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'ब्रह्मर्षि देश' से लेकर आज के उत्तर प्रदेश तक, जानिए इतिहास की गौरवमयी यात्रा...

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उत्तर प्रदेश का इतिहास न केवल भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का अहम हिस्सा है, बल्कि यह एक रोचक और गौरवमयी यात्रा की गवाही भी देता है। प्राचीन वैदिक काल में इसे 'ब्रह्मर्षि देश' या मध्य देश के नाम से जाना जाता था, जहां कई महान ऋषियों ने जीवन और ज्ञान की साधना की। भारत के पवित्र ग्रंथों की रचना और महाकाव्य रामायण और महाभारत की प्रेरणा भी इसी प्रदेश से मिली। ऋषि भारद्वाज, गौतम, याज्ञवल्क्य, वशिष्ठ, विश्वामित्र और वाल्मीकि जैसे महात्माओं ने इस भूमि को सम्मानित किया और यहां अपने ज्ञान से समाज को दिशा दी।

मुग़ल और अंग्रेजी काल में प्रशासनिक बदलाव-

मुग़ल काल में उत्तर प्रदेश को क्षेत्रीय आधार पर विभाजित किया गया। अंग्रेजों के शासन में, आगरा और अवध को एक संयुक्त प्रांत के रूप में मिलाया गया और इसे 'आगरा और अवध का संयुक्त प्रांत' कहा गया। 1935 में इसे छोटा कर 'संयुक्त प्रांत' का नाम दिया गया।

स्वतंत्रता के बाद: उत्तर प्रदेश का अस्तित्व-

भारत की स्वतंत्रता के बाद, 24 जनवरी 1950 को भारतीय गवर्नर जनरल ने 'यूनाइटेड प्राविंसेज (आल्टरेशन आफ नेम) आर्डर 1950' को मंजूरी दी, जिसके तहत इस प्रांत का नाम 'उत्तर प्रदेश' रखा गया। यही वह दिन था, जब 'यूनाइटेड प्राविंसेज' से उत्तर प्रदेश का रूप सामने आया।

कांग्रेस का प्रस्ताव: 'आर्यावर्त' या 'हिंद'?

एक दिलचस्प घटना यह थी कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश का नाम 'आर्यावर्त' रखने का प्रस्ताव रखा था। यह प्रस्ताव जीबी पंत ने संविधान सभा के सामने रखा था, लेकिन इसे अस्वीकृत कर दिया गया। संविधान सभा में वोटिंग हुई, और 'हिंद' नाम को 22 वोट मिले, जबकि 'आर्यावर्त' को 106 वोट मिले। उस समय, मध्य प्रांत के सदस्य आरके सिधवा ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के सदस्य खुद को भारत का सर्वोच्च प्रांत साबित करना चाहते हैं। इस पर डॉ. आंबेडकर ने उत्तर प्रदेश के सदस्यों को 'उत्तर प्रदेश' के नाम पर सहमति देने के लिए राजी किया।

उत्तर प्रदेश का भूत, वर्तमान और भविष्य-

उत्तर प्रदेश की यात्रा के इस दौर में कई परिवर्तनों का सामना किया गया। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य बनाया गया। हालांकि, उत्तर प्रदेश ने हमेशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि, धार्मिक धरोहर, और सामाजिक योगदान के जरिए अपनी विशेष पहचान बनाई है। आज भी यह राज्य भारत के प्रमुख राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्रों में से एक है। उत्तर प्रदेश का इतिहास आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है, और यह राज्य न केवल भारतीय इतिहास का हिस्सा है, बल्कि भविष्य में भी अपनी विशेष पहचान बनाने के लिए पूरी तरह से सक्षम है।

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