शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन जोरदार गिरावट दर्ज की गई। वैश्विक बाजारों में कमजोर रुझान और घरेलू कारणों के चलते निवेशकों में बेचैनी देखने को मिली, जिसके परिणामस्वरूप सेंसेक्स और निफ्टी दोनों प्रमुख सूचकांकों में भारी गिरावट आई। सेंसेक्स 1,017.23 अंक (1.23%) की गिरावट के साथ 81,183.93 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 292.95 अंक (1.17%) टूटकर 24,852.15 पर आ गया। बाजार में आई इस गिरावट से बीएसई का मार्केट कैप करीब 5 लाख करोड़ रुपये घट गया।
निवेशकों के 5 लाख करोड़ डूबे-
शुक्रवार को बाजार में बिकवाली का दौर जारी रहा, जिससे सेंसेक्स 1100 अंकों तक लुढ़क गया। इस गिरावट के कारण बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण में 5.3 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई, जिससे कुल बाजार पूंजीकरण घटकर 460.35 लाख करोड़ रुपये रह गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज, एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, एलएंडटी, इंफोसिस, आईटीसी, एचडीएफसी बैंक और एचसीएल टेक जैसी बड़ी कंपनियों के शेयरों में गिरावट ने सेंसेक्स को बड़ा झटका दिया।
सभी सेक्टर्स में गिरावट-
सेंसेक्स और निफ्टी के साथ-साथ सभी सेक्टोरल इंडेक्स भी लाल निशान पर बंद हुए। निफ्टी पीएसयू बैंक और ऑयल व गैस इंडेक्स में 2% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा, ऑटो, बैंकिंग, मेटल, मीडिया और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर के शेयरों में भी 1% तक की गिरावट देखने को मिली। स्मॉल-कैप इंडेक्स में 0.9% और मिड-कैप इंडेक्स में 1.3% की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, अशोका बिल्डकॉन के शेयरों में 6% की बढ़त देखने को मिली, जो उनकी सहायक कंपनी वीवा हाईवे द्वारा पुणे में एक जमीन की बिक्री के बाद आई।
अमेरिकी रोजगार आंकड़ों से पहले घबराहट-
अमेरिकी अर्थव्यवस्था से जुड़े प्रमुख रोजगार आंकड़ों के जारी होने से पहले निवेशकों के बीच घबराहट का माहौल रहा। निवेशक इस बात को लेकर चिंतित थे कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों पर क्या फैसला आएगा। रोजगार के कमजोर आंकड़े फेड को ब्याज दरों में कटौती की ओर ले जा सकते हैं, जिससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता की संभावना बनी हुई है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने हाल ही में कहा था कि श्रम बाजार में कमजोरी उनकी नीति पर असर डाल सकती है, जिससे निवेशकों की चिंता और बढ़ गई।
फेड की ब्याज दरों पर अनिश्चितता ने बढ़ाई बाजार की चिंता-
विश्लेषकों का मानना है कि अगर अमेरिकी रोजगार के आंकड़े उम्मीद से कमजोर आते हैं, तो फेड ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि अगस्त के रोजगार आंकड़ों के कमजोर रहने पर फेड 50 आधार अंकों की दर कटौती कर सकता है। हालांकि, इस कदम से बाजार में सकारात्मक प्रतिक्रिया की संभावना कम है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की संभावित सुस्ती और नौकरियों में कमी के संकेतों ने भी बाजार की नकारात्मक धारणा को मजबूत किया।
सेबी की नई नियमावली पर घबराहट, विदेशी निवेशक चिंतित-
घरेलू स्तर पर सेबी द्वारा एफआईआई डिस्कलोजर नॉर्म्स (FIIs Disclosure Norms) पर दी गई समय सीमा भी निवेशकों के बीच बेचैनी का एक कारण बनी। सेबी ने 9 सितंबर की डेडलाइन तय की है, जिसके चलते विदेशी निवेशकों में घबराहट देखी गई। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह नियमावली भारतीय बाजार के आकर्षण को प्रभावित नहीं करेगी, लेकिन अल्पकालिक निवेशकों के लिए यह चिंता का कारण बन रही है।
वैश्विक दबाव से बाजार पर नकारात्मक असर-
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी कमजोर संकेत देखने को मिले। अमेरिकी गैर-कृषि पेरोल डेटा के जारी होने से पहले वैश्विक बाजारों में सतर्कता का माहौल रहा। इसके अलावा, तेल की कीमतों में गिरावट ने भी बाजार पर नकारात्मक असर डाला। 14 महीने के निचले स्तर पर पहुंची तेल की कीमतों और कमजोर आर्थिक आंकड़ों से मंदी की आशंकाएं बढ़ गई हैं, जिससे निवेशकों की बेचैनी और बढ़ गई।
आगे का रुझान-
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले हफ्तों में अमेरिकी रोजगार आंकड़ों और फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों पर फैसले के बाद ही बाजार की दिशा स्पष्ट हो पाएगी। फिलहाल, वैश्विक बाजारों में जारी अस्थिरता और घरेलू चुनौतियों के चलते भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहने की संभावना है। निवेशकों को सतर्कता बरतने और दीर्घकालिक निवेश की रणनीति पर ध्यान देने की सलाह दी जा रही है।