नवंबर 2024 में भारत के वस्तु निर्यात में 4.85% की गिरावट आई है, जो घटकर 32.11 अरब डॉलर रह गया। पिछले वर्ष इसी माह में यह आंकड़ा 33.75 अरब डॉलर था। निर्यात में यह गिरावट वैश्विक मांग में कमी और अंतरराष्ट्रीय बाजार की अनिश्चितताओं के कारण बताई जा रही है।
आयात में भारी उछाल: 27% की वृद्धि-
उसी समय, आयात में बड़ी बढ़त दर्ज की गई है। नवंबर 2024 में आयात 27% बढ़कर 69.95 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले वर्ष नवंबर में यह 55.06 अरब डॉलर था। इस उछाल के पीछे कच्चे तेल और सोने जैसे महंगे आयातों की बढ़ी हुई मांग मुख्य कारण है।
व्यापार घाटा बढ़कर 37.84 अरब डॉलर पहुंचा-
नवंबर के महीने में आयात और निर्यात के बीच का अंतर, यानी व्यापार घाटा, बढ़कर 37.84 अरब डॉलर हो गया। यह भारत के आर्थिक संतुलन के लिए एक चुनौती के रूप में उभर रहा है।
अक्टूबर में दिखा था सुधार-
गौरतलब है कि अक्तूबर 2024 में भारत का वस्तु निर्यात 17.25% बढ़कर 39.2 अरब डॉलर हो गया था, जो एक सकारात्मक संकेत था। हालांकि, नवंबर में निर्यात के आंकड़ों में आई गिरावट ने आर्थिक विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है।
अप्रैल-नवंबर: वित्तीय वर्ष का मिला-जुला प्रदर्शन-
चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले आठ महीनों (अप्रैल से नवंबर) के दौरान निर्यात में 2.17% की मामूली बढ़ोतरी हुई, जिससे कुल निर्यात 284.31 अरब डॉलर तक पहुंचा। दूसरी ओर, आयात 8.35% बढ़कर 486.73 अरब डॉलर हो गया।
विशेषज्ञों की राय: संतुलन की आवश्यकता-
विश्लेषकों का कहना है कि आयात और निर्यात के बीच बढ़ता अंतर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है। निर्यात में गिरावट को रोकने के लिए नई नीतियां और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के उपाय जरूरी हैं।
व्यापार घाटे पर काबू पाने की चुनौती-
नवंबर के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि भारत को व्यापार संतुलन बनाए रखने के लिए निर्यात को बढ़ावा देने और आयात को नियंत्रित करने पर ध्यान देना होगा। यदि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाते हैं, तो आगामी महीनों में स्थिति में सुधार की संभावना है।