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'प्लग एंड प्ले' और 'वॉक-टू-वर्क' की सुविधा से लैस होंगे यूपी के ये दो शहर, युवाओं के लिए भी खुलेगा रोजगार का पिटारा

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केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के आगरा और प्रयागराज में दो नए औद्योगिक स्मार्ट सिटी स्थापित करने की योजना की घोषणा की है, जिससे प्रदेश में 87 हजार से अधिक युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। आगरा में बनने वाली औद्योगिक स्मार्ट सिटी से लगभग 70 हजार युवाओं को नौकरी मिलेगी, जबकि प्रयागराज की औद्योगिक स्मार्ट सिटी से 17 हजार से अधिक युवाओं को रोजगार का लाभ होगा। इन औद्योगिक शहरों में लेदर, इलेक्ट्रिक वाहन, और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टरों में प्रमुख रूप से रोजगार के अवसर विकसित किए जाएंगे, जो प्रदेश के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाएंगे।

औद्योगिक स्मार्ट सिटी का असर-

इन दो नए औद्योगिक स्मार्ट सिटी के बनने से आगरा और प्रयागराज के साथ-साथ आसपास के जिलों के उद्योगों को भी इसका लाभ मिलेगा। ये दोनों औद्योगिक शहर ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के किनारे स्थित हैं, जिससे आसपास के जिलों के मैन्युफैक्चर्ड गुड्स को पोर्ट तक आसानी से पहुंचाया जा सकेगा। विशेष रूप से आगरा से सटे फिरोजाबाद के ग्लास प्रॉडक्ट्स और कन्नौज के इत्र उद्योग को इसका विशेष लाभ मिलेगा। प्रयागराज के निकट भदोही के कारपेट उद्योग को भी इन नए शहरों से लाभ होने की संभावना है। बेहतर कनेक्टिविटी और फ्रेट कॉरिडोर की वजह से परिवहन लागत में कमी आएगी, जिससे उत्पादकों को सीधा फायदा होगा।

आगरा इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी की कनेक्टिविटी-

  • सड़क मार्ग से दूरी:

    • यमुना एक्सप्रेस-वे: 2 किलोमीटर
    • एनएच-19: 2 किलोमीटर
  • रेल मार्ग से दूरी:

    • कुबेरपुर हाल्ट: 3 किलोमीटर
    • टूंडला: 18 किलोमीटर
    • आगरा कैंट: 21 किलोमीटर

प्रयागराज इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी की कनेक्टिविटी:

  • सड़क मार्ग से दूरी:

    • एनएच-35: प्रॉजेक्ट से सटा हुआ
    • एनएच-30: 10 किलोमीटर
  • रेल मार्ग से दूरी:

    • नैनी: 5 किलोमीटर
    • प्रयागराज जंक्शन: 16 किलोमीटर

28 हजार करोड़ रुपये का अनुमानित निवेश-

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 28,602 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से 10 राज्यों में 12 नए औद्योगिक शहरों की स्थापना को मंजूरी दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश के दो शहर- आगरा और प्रयागराज भी शामिल हैं। इस परियोजना के माध्यम से प्रयागराज के स्थानीय कौशल को इंडस्ट्रियल ढांचे में शामिल किया जाएगा, जिससे लोकल स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। वहीं, आगरा के चमड़ा उद्योग को भी इस योजना से नई दिशा मिल सकती है।

औद्योगिक परिदृश्य में बदलाव-

केंद्र सरकार का यह कदम देश के औद्योगिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। इस पहल से औद्योगिक क्षेत्र और शहरों का एक मजबूत नेटवर्क तैयार होगा, जो आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस अहम फैसले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (NICDP) के तहत 28,602 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से 12 नए परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दी है।

विनिर्माण क्षमताओं में वृद्धि-

इन औद्योगिक शहरों की स्थापना की योजना छह प्रमुख गलियारों के निकट की गई है, जो देश की विनिर्माण क्षमताओं और आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन औद्योगिक शहरों की स्थापना की योजना वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में पेश की गई थी, जिसमें घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए राज्यों और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में औद्योगिक पार्कों की स्थापना का ऐलान किया गया था।

आठ औद्योगिक शहरों का कार्यान्वयन-

वर्तमान में, इस तरह के आठ औद्योगिक शहर पहले से ही कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। चार शहरों- धोलेरा (गुजरात), ऑरिक (महाराष्ट्र), विक्रम उद्योगपुरी (मध्य प्रदेश) और कृष्णपट्टनम (आंध्र प्रदेश) में उद्योगों के लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा, अन्य चार शहरों में बुनियादी ढांचे के निर्माण की प्रक्रिया भी चल रही है। अब देश में 12 नए औद्योगिक शहरों की घोषणा के साथ इस तरह के शहरों की कुल संख्या 20 हो जाएगी। इस पहल से देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ने और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है।

कुछ इस तरह होंगी स्मार्ट इंडस्ट्रियल सिटी-

  • 'वॉक-टू-वर्क' की सुविधाएं-

स्मार्ट इंडस्ट्रियल सिटी को अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ इस तरह से विकसित किया जाएगा कि वे 'प्लग एंड प्ले' और 'वॉक-टू-वर्क' की सुविधाएं प्रदान करें। 'प्लग एंड प्ले' का अर्थ है कि उद्यमियों को मैन्युफैक्चरिंग के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं एक ही स्थान पर मिलेंगी, जिससे उन्हें केवल उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना होगा। 'वॉक-टू-वर्क' का मतलब यह है कि श्रमिक अपने आवास से पैदल चलकर ही अपने कार्यस्थल तक पहुंच सकेंगे, जिससे उन्हें वाहन या सार्वजनिक परिवहन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

  • मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर

इन स्मार्ट इंडस्ट्रियल सिटी में श्रमिकों के आवास और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को एक ही क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा, जिससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी। ये शहर अत्याधुनिक संसाधनों से सुसज्जित होंगे, जो औद्योगिक गतिविधियों को सुगम बनाएंगे। प्रधानमंत्री की गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान के अंतर्गत, इन शहरों में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा, जिससे लोगों, सामान और सेवाओं का आवागमन बाधा रहित हो।

  • निवेशकों को नहीं होगी कोई परेशानी

इन स्मार्ट इंडस्ट्रियल सिटी में निवेशकों को जमीन खोजने की आवश्यकता नहीं होगी, न ही उन्हें लैंड यूज में परिवर्तन या औद्योगिक यूनिट्स लगाने के झंझट में पड़ना होगा। राज्य सरकारें उद्योगों के लिए तमाम सुविधाओं से युक्त जमीन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी लेंगी, जिससे निवेशकों को बिना किसी परेशानी के अपनी औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने का अवसर मिल सके।

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