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हिंडनबर्ग रिपोर्ट के दावों का दिखा खोखलापन, निवेशकों ने दिखाया भारतीय मार्केट पर भरोसा

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(Special Story)

हम सबने बचपन में ये कहानी जरूर पढ़ी होगी कि एक चरबाहा रोज, 'भेड़िया आया, भेड़िया आया" कहकर सिद्दत से खेतों में काम कर रहे किसानों का ध्यान भ्रमित कर देता था। लेकिन बाद में उस पर किसी नें भी भरोसा नहीं किया और अंत में उसका अंजाम भी बहुत बुरा हुआ। कुछ ऐसा ही हाल हिंडनबर्ग रिपोर्ट का हो रहा है। दरअसल अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की एक नई रिपोर्ट ने भारत में फिर से हलचल मचा दी है। इस बार हिंडनबर्ग ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बुच दंपती ने उन ऑफशोर फंड्स में निवेश किया था, जिनका इस्तेमाल अदाणी समूह के शेयरों में अप्राकृतिक तेजी लाने के लिए किया गया था। हालांकि, बुच दंपती ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उनके सभी निवेश नियमों के अनुसार पारदर्शिता के साथ किए गए हैं। इसके साथ ही आज शेयर बाजार में भी आंशिक गिरावट के बाद उबार देखने को मिला और निवेशकों का भारतीय बाजार पर भरोसा बरकरार रहा।

क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च?

हिंडनबर्ग रिसर्च एक वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ों का विश्लेषण करती है। इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी। हिंडनबर्ग रिसर्च हेज फंड का कारोबार भी करती है। इसे कॉर्पोरेट जगत की गतिविधियों के बारे में खुलासा करने के लिए जाना जाता है। इस कंपनी का नाम हिंडनबर्ग आपदा पर आधारित है जो 1937 में हुई थी, जब एक जर्मन यात्री हवाई पोत में आग लग गई थी, जिसमें 35 लोग मारे गए थे। कंपनी के दावे के अनुसार, फर्म यह पता लगती है कि क्या शेयर मार्केट में कहीं गलत तरीके से पैसों की हेरा-फेरी तो नहीं हो रही है? क्या कोई कंपनी अकाउंट मिसमैनेजमेंट तो खुद को बड़ा नहीं दिखा रही है? क्या कंपनी अपने फायदे के लिए शेयर मार्केट में गलत तरह से दूसरी कंपनियों के शेयर को बेट लगाकर नुकसान तो नहीं पहुंचा रही?

सेबी प्रमुख और अदाणी समूह के खिलाफ आरोप-

हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने बरमूडा और मॉरीशस में स्थित अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। रिपोर्ट का दावा है कि इन कोषों का इस्तेमाल विनोद अदाणी ने अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए किया था।

अदाणी समूह और सेबी की प्रतिक्रिया-

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद सेबी और अदाणी समूह दोनों ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। सेबी ने कहा कि वह इस मामले में उचित कार्रवाई कर रही है और निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। अदाणी समूह ने भी इस रिपोर्ट को भ्रामक और झूठ का पुलिंदा करार दिया था। सरकार की ओर से दिए गए इस बयान के बाद यह साफ हो गया है कि इस मामले में अब नियामकों के फैसलों पर ही ध्यान केंद्रित किया जाएगा और सरकार किसी भी नए हस्तक्षेप की योजना नहीं बना रही है।

बुच दंपती ने दी प्रतिक्रिया-

बुच दंपती ने 11 अगस्त को जारी बयान में हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा किए गए सभी निवेश सार्वजनिक रूप से घोषित और कानूनी रूप से वैध थे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये निवेश 2015 में किए गए थे, जब वे एक आम नागरिक के रूप में सिंगापुर में रह रहे थे। सेबी प्रमुख बनने के बाद ये निवेश निष्क्रिय हो गए थे।

अदाणी समूह का बयान-

अदाणी समूह ने भी इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। समूह ने इसे "दुर्भावनापूर्ण, शरारती और भ्रामक" करार दिया और कहा कि यह आरोप गलत दावों की पुनरावृत्ति है, जिनकी पहले ही पूरी तरह जांच हो चुकी है और ये आरोप निराधार साबित हुए हैं।

हिंडनबर्ग की विश्वसनीयता पर सवाल-

हिंडनबर्ग की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक, अमेरिकी न्याय विभाग ने दर्जनों बड़े शॉर्ट सेलिंग निवेश और शोध फर्मों की जांच शुरू की थी, जिसमें हिंडनबर्ग रिसर्च भी शामिल है। इस जांच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या इन फर्मों ने अवैध व्यापारिक रणनीतियों का उपयोग करके शेयर की कीमतों को गिराने की साजिश रची थी।

राजनीतिक गलियारों में हलचल-

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद विपक्ष ने सेबी प्रमुख के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी है, जबकि भाजपा ने इस रिपोर्ट को भारत को आर्थिक रूप से अस्थिर करने की साजिश करार दिया है। इस पूरी स्थिति ने भारतीय शेयर बाजार और राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। आगे की जांच और विकास पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सरकार का जवाब-

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के बारे में किए गए खुलासों ने देशभर में हलचल मचा दी है। इस मामले में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से लेकर अदाणी समूह और वित्तीय विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है। सरकार की ओर से भी इस मुद्दे पर बयान सामने आया है। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने इस विषय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सभी नियामक एजेंसियों ने अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। ऐसे में अब सरकार के पास कुछ नया कहने के लिए नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि नियामकों ने इस मुद्दे पर अपना रुख साफ कर दिया है और सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अदाणी समूह को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके बाद से इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। सेबी और अन्य संबंधित संस्थाओं की तरफ से स्थिति को स्पष्ट करने के बाद, अब सरकार ने भी इस पर अपनी चुप्पी तोड़ी है।

हिंडनबर्ग का नहीं दिखा भारतीय बाजार पर असर-

भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने कांग्रेस और हिंडनबर्ग रिसर्च के बीच की कथित मिलीभगत को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारतीय स्टॉक निवेशक इस साजिश को समझ चुके हैं और इसका बाजार पर कोई असर नहीं पड़ा है। उन्होंने निवेशकों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी सतर्कता और समझदारी के कारण बाजार में स्थिरता बनी हुई है। प्रसाद ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी, उसके सहयोगियों और 'टूलकिट गिरोह' ने मिलकर भारत में आर्थिक अराजकता और अस्थिरता फैलाने की साजिश की है। पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री ने कांग्रेस पर "आर्थिक अराजकता" और "भारत के खिलाफ नफरत" फैलाने का भी आरोप लगाया।

निवेशकों का भरोसा शेयर बाजारों पर बरकरार-

वैश्विक शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख और विदेशी पूंजी प्रवाह के बीच, भारतीय घरेलू बाजारों ने शुरुआती गिरावट से उबरते हुए सोमवार को बढ़त दर्ज की। बीएसई का 30 शेयर वाला सूचकांक सेंसेक्स 400.27 अंक उछलकर 80,106.18 के स्तर पर पहुंच गया। एनएसई निफ्टी 105.3 अंक चढ़कर 24,472.80 पर रहा। इससे पहले सेंसेक्स 479.78 अंक गिरकर 79,226.13 अंक पर और निफ्टी 155.4 अंक फिसलकर 24,212.10 अंक पर आ गया था। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि वैश्विक और घरेलू आर्थिक स्थिति के बीच संतुलन बनाए रखते हुए भारतीय बाजार ने मजबूती के साथ कारोबार किया है।

हिंडनबर्ग के खिलाफ उठाए जाएंगे सख्त कदम: गिरिराज सिंह

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक बार फिर हिंडनबर्ग रिसर्च और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने कांग्रेस के साथ मिलकर भारत को बदनाम करने की साजिश रची है। सिंह ने स्पष्ट किया कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने राहुल गांधी और जयराम रमेश को देश को बदनाम करने वाला गिरोह बताया और कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया गया है। सिंह ने कहा, "हम अपने देश के खिलाफ इस तरह की साजिशों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। ऐसे लोग देश के दुश्मन हैं और उनके खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे।" उनके इस बयान से यह साफ हो गया है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और भविष्य में ऐसे मामलों पर कड़ा रुख अपनाने की तैयारी कर रही है।

निवेशकों को चिंता करने की जरूरत नहीं:मधु केला

MK वेंचर्स के फाउंडर मधु केला ने निवेशकों को आश्वासन दिया है कि वर्तमान स्थिति में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि बाजार जल्द ही स्थिर हो जाएगा। उन्होंने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इसे जारी करने से पहले रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर गंभीरता से विचार करना चाहिए था। पहली रिपोर्ट के बाद भी विशेष नुकसान नहीं हुआ और संबंधित ग्रुप ने मजबूती से वापसी की है। मधु केला का मानना है कि इस बार भी बाजार पर इस रिपोर्ट का कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।

सेंसेक्स-निफ्टी मामूली गिरावट के साथ हुए बंद-

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का शेयर बाजार पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। आज के कारोबार में सेंसेक्स के 30 में से 12 शेयरों में तेजी रही, जबकि 18 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। वहीं, निफ्टी के 50 में से 23 शेयरों में तेजी और 27 शेयरों में गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 57 अंकों की मामूली गिरावट के साथ 79,649 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 20 अंकों की गिरावट के साथ 24,347 पर बंद हुआ।

माधबी पुरी बुच का खंडन पूरी तरह से सही है : ED

सेबी और ईडी के पूर्व अधिकारी जे.एन. गुप्ता ने कहा कि माधबी पुरी बुच का खंडन पूरी तरह से सही है। उनके अनुसार, हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए सभी आरोप आधारहीन हैं। गुप्ता ने यह भी बताया कि सेबी में काम करने से पहले कुछ समय के लिए निवेश किया गया था। उन्होंने सवाल उठाया कि जब हम म्यूचुअल फंड्स (MFs) में निवेश करते हैं, तो क्या हम सभी निवेशकों की जानकारी लेते हैं? उनके बयान के अनुसार, माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं और सेबी के कार्यों पर संदेह करना अनुचित है।

 मामूली गिरावट के साथ बंद हुए सेंसेक्स-निफ्टी-

सेंसेक्स और निफ्टी मामूली गिरावट के साथ बंद हुए। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का शेयर बाजार पर विशेष प्रभाव नहीं देखा गया। आज के ट्रेड में सेंसेक्स के 30 में से 12 शेयरों में तेजी रही, जबकि 18 शेयर गिरावट के साथ बंद हुए। वहीं, निफ्टी के 50 में से 23 शेयरों में तेजी और 27 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। अंत में, सेंसेक्स 57 अंकों की गिरावट के साथ 79,649 पर और निफ्टी 20 अंकों की गिरावट के साथ 24,347 पर बंद हुआ।

अदाणी ग्रुप के शेयरों में  गिरावट के बाद सुधार-

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई थी। हालांकि, अब इनमें आंशिक सुधार देखने को मिल रहा है। सुबह 11:54 बजे तक अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस के शेयरों में 3.29% की गिरावट, अदाणी टोटल गैस में 4.32% की गिरावट, अदाणी पावर में करीब 2% की गिरावट और अदाणी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में 1.22% की गिरावट दर्ज की गई। शुरुआती कारोबार में शेयरों में अधिक गिरावट देखी गई थी, लेकिन अब उनमें आंशिक रूप से सुधार होने लगा है।

क्या अंतरराष्ट्रीय ताकतें अर्थव्यवस्था पर कर रही हैं हमला?

भाजपा नेता नलिन कोहली ने हाल ही में एक चिंता व्यक्त की है, जो कि भारतीय लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था की सुरक्षा से संबंधित है। उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी की रिपोर्ट बार-बार भारतीय राजनीति और न्यायपालिका के लिए चुनौती खड़ी कर रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब सुप्रीम कोर्ट को इस रिपोर्ट में कोई ठोस तथ्य नहीं मिले, तो इसे दरकिनार कर दिया गया था। इसके बावजूद, अब फिर से इस तरह की रिपोर्टें आ रही हैं, और वह भी ऐसे समय में जब संसद का सत्र चल रहा है। कोहली ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस स्थिति का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह सिर्फ संयोग है, या इसके पीछे वास्तव में अंतरराष्ट्रीय ताकतें भारतीय लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं? उनका मानना है कि इस बात की गंभीरता से जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने विपक्ष के नेता राहुल गांधी की भूमिका पर भी सवाल उठाया, यह पूछते हुए कि क्या राहुल गांधी को इस तरह की रिपोर्ट का समर्थन करना चाहिए? उन्होंने देश के सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे आत्ममंथन करें और एकजुट होकर देश को इन चुनौतियों से बचाने के लिए काम करें।

By Ankit Verma 

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