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जमीनी विवादों से बचने के लिए जरूर बनाव लें यह कार्ड!

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देशभर की अदालतों में पेंडिंग केसों को लेकर हालही में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में जवाब दिया। कानून मंत्री के लिखित जवाब के अनुसार, भारत की विभिन्न अदालतों में पांच करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में पेंडिंग हैं। जानकारी के अनुसार यूपी की अदालतों 1.18 करोड़ से अधिक केस लंबित पड़े हैं। इनमें से अधिकतर मामले जमीनी विवाद से जुड़े हुए हैं। वहीं आपने भी अक्सर कई बार जमीनी विवाद से जुड़े ऐसे मामलों के बारे में भी सुना होगा जिनमें दो पक्षों के बीच खूनी संघर्ष जैसी घटनाएं सामने आती हैं। जिनमें कई बार कई लोग बिन मौत मारे भी जाते हैं। लेकिन हालही में केंद्र सरकार ने एक पहल शुरू की है जिससे जमीन से जुड़े विवादों के कम होने की संभावना है। 

बजट में किसानों के लिए कई बड़े ऐलान-

दरअसल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में किसानों के लिए कई बड़े ऐलान किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में भूमि सुधारों को लागू करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करेगी। इस दौरान उन्होंने भू-आधार (ULPIN) का भी जिक्र किया। इस भू-आधार के लागू होने पर जमीन के मालिकाना हक स्पष्ट होंगे और जमीन संबंधी विवादों में कमी आएगी। बता दें कि भू-आधार एक 14-अंकों की यूनिक पहचान संख्या है। इसे डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम(डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम – डीआई-एलआरएमपी) के तहत भारत में प्रत्येक भूमि भूखंड को जारी किया जाता है। 

भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली-

इस प्रक्रिया में पहले जीपीएस तकनीक का उपयोग करके जमीन की सटीक भौगोलिक स्थिति को जियोटैग किया जाता है। इसके बाद, ज़मीन की सीमाओं का भौतिक सत्यापन और माप किया जाता है। भूमि मालिक का नाम, उपयोग श्रेणी यानि उस जमीन का उपयोग किस काम में किया जा रहा है, क्षेत्र आदि विवरण इक्क्ठे किए जाते हैं और इन सबको भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली में दर्ज किया जाता है। सिस्टम के माध्यम से 14 अंकों की भू-आधार संख्या तैयार की जाती है, जो डिजिटल रिकॉर्ड से जुड़ी होती है। यह भू-आधार, आधार कार्ड की तर्ज पर, राज्य कोड, जिला कोड, उप जिला कोड, गांव कोड और भूखंड की विशिष्ट आईडी संख्या जैसी जानकारी शामिल करता है। यह संख्या डिजिटल और भौतिक भूमि रिकॉर्ड दस्तावेज़ पर अंकित होती है। 

भूमि का सटीक मानचित्रण

भू-आधार योजना के तहत भूमि का सटीक मानचित्रण और रिकॉर्ड सुनिश्चित किया जाता है, जिससे भूमि विवादों में कमी आती है। यह आधार कार्ड से लिंक  होने पर भूमि अभिलेख तक ऑनलाइन पहुंच प्रदान करता है, जिससे भूखंड के पूरे इतिहास और स्वामित्व विवरण को ट्रैक किया जा सकता है। इससे नीति निर्माण के लिए सरकार को सटीक भूमि डेटा प्राप्त होता है, जो निर्णय लेने में सहायक होता है। भूमि की पहचान संख्या के साथ-साथ सर्वे, मैपिंग, मालिकाना हक और किसानों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इससे किसानों को लोन लेने में भी आसानी होगी।

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