उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों की ग्रेडिंग कराने का निर्णय लिया है। यह ग्रेडिंग कॉलेजों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं, शिक्षा और शोध की गुणवत्ता के आधार पर की जाएगी। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने इस महत्वपूर्ण पहल की घोषणा की और बताया कि इसका उद्देश्य प्रदेश में मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर को ऊंचा उठाना है, ताकि यहां के निवासियों को बेहतर सेवाएं मिल सकें और राज्य की चिकित्सा व्यवस्था को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ढाला जा सके।
मेडिकल कॉलेजों में हो रहा व्यापक सुधार
स्वास्थ्य सेवाओं और मेडिकल शिक्षा में सुधार की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को समझने के लिए हमें प्रदेश के मौजूदा हालात पर गौर करना होगा। उत्तर प्रदेश में 2017 से पहले मात्र 17 मेडिकल कॉलेज थे। इन कॉलेजों में न तो पर्याप्त संसाधन थे और न ही आधुनिक चिकित्सा उपकरण। लेकिन सरकार की प्रतिबद्धता और योजनाबद्ध रणनीतियों के चलते, आज प्रदेश में 65 मेडिकल कॉलेज स्थापित हो चुके हैं और ये सभी अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्यरत हैं।
इसके साथ ही, हर मेडिकल कॉलेज में पैरा मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों की भी स्थापना की जा रही है। इसका उद्देश्य है कि इन संस्थानों से प्रशिक्षित हो रहे छात्र-छात्राओं को न सिर्फ बेहतर शिक्षा मिले, बल्कि वे मेडिकल सेवाओं में भी एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया से कराई जाएगी ग्रेडिंग
उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी मेडिकल कॉलेजों की ग्रेडिंग क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया (QCI) से कराने का निर्णय लिया है। QCI एक स्वायत्त निकाय है, जो विभिन्न संगठनों, संस्थानों और कंपनियों की गुणवत्ता की जांच और उन्हें प्रमाणित करने का काम करता है। यह संस्था विभिन्न मानकों पर आधारित जांच करती है, जिनमें सेवाओं की गुणवत्ता, शोध, शिक्षा, और उपकरणों की आधुनिकता जैसे कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल होते हैं।
QCI के माध्यम से मेडिकल कॉलेजों की ग्रेडिंग कराने का उद्देश्य है कि हर कॉलेज की वास्तविक स्थिति का आकलन हो सके और उनकी आवश्यकताओं को समझा जा सके। इससे यह भी स्पष्ट होगा कि किस कॉलेज को किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है और कहां पर संसाधनों की कमी है।
राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में हो रहा परिवर्तन
राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे सुधार कार्य सिर्फ मेडिकल कॉलेजों तक सीमित नहीं हैं। सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में भी बड़े स्तर पर सुधार हो रहे हैं। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने बताया कि प्रदेश में 25,000 से अधिक सब सेंटर हैं, जहां हर दिन लगभग 1.75 लाख मरीजों को निःशुल्क इलाज मिल रहा है। यह आंकड़ा राज्य की चिकित्सा सेवाओं की पहुंच और उनके प्रभाव का प्रमाण है।
इसके साथ ही, सरकारी अस्पतालों में हर दिन 5,000 से अधिक मरीजों का निःशुल्क ऑपरेशन भी किया जा रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि गरीब और जरूरतमंद लोग भी उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठा सकें, राज्य सरकार ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
आयुष्मान भारत योजना का प्रभाव
प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना के तहत अब तक 4.86 करोड़ से अधिक लाभार्थियों का पंजीयन हो चुका है। यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य है कि देश के हर नागरिक को मुफ्त और उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सेवाएं मिल सकें। इस योजना के तहत, गरीब परिवारों को हर साल 5 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य बीमा सुविधा दी जाती है, जिससे वे बड़ी बीमारियों के इलाज के लिए आर्थिक रूप से सक्षम हो सकें।
आयुष्मान योजना के माध्यम से प्रदेश के लाखों परिवारों ने गंभीर बीमारियों का इलाज कराया है। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने बताया कि इस योजना के तहत राज्य सरकार ने अस्पतालों में उच्च गुणवत्ता की सेवाएं सुनिश्चित की हैं, ताकि योजना के लाभार्थियों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
सुधार की दिशा में उठाए गए अन्य कदम
राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों की गुणवत्ता को सुधारने के लिए कई अन्य कदम भी उठाए हैं। केजीएमयू, एसजीपीजीआई, और लोहिया संस्थान जैसे प्रमुख मेडिकल संस्थानों में अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण लगाए जा रहे हैं। इन उपकरणों के माध्यम से मरीजों को बेहतर और सटीक इलाज मिल सकेगा। इसके अलावा, अस्पतालों में कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है ताकि हर मरीज को समय पर उचित ध्यान मिल सके।
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने बताया कि सरकार ने मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में कर्मचारियों की ट्रेनिंग के लिए भी विशेष प्रबंध किए हैं। नए उपकरणों के इस्तेमाल के लिए डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि अस्पतालों में जो भी नई तकनीकें और उपकरण लगाए जा रहे हैं, उनका सही और प्रभावी इस्तेमाल हो।
मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार
मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। हर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ शोध पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। शोध के क्षेत्र में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए सरकार ने विशेष बजट आवंटित किया है। इसके तहत, कॉलेजों में रिसर्च लैब्स का निर्माण किया जा रहा है, जहां छात्रों और शिक्षकों को उच्च गुणवत्ता की शोध सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके अलावा, सरकार ने मेडिकल शिक्षा में डिजिटल तकनीकों का भी समावेश किया है। ऑनलाइन कोर्सेज, वेबिनार्स, और वर्चुअल क्लासेज के माध्यम से छात्रों को शिक्षा का एक नया और आधुनिक अनुभव दिया जा रहा है।