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विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक उछाल, भारत ने दुनिया में हासिल किया चौथा स्थान!

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भारत का 'विदेशी मुद्रा भंडार' (Forex Reserves) ने नया कीर्तिमान स्थापित कर लिया है, जो अब 683.987 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। 30 अगस्त को समाप्त सप्ताह में यह भंडार 2.299 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज करने में सफल रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली। इसके पहले 16 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 4.546 अरब डॉलर और 23 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 7.023 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी, जिससे तीन सप्ताह में कुल 13.868 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है।

FCA में बड़ा उछाल-

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 30 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियों (Foreign Currency Assets - FCA) में 1.485 अरब डॉलर की वृद्धि हुई, जिससे यह 599.037 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गई। विदेशी मुद्रा आस्तियां विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा होती हैं, जिनमें डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड, और येन जैसी प्रमुख गैर-अमेरिकी मुद्राओं की भी हिस्सेदारी होती है। इन मुद्राओं में होने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा असर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ता है।

गोल्ड रिजर्व में वृद्धि-

इस सप्ताह गोल्ड रिजर्व में भी अच्छा उछाल देखने को मिला। गोल्ड रिजर्व का मूल्य 86.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 61.859 अरब डॉलर हो गया है। इसके साथ ही, विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights - SDR) 90 लाख डॉलर बढ़कर 18.468 अरब डॉलर हो गए हैं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के पास भारत का आरक्षित भंडार 5.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.622 अरब डॉलर हो गया है।

दुनिया में चौथे स्थान पर भारत-

भारत विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में विश्व में चौथे स्थान पर पहुंच गया है, जो देश के आर्थिक शक्ति और स्थिरता का महत्वपूर्ण संकेत है। चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद भारत ने यह स्थान हासिल किया है। पिछले कुछ वर्षों में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि हुई है, जिससे भारत की वित्तीय स्थिति और भी मजबूत हो गई है।

  1. चीन
  2. जापान
  3. स्विट्जरलैंड
  4. भारत

यह विदेशी मुद्रा भंडार न केवल आर्थिक संकट के समय देश को आत्मविश्वास प्रदान करता है, बल्कि इसे वैश्विक मंच पर एक मजबूत स्थिति में भी रखता है। अगर कभी रुपये की कीमत में गिरावट के आसार बनते हैं, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास हस्तक्षेप करने के कई विकल्प होते हैं, जिससे बाजार में स्थिरता लाई जा सके। विदेशी मुद्रा भंडार की मजबूती का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह देश की आयात-निर्यात संतुलन और बाहरी देनदारियों को सुरक्षित बनाए रखने में मदद करता है। आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, बढ़ता भंडार देश को निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनाता है और वैश्विक व्यापार में देश की स्थिति को और मजबूत करता है।

संकट के समय के लिए सुरक्षा-

विदेशी मुद्रा भंडार का मजबूत होना भारत के लिए आर्थिक संकट के समय एक सुरक्षा कवच के समान होता है। इससे वैश्विक बाजारों में होने वाले उतार-चढ़ाव और रुपए के मूल्य में गिरावट को रोकने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं, इससे देश की आयात जरूरतों को भी पूरा करने में सहूलियत होती है, खासकर ऊर्जा संसाधनों जैसे तेल और गैस की आपूर्ति के संदर्भ में, जिनके लिए विदेशी मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

निरंतर बढ़ोतरी का संकेत-

हाल के वर्षों में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहा है, जो देश की आर्थिक प्रगति और वैश्विक वित्तीय स्थिरता में सुधार का प्रतीक है। यह वृद्धि न केवल देश की वित्तीय सेहत को दर्शाती है, बल्कि वैश्विक बाजारों में भारत की साख को भी मजबूती देती है। आने वाले समय में, यह भंडार देश को और भी बड़े आर्थिक संकटों से निपटने की क्षमता प्रदान करेगा, जिससे देश की आर्थिक स्थिरता और सुदृढ़ होगी।अर्थव्यवस्था के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिससे न केवल वित्तीय स्थिरता में इजाफा होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति भी और मजबूत होगी।

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