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एक छोटे से गाँव में एक बच्चा अपनी दादी से कहानियाँ सुनता था। दादी कभी हिंदी, कभी भोजपुरी, तो कभी संस्कृत के श्लोकों में कहानियाँ सुनातीं। बच्चे ने एक दिन पूछा, “दादी, आप इतनी भाषाएँ कैसे जानती हैं?” दादी ने मुस्कुराकर कहा, “हर भाषा एक खज़ाना है, जो तुम्हारे जीवन को समृद्ध बनाता है।” यह कहानी काल्पनिक हो सकती है, लेकिन हमारी भाषाई और सांस्कृतिक विविधता वास्तविकता है। इसी अनमोल विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार ने 'भारतीय भाषा उत्सव-2024' का आयोजन किया। यह उत्सव 4 दिसंबर से शुरू होकर 11 दिसंबर तक पूरे सप्ताह चला।
उत्सव की थीम: 'भाषाओं के माध्यम से एकता'-
इस वर्ष की थीम 'भाषाओं के माध्यम से एकता' थी। इसका उद्देश्य बच्चों को मातृभाषाओं और क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति प्रेम और सम्मान विकसित करना था। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह ने उद्घाटन करते हुए कहा, "भारत अपनी भाषाई विविधता के लिए जाना जाता है। यह उत्सव बच्चों को राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक समृद्धि से जोड़ने का प्रयास है।"
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भाषाई विकास-
यह आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अंतर्गत भाषाई शिक्षा को बढ़ावा देने की पहल का हिस्सा था। एनईपी मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाने की सिफारिश करती है, जिससे बच्चों में भाषाई कौशल, सांस्कृतिक समझ और आत्मविश्वास बढ़ता है।
कार्यक्रम की शुरुआत: 'भाषा और प्रकृति का सामंजस्य'-
उत्सव के पहले दिन का विषय था 'भाषा और प्रकृति का सामंजस्य'। बच्चों ने भारतीय भाषाओं में शब्द लिखकर ‘भाषा वृक्ष’ बनाया और पर्यावरण से जुड़ी कविताएँ प्रस्तुत कीं। मातृभाषा में प्रकृति भ्रमण के दौरान अपने अनुभव साझा किए। इस गतिविधि ने बच्चों को प्रकृति और भाषा के बीच गहरे संबंध का एहसास कराया।
सप्ताह भर के कार्यक्रम: विविधता का उत्सव-
पूरे सप्ताह उत्सव में विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जैसे:
इसके अलावा, बच्चों ने मातृभाषा में कहानी लेखन, क्षेत्रीय कविताओं का मंचन, और भाषाई खेलों में हिस्सा लिया।
भाषाओं की विविधता: भारत की आत्मा-
कार्यक्रम का मुख्य संदेश था कि हर भाषा विशेष है। हिंदी, भोजपुरी, तमिल, पंजाबी, मराठी या अन्य कोई भी भाषा—ये सभी हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा हैं। आयोजन में भाषाओं को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में प्रस्तुत किया गया।
बच्चों में राष्ट्रीय एकता और गर्व का भाव-
‘भारतीय भाषा उत्सव-2024’ ने न केवल बच्चों को उनकी मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं से जोड़ा, बल्कि उनमें राष्ट्रीय एकता और गर्व का भाव भी विकसित किया। बच्चों ने महसूस किया कि भाषाएँ न केवल संवाद का माध्यम हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान की अभिव्यक्ति भी हैं।
उत्सव का समापन: भाषाई समृद्धि का संदेश-
उत्सव के समापन पर बच्चों ने सीखा कि भाषाएँ हमें एकजुट करती हैं। यह आयोजन भारत की भाषाई विविधता और समृद्धि को सम्मानित करने का अनूठा उदाहरण बना। ‘भारतीय भाषा उत्सव-2024’ एक प्रेरणादायक पहल के रूप में याद रखा जाएगा, जिसने बच्चों को उनकी मातृभाषा से जोड़ा और राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया।
Baten UP Ki Desk
Published : 12 December, 2024, 2:30 pm
Author Info : Baten UP Ki