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क्यों भारत में नीलाम हो रहा पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का घर?

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पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के परिवार की जड़ें उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के कोताना गांव में हैं। बंटवारे के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था, लेकिन उनकी करीब 13 बीघा जमीन अब भी कोताना में मौजूद है। यह जमीन अब 'शत्रु संपत्ति' के रूप में चिह्नित की गई है। सरकार ने इस संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो 5 सितंबर को 'शत्रु संपत्ति अधिनियम' (Enemy Property Act) के तहत पूरी की जाएगी। इतिहास की धरोहर मानी जाने वाली यह जमीन अब बोली के लिए तैयार है, और जल्द ही एक नए मालिक के नाम होगी।

क्या होती है शत्रु संपत्ति?

शत्रु संपत्ति या एनिमी प्रॉपर्टी वह संपत्ति होती है जो देश के शत्रु की मानी जाती है। यहां 'शत्रु' से तात्पर्य उन लोगों से है जो अब पाकिस्तान और चीन के नागरिक बन चुके हैं। 1947 में भारत के विभाजन के दौरान हजारों लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए। उन्होंने अपने साथ चल संपत्तियां तो ले लीं, लेकिन अचल संपत्तियां जैसे- जमीन, मकान आदि भारत में ही छोड़ दीं। बाद में, भारत सरकार ने इन संपत्तियों को अपने नियंत्रण में ले लिया और इन्हें 'शत्रु संपत्ति' के रूप में घोषित कर दिया।शत्रु संपत्ति का एक अन्य रूप भी होता है, जब दो देशों के बीच युद्ध छिड़ जाता है और दुश्मन देश के नागरिक की कोई संपत्ति दूसरे देश में होती है, तो उस देश की सरकार उसे 'शत्रु संपत्ति' करार देकर अपने कब्जे में ले लेती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि युद्ध के दौरान दुश्मन देश इस संपत्ति का लाभ न उठा सके। उदाहरण के लिए, 1962 में भारत-चीन युद्ध और 1965 व 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, भारत ने एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट के तहत उनके नागरिकों की संपत्ति अपने कब्जे में ले ली थी।

विदेशों में भी अपनाई जाती है ये प्रक्रिया-

यह प्रक्रिया केवल भारत में ही नहीं अपनाई गई है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका और ब्रिटेन ने भी इसी तरह जर्मन नागरिकों की संपत्ति को अपने नियंत्रण में लिया था। शत्रु संपत्ति का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि युद्ध या द्वेष के समय में दुश्मन देश को किसी भी प्रकार से लाभ न मिल सके।

भारत में हैं इतनी शत्रु संपत्तियां- 

भारत में 12611 संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया है। इनकी कीमत एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने का अनुमान है। इनमें से 12485 संपत्तियां पाकिस्तान के नागरिकों की है, जबकि 126 संपत्तियां चीन के नागरिकों की है। वहीं उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 6255 शत्रु संपत्तियां हैं। उसके बाद 4088 संपत्तियां पश्चिम बंगाल में हैं।  

शत्रु संपत्ति का संरक्षण कस्टोडियन-

शत्रु संपत्ति के तहत जमीन, मकान, सोना, गहने, कंपनियों के शेयर और दुश्मन देश के नागरिकों की किसी भी दूसरी संपत्ति को कब्जे में लिया जा सकता है। शत्रु संपत्ति को बेचकर सरकार अब तक 3,400 करोड़ रुपये कमा चुकी है। इनमें से ज्यादातर गोल्ड जैसी चल संपत्ति है। शत्रु संपत्ति का संरक्षण कस्टोडियन ऑफ एनेमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया (CEPI) के पास है।  गृह मंत्रालय के मुताबिक, किसी भी शत्रु संपत्ति को बेचने से पहले डीएम या कमिश्नर की मदद से बेदखली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। एक करोड़ से कम कीमत की शत्रु संपत्ति के मामले में CEPI पहले कब्जा करने वाले को खरीदने की पेशकश करेगा और अगर इसे खारिज कर दिया जाता है तो इसका निपटारा गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के हिसाब से होगा।

कब लागू हुआ शत्रु संपत्ति कानून?

शत्रु संपत्ति कानून की बात करें तो 1965 की भारत-पाकिस्तान जंग के बाद 1968 में शत्रु संपत्ति कानून लागू किया गया था। इस कानून में समय-समय पर संशोधन होते रहे हैं। लेकिन सबसे अहम संशोधन 2017 में हुआ था। इस संशोधन ने शत्रु संपत्ति का दायरा भी बढ़ा दिया। इससे न केवल उन व्यक्तियों की संपत्ति शामिल की गई जो दुश्मन देश से हैं, बल्कि उनके वंशजों और उत्तराधिकारियों की संपत्ति भी शामिल है, जो भले ही भारत के नागरिक हों। इस संशोधन ने सरकार को शत्रु संपत्ति बेचने का भी अधिकार दिया, जिस पर पहले रोक थी। इतना ही नहीं, इस संशोधन ने शत्रु संपत्ति का मालिक 'कस्टोडियन' को बना दिया। इसे 1968 से प्रभावी भी माना गया। इसके अलावा अगर कोई भारतीय नागरिक किसी शत्रु संपत्ति को खरीदता है, तो वो उसे विरासत में किसी दूसरे को नहीं दे सकता। मसलन, अगर पिता ने शत्रु संपत्ति खरीदी है तो उस पर बच्चों का हक नहीं होगा।

परवेज मुशर्रफ का भारत से नाता-

परवेज मुशर्रफ के पिता मुशर्रफुद्दीन और माता बेगम जरीन, बागपत के कोताना गांव के ही निवासी थे। यह वही जगह है, जहां दोनों का विवाह हुआ था। बाद में, मुशर्रफुद्दीन दिल्ली में जाकर बस गए, जहां वर्ष 1943 में परवेज मुशर्रफ और उनके भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ का जन्म हुआ। बंटवारे के बाद, मुशर्रफ परिवार पाकिस्तान चला गया, लेकिन दिल्ली और कोताना में उनकी संपत्ति रह गई। कोताना में उनकी एक हवेली और खेती की जमीन थी, जो आज भी उस समय की गवाही देती है।

कितनी है परवेज मुशर्रफ की संपत्ति-

शत्रु संपत्ति के अंतर्गत आने वाली कोताना की इस संपत्ति को दो हिस्सों में बांटा गया है - खादर और बांगर। शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय ने बांगर क्षेत्र की संपत्ति की नीलामी शुरू की है। यह नीलामी ऑनलाइन हो रही है और पांच सितंबर तक पूरी हो जाएगी। इस संपत्ति के लिए लगभग 37.5 लाख रुपये की न्यूनतम बोली राशि तय की गई है। नीलामी के पूरा होने के बाद, नए खरीदार का नाम रिकाॅर्ड में दर्ज कर दिया जाएगा, जिससे मुशर्रफ परिवार का नाम हमेशा के लिए मिट जाएगा।

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