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आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में मोदी सरकार 3.0 का पहला आम बजट पेश किया। लेकिन स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई, जिसकी उम्मीद आम जनता को थी। 85 मिनट के बजट भाषण में केवल एक बार 'हेल्थकेयर' शब्द का जिक्र हुआ। इस भाषण में स्वास्थ्य से जुड़ी बातों का लगभग अभाव रहा।
भारत में इलाज महंगा, पड़ोसी देशों से पिछड़ा-
भारत में इलाज का खर्च आम आदमी की जेब पर भारी पड़ता है, जबकि चीन और भूटान जैसे देशों में स्थिति कहीं बेहतर है। किसी भी देश के स्वास्थ्य तंत्र की मजबूती का पैमाना यह होता है कि इलाज का कितना खर्च सरकार वहन करती है और कितना लोगों को खुद उठाना पड़ता है। भारत में डॉक्टर की फीस, जांच और दवाओं पर सीमित सरकारी सब्सिडी के बाद भी लोगों को इलाज पर अपनी जेब से 50% खर्च करना पड़ता है, जो चिंता का विषय है।
इस बार भी वित्त मंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ी घोषणाओं के बजाय केवल कुछ दवाओं पर कस्टम ड्यूटी घटाने और उनकी कीमतों में मामूली कमी का वादा किया है। इस घोषणाओं की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं:
जीवन रक्षक दवाओं पर कस्टम ड्यूटी में राहत
स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी अन्य घोषणाएं
पिछले बजट की घोषणाएं: क्या हुआ असर?
पिछले बजट में Trastuzumab Deruxtecan, Osimertinib और Durvalumab जैसी कैंसर दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाई गई थी। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इससे इलाज के कुल खर्च में ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि दवाओं की लागत इलाज का केवल 25% हिस्सा होती है।
सरकार ने नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनाने का वादा किया था। हालांकि, अब तक 16 एम्स निर्माण की मंजूरी मिलने के बावजूद कोई भी पूरी तरह तैयार नहीं हुआ।
चौंकाने वाले आंकड़े: समय पर इलाज न मिलने से मौतें
हेल्थ बजट: UPA बनाम NDA सरकार
बड़े सुधारों की जरूरत
सरकार के मौजूदा घोषणाओं से स्वास्थ्य सेवाओं में त्वरित सुधार की उम्मीद कम है। बेहतर चिकित्सा सुविधाओं और बजट में वृद्धि की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 1 February, 2025, 1:14 pm
Author Info : Baten UP Ki