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खेती की इस खास तकनीक पर सरकार क्यों दे रही है इतना जोर? यूपी के अलावा इन राज्यों में भी किए जा रहे प्रयास

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धरने पर बैठ कर MSP की मांग करने वाले किसानों पर कभी पानी की बौछार तो कभी आंसू गैस के गोले दागने के आरोपों से घिरी सरकार ने हाल ही में जारी किए गए बजट में किसानों के लिए प्राकृतिक खेती के कांसेप्ट पर जोर दिया है। केन्द्रीय आम बजट में प्राकृतिक खेती से एक करोड़ किसानों को जोड़ने के प्रस्ताव के बाद प्रदेश में प्राकृतिक खेती के रफ्तार भरने की सम्भावना बढ़ गई है। जिसके बाद अब उत्तर प्रदेश के 49 जिलों में प्राकृतिक खेती शुरू कराने के प्रस्ताव को केन्द्र की हरी झंडी मिल सकती है। जिसके पीछे का कारण यह है कि बड़ा राज्य होने की वजह से प्रदेश को बजट में का बड़ा हिस्सा मिलने की सम्भावना है। 

49 जिलों में प्राकृतिक खेती कराने का प्रस्ताव-
 
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने प्रदेश के 49 जिलों में प्राकृतिक खेती यानी Natural Farming  शुरू कराने का एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज रखा है। यूपी में वर्तमान के प्रकृतिक खेती की स्थिति की बात करें तो बुंदेलखंड के सातों जिलों में ट्रायल के तौर पर राज्य सरकार ने करीब 22 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए तैयार किया है। कृषि विभाग के आंकड़े पर नजर डालें तो प्रदेश में सरकारी योजना के अलावा अन्य कई प्रयासों से यूपी के कुल 31 लाख हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के लिए चिन्हित किया गया है। इसमें से दो लाख हेक्टेयर में अलग से प्राकृतिक खेती को शुरू करा दिया गया है। इसी तरह प्रदेश के 42 कृषि विज्ञान केन्द्रों पर भी पिछले वर्ष से प्राकृतिक खेती का कार्यक्रम शुरू किया गया है। वहीं अब तक प्रदेश के तीन लाख से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षित किया गया है जबकि 74 जैविक कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) भी प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं। वहीं पूरे देश में कुल छह लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती शुरू की गई है और मात्र तीन वर्षों में इसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं।

प्राकृतिक खेती, खेती करने का एक ऐसा तरीका है जिसमें केमिकल युक्त खाद और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके बजाय, यह प्रकृति की अपनी प्रक्रियाओं पर निर्भर करती है, जैसे कि मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की गतिविधि, फसल चक्रण, और जैविक खाद का उपयोग।प्राकृतिक खेती में केमिकल्स की जगह कुछ प्रमुख चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि-

  • जैविक खाद:

गोबर, खाद, केंचुआ खाद आदि का उपयोग करके मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाया जाता है।

  • फसल चक्रण:

विभिन्न प्रकार की फसलों को एक ही खेत में बारी-बारी से उगाया जाता है जिससे मिट्टी की उपज लगातार बनी रहती है और कीटों का प्रकोप कम होता है।

  • हरी खाद:

कुछ पौधों को उगाकर और उन्हें मिट्टी में दबाकर मिट्टी की फसल पैदा करने की क्षमता बढ़ाई जाती है।

  • जैविक कीटनाशक: 

नीम के तेल, लहसुन, मिर्च आदि का उपयोग करके फसल में लगने वाले कीड़ों को नियंत्रित किया जाता है।
 
प्राकृतिक खेती से मिलने वाले फायदे-
 
मिट्टी की उर्वरता में सुधार: Natural Farming में जैविक खाद का उपयोग मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाता है, जिससे मिट्टी अधिक उपजाऊ होती है। साथ ही यह लंबे समय तक मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखने में मदद करता है।

  • पर्यावरण संरक्षण-

केमिकल युक्त खाद और कीटनाशकों के उपयोग से होने वाले पानी और मिट्टी के प्रदूषण को कम किया जा सकता है। यह जैव विविधता को बढ़ावा देता है और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।

  • स्वस्थ फसलें-

प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों में केमिकल नहीं होता है, जिससे वे अधिक स्वस्थ और पौष्टिक होती हैं।

  • किसानों की आय में वृद्धि-

लंबे समय में, Natural Farming से किसानों की इनकम में बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि उन्हें केमिकल फ़र्टिलाइज़र और कीटनाशकों पर कम खर्च करना पड़ता है।

  • जल संरक्षण-

प्राकृतिक खेती में फसल चक्र और अन्य तकनीकों का उपयोग करके जल संरक्षण किया जा सकता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: Natural Farming से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है क्योंकि इसमें स्थानीय संसाधनों का उपयोग किया जाता है और स्थानीय बाजारों को मजबूती मिलती है।

इन राज्यों में शुरू की गई प्राकृतिक खेती-

उत्तर प्रदेश के अलावा झारखण्ड, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश तथा तेलंगाना में भी प्राकृतिक खेती शुरू की गई है। इन राज्यों में वहां के किसानों को इस दिशा में काम करने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। हालांकि केन्द्र सरकार के स्तर से प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में अधिकारिक रूप से कोई कदम अभी नहीं उठाया गया है। अभी तक यह केवल राज्यों की ओर से ही प्रयास शुरू किया गया है। अब सवाल यह है कि जब किसानों को उनकी फसल के वाजिब दाम ही नहीं मिलेंगे तो क्या खेती का तरीका बदल देने से उन्हें लाभ हो सकेगा? लेकिन अब बजट में इसपर बात हुई है तो इससे किसानों को क्या फायदा होंगे यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। 

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