बड़ी खबरें

टी20 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम का ऐलान, संजू सैमसन-ऋषभ पंत को मिला मौका एक दिन पहले दिल्ली-NCR के 10 स्कूलों में ई-मेल से भेजी गई बम रखे होने की धमकी, स्कूलों को खाली कराकर मामले की जाँच शुरू 7 घंटे पहले आज रामलला के दर्शन करेंगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, सरयू पूजन और हनुमान आरती में भी होंगी शामिल 7 घंटे पहले उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी आज अयोध्या में करेंगे रोड शो, अयोध्या से भाजपा सांसद लल्लू सिंह के पक्ष में मांगेंगे वोट 7 घंटे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यूपी दौरा आज, बदायूं और आगरा में जनसभा को करेंगे संबोधित 7 घंटे पहले आज अमेठी-रायबरेली सीट पर प्रत्याशियों का ऐलान कर सकती है कांग्रेस, राहुल और प्रियंका गांधी के नाम को लेकर चर्चा तेज 7 घंटे पहले सीएम योगी का महाराष्ट्र दौरा आज, महाराष्ट्र की सोलापुर, सांगली और हातकणंगले में करेंगे जनसभा 7 घंटे पहले बरेली सेंट्रल जेल से पूर्व सांसद धनंजय सिंह हुए रिहा, रिहा होने के बाद कहा- मुझे फर्जी मुकदमे में हुई थी सजा 7 घंटे पहले कानपुर में शिक्षक भर्ती घोटाले में 2 पर एक्शन, अपर शिक्षा निदेशक और संयुक्त शिक्षा निदेशक ने एक-एक बाबू को किया निलंबित 7 घंटे पहले श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद पर हाईकोर्ट में आज होगी सुनवाई, एक और वाद हुआ दायर 7 घंटे पहले IPL 2024 के 48वें मैच में LSG की हुई जीत, लखनऊ सुपरजाइंट्स ने मुंबई इंडियंस को 4 विकेट से हराया 7 घंटे पहले

UPSC का हब बनने की दिशा में लखनऊ, सिविल सेवा में यूपी की हिस्सेदारी

Blog Image

(Special Story) देश की सबसे बड़ी परीक्षा जिसमें पूरे भारत से लाखों उम्मीदवार हिस्सा लेते हैं लेकिन सफल कुछ ही होते हैं। ऐसे में अगर कोई छोटे कस्बे से निकलकर उन मुट्ठीभर लोगो में अपनी जगह बनाए तो ये सफलता अपने आप में बहुत अहम हो जाती है। प्रतियोगी परीक्षाओं में सबसे कठिन परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में सफल होने की दर आमतौर पर 0.01 प्रतिशत से 0.2 प्रतिशत तक होती है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2023 का फाइनल रिजल्ट 16 अप्रैल को आ चुका है जिसमें कुल 1016 उम्मीदवारों ने इस बार अपनी जगह बनाई है। इन परिणामों में उत्तर प्रदेश ने प्रमुखता से  हिस्सेदारी की है। क्योंकि लखनऊ के आदित्य श्रीवास्तव ने इस परीक्षा में पहला  स्थान प्राप्त किया है। 

हैदराबाद में आईपीएस की ट्रेनिंग ले रहे आदित्य ने अपने तीसरे प्रयास में सिविल सेवा की परीक्षा में प्रथम स्थान लेकर सफलता का परचम लहराया है। जानकारी के मुताबिक सिविल सेवा परीक्षा में टॉप करने वाले आदित्य श्रीवास्तव की शुरुआती शिक्षा लखनऊ से ही हुई है। पिछले साल आदित्य श्रीवास्तव का आईपीएस में सिलेक्शन हुआ था और इस बार वह आईएएस टॉपर हैं। लखनऊ में आदित्य के माता-पिता और दादा जी रहते हैं  आदित्य के माता-पिता अब चाहते हैं कि वह देश के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दे और जनता के हित में अच्छे काम करे. आदित्य ने आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और वहीं से एमटेक किया है। इस बार के परिणामों में यूपी के कई छोटे शहरों के उम्मीदवारों का सिविल सर्विसेज में सेलेक्शन हुआ है। 

आदित्य के अलावा उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों से ताल्लुक रखने वालों ने भी बड़ा मुकाम हासिल किया है। इन अभ्यर्थियों ने ये दिखाया कि यदि संकल्प दृढ़ हो तो किसी भी लक्ष्य को आसानी से हासिल किया जा सकता है। छोटे शहरों और गांवों से निकले इन टॉपर्स की कहानी जब सभी तक पहुंचेगी तो सभी भावविभोर हो जाएंगे। आइए जानते हैं यूपी के इन होनहारों के बारे में....
 

नौशीन

नौशीन गोरखपुर की रहने वाली हैं और अपने चौथे प्रयास में सफल हुईं। गोरखपुर की नौशीन ने बिना कोचिंग के  9वीं रैंक हासिल की। नौशीन ने इस सफलता के बाद कहा- 'इसमें पैरेंट्स का रोल बहुत बड़ा है। जिंदगी को हंसी खुशी जीते हुए तैयारी करना जरूरी है। निराशा के साथ नहीं।

ऐश्वर्या प्रजापति- 
 
ऐश्वर्या प्रजापति UPSC टॉपर रैंक 10 यूपी की रहने वाली हैं। ये उनका दूसरा अटेंप्ट था। मेरा लक्ष्य 10वीं के बाद से ही एकदम क्लियर था। मूलरूप से यूपी के महाराजगंज की रहने वाली ऐश्वर्या ने 12वीं तक की पढ़ाई रानी लक्ष्मीबाई सीनियर सेकेंडरी स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने उत्तराखंड एनआईटी से बीटेक ( 2016-20 बैच) किया।

वरदाह खान-

यूपीएससी का परिणाम घोषित होने के बाद नोएडा में रहकर पढ़ाई करने वाली वरदाह खान ने 18वी रैंक हासिल की है। प्रयागराज की रहने वाली वरदाह खान नोएडा के सेक्टर-82 स्थित विवेक विहार में अपने रिश्तेदारों के यहां रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रही थीं। वह पहले प्रयास में प्री-टेस्‍ट पास नहीं कर पाईं, मगर दूसरे प्रयास में ये सफलता हासिल की है।

फरहीन जाहिद-

बांदा जिल में कोषागार से सेवानिवत्त छावनी निवासी हाजी जाहिद की बेटी फरहीन जाहिद का आईएएस में चयन हुआ है। फरहीन की 241वीं रैंक आई है। उनकी सफलता पर परिजन खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। पिछले साल फरहीन का चयन एसडीएम पद पर हुआ था। जिसकी ट्रेनिंग चल रही थी। देर रात तक फरहीन को लोग उनके घर पहुंच कर बधाई देते रहे।  

विवेक सिंह -

यूपी के गोंडा जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत विश्नोहरपुर गांव के रहने वाले विवेक सिंह ने तीसरी बार सिविल सर्विसेज परीक्षा में सफलता हासिल करके आईपीएस बने हैं। विवेक सिंह को ऑल इंडिया 256 रैंक मिली है।  विवेक सिंह ने पहली बार सिविल सर्विसेज की परीक्षा में प्री परीक्षा पास करके मेंस परीक्षा में सफलता नहीं पाई.  दूसरी बार विवेक सिंह ने प्री, मेंस भी पास कर लिया था लेकिन इंटरव्यू में सफलता नहीं मिली थी। और अब तीसरी बार तीनों पास करके विवेक सिंह ऑल इंडिया 256 वीं रैंक हासिल करके आईपीएस बने।
 
विशाल-

संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा परीक्षा 2023 के परिणाम घोषित कर दिए हैं। कानपुर में तैनात यूपी पुलिस में हेड कॉन्‍स्‍टेबल संजय दुबे के बेटे विशाल ने महज 22 साल की उम्र में 296वीं रैंक लाकर अपने परिवार का नाम रोशन कर दिया है। बेटे के आईपीएस बनने से हेड कॉन्‍स्‍टेबल पिता का सीना गर्व से फूला नहीं समा रहा है।

शिवम सिंह

शिवम सिंह ने यूपीएससी - 2023 में 877वीं रैंक हासिल की है। शिवम गोरखपुर के खजनी तहसील में एसडीएम के पद पर तैनात हैं। उन्‍होंने साल 2019 में यूपी पीसीएस परीक्षा पास करने के बाद गोरखपुर के चौरीचौरा के एसडीएम पद पर काम करना शुरू किया। 


फिलहाल यह तो बात हुई सिविल सेवा के परिणाम और टॉपर की। लेकिन इस परीक्षा की सफलता का सक्सेस रेट भले ही कम हो लेकिन हर साल करीब लाखों उम्मीदवार इस परीक्षा में अपनी किस्मत आजमाते हैं। ऐसे में उत्तरप्रदेश के उमीदवारों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह होती है की पढ़ाई की शुरुआत क्या दिल्ली से की जानी चाहिए या फिर लखनऊ से भी शुरुआत की जा सकती है क्योकि अब लखनऊ भी सिविल सर्विसेज का हब बनता जा रहा है। लखनऊ को सिविल सर्विसेज का हब कहने के पीछे कुछ कारण हैं जिनकों समझना आवश्यक है- 

1.सेलेक्शंस की संख्या 

सबसे पहले हम बात करते हैं नंबर ऑफ़ सलेक्शन्स की UPSC -2023 की परीक्षा में अकेले लखनऊ से ही लगभग 20 उम्मीदवारों का सिविल सर्विसेज में सलेक्शन हुआ। जिसकी वजह से भी हम यह कह सकते हैं कि लखनऊ अब तेजी से सिविल सर्विसेज के हब के रूप में विकसित हो रहा है। 

2.कम खर्चा 

अब हम बात करते हैं तैयारी के दौरान आने वाले ख़र्च की .... जब कोई छात्र सिविल सेवा की तैयारी के लिए दिल्ली का रुख करता है तो उसके कुछ कारण होते हैं जैसे की दिल्ली के कुछ ख़ास इलाके जिनमें की मुखर्जी नगर,ओल्ड राजिंदर नगर, करोल बाग और इसके आसपास के इलाके शामिल हैं। ये इलाके यूपीएससी कोचिंग सेंटरों के हब है। जहाँ कई नामी कोचिंग संस्थान मौजूद है। इन कोचिंग संस्थानों के सलाना अनुमानित टर्नओवर की अगर बात करें तो वह करीब 3000 करोड़ रुपये से अधिक है। जिसके पीछे का कारण है वहाँ लगने वाली महंगी फीस। मुख्य विषय के तौर पर गिने जानेवाले सामान्य अध्ययन की 10 महीने की कोचिंग फ़ीस करीब 1 लाख 20 हजार से 1 लाख 80 हजार रुपये तक होती है। इसके अलावा अधिकांश छात्र वैकल्पिक विषय की कोचिंग भी लेते हैं। जिसकी फ़ीस 10 से 50 हज़ार तक रहती है। दिल्ली में कोचिंग करने वाले एक उम्मीदवार की अगर सिर्फ फीस फीस जोड़ दें तो एक साल का खर्च करीब तीन लाख रुपये तक पहुंच जाता है। अब बात करते हैं रहने और खाने की दिल्ली में बिना खिड़की वाले बॉक्स जैसे कमरों का किराया करीब 7 से 23 हज़ार तक हो सकता है और इनको ढूढ़ने के लिए भी आपको ब्रोकर का चार्ज अलग से देना होगा। वही कमरा अगर आप लखनऊ के अलीगंज और कपूरथला में लेना चाहे तो यहाँ आपको इसके लिए सिर्फ 3 से 5 हजार रूपये तक ही चुकाने पड़ेंगे।

3.कोचिंग्स की उपलब्धता
 
तीसरा तर्क है लखनऊ में कोचिंग्स की उपलब्धता आज के समय में लखनऊ के कपूरथला और अलीगंज के इलाके भी किसी कोचिंग हब से कम नहीं हैं। यहाँ भी ध्येय IAS जैसे प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों के साथ-साथ कई और भी कोचिंग उपलब्ध हैं और इनमे भी अमूमन वहीं फैकल्टी पढ़ाने आते है जो दिल्ली की कोचिंग में पढ़ाते है। वहीं अगर फीस की बात की जाए तो लखनऊ में उन्हीं कोचिंग्स की फीस करीब 1 लाख 20 हजार के आसपास रहती है यानि करीब 50 से 60 हजार तक की सीधी बचत देखने को मिलती है। 

4.पूर्वी उत्तर प्रदेश और सीमावर्ती बिहार से लखनऊ की कनेक्टिविटी

लखनऊ का सिविल सर्विसेज हब बनने के पीछे एक कारण यह भी है कि लखनऊ पूर्वी उत्तर प्रदेश और सीमावर्ती बिहार के लिए पास का ही शहर है। वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत भर में 12 से 13 प्रतिशत छात्र मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और व्यवहार संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं। जिसका एक कारण यह भी है की अधिकांश छात्र घर से दूर रहते है और पढ़ाई के तनाव के कारण वह नए शहर में नए दोस्त भी नहीं बना पाते हैं। वहीं अगर यूपी के उमीदवारों की बात की जाए तो अगर कोई लखनऊ में रहकर अपनी तैयारी करता है तो वह अपने घर वालो व दोस्तों से मिलजुल भी सकता है, क्योकि कनेक्टिविटी की अगर बात की जाए तो बाकि जिलों से भी लखनऊ आसानी से पहुँचा जा सकता है। दूसरी ओर कई छात्राओं के लिए दिल्ली जाना सुरक्षा के लिहाज से बहुत मुश्किल होता है, उनके घर वाले उन्हें दिल्ली जाने की अनुमति नहीं देते है या फिर और भी कई व्यक्तिगत और सामाजिक कारण हो सकते है तो ऐसे में लखनऊ लड़कियों की तैयारी के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

5.लाइब्रेरी एवं अध्ययन सामग्री जैसी अन्य चीजों की उपलब्धता

वहीं कम खर्च के अलावा लखनऊ और भी सुविधाओं के मामले में अब बेहतर बनता जा रहा है जैसे की अगर आप एकांत में पढ़ना ज्यादा पसंद करते है और पढ़ाई के महौल के लिए कुछ पढ़ने वाले छात्रों के साथ समय बिताना चाहते है तो लाइब्रेरी आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकता है। लखनऊ में भी अब 24 घंटे लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध है। जिनकी फीस करीब 1000 से 1200 रूपये फुल डे के लिए होती है। अब लखनऊ में अध्ययन सामग्री जैसी अन्य चीजें भी आसानी से उपलब्ध है।

इस बात में कोई शक नहीं है की अब लखनऊ भी सिविल सर्विसेज का हब बन रहा है और सिविल सेवाओं की तैयारी के लिए दिल्ली जाना भी जरूरी नहीं है। बताई गयी सभी बातों पर अगर हम गौर करें तो इससे यह बात तो स्पष्ट है कि सिविल सेवा की तैयारी के लिए दिल्ली जाना जरूरी नहीं है। लखनऊ विश्वविद्यालय और IIM जैसी प्रतिष्ठित संस्थान के होने से समानांतर अकादमिक उपलब्धियां भी हासिल की जा सकती हैं। जिन सुविधाओं के लिए हम दिल्ली जाना चाहते है वहीं सब सुविधाऐं उसी क्वालिटी में हमें लखनऊ में भी आसानी से मिल सकती हैं।

अन्य ख़बरें