यकता है। वित्तीय क्षेत्र में फिनटेक और ग्रीन फाइनेंस जैसे उभरते क्षेत्रों के लिए 2030 तक चार लाख से अधिक पेशेवरों की मांग होगी। इसके अलावा, यूरोप का स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र 16 लाख कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है, जबकि आईटी उद्योग को दो करोड़ डिजिटल कौशल से लैस पेशेवरों की जरूरत है।
भारत के लिए एक स्वर्णिम दशक-
व्हीबॉक्स के सीईओ और इंडिया स्किल्स रिपोर्ट के संयोजक निर्मल सिंह ने इस दशक को “भारत का दशक” बताया। उन्होंने कहा कि वैश्विक प्रतिभा गतिशीलता में भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है। कौशल प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार और इसे व्यापक रूप से अपनाने की आवश्यकता है, ताकि भारत इस अवसर का अधिकतम लाभ उठा सके।
भविष्य की तैयारियां और चुनौती-
भारत में रोजगार काबिल स्नातकों की संख्या में वृद्धि ने देश की संभावनाओं को वैश्विक स्तर पर बढ़ाया है। हालांकि, निर्माण, वित्तीय और स्वास्थ्य क्षेत्रों में पेशेवरों की कमी जैसी चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं।
युवा कार्यबल को और अधिक कुशल बनाने पर ध्यान-
भारत का बढ़ता कौशल स्तर और रोजगार काबिल स्नातकों की संख्या न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगी, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी भारत को एक निर्णायक भूमिका निभाने में सक्षम बनाएगी। यह समय है कि हम अपने युवा कार्यबल को और अधिक कुशल बनाने पर ध्यान केंद्रित करें और वैश्विक अवसरों का लाभ उठाएं।
Baten UP Ki Desk
Published : 11 December, 2024, 1:32 pm
Author Info : Baten UP Ki