बड़ी खबरें

कर्नाटक हाईकोर्ट से केएससीए को मिली बड़ी राहत, अदालत ने दंडात्मक कार्रवाई पर लगाई रोक 4 घंटे पहले कनाडा पीएम ने मोदी को G7 समिट का भेजा न्योता 3 घंटे पहले मस्क की कंपनी स्टारलिंक को टेलीकॉम मिनिस्ट्री की मिली मंजूरी 3 घंटे पहले

UP ने की 50% टैक्स हिस्सेदारी की मांग! क्या बदलना चाहिए केंद्र-राज्य राजस्व बंटवारा मॉडल?

Blog Image

उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को केंद्रीय करों में प्रदेश की हिस्सेदारी 41% से बढ़ाकर 50% करने की मांग की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष प्रो. अरविंद पनगढ़िया के बीच हुई अहम बैठक में प्रदेश सरकार ने अपनी मांगों के साथ-साथ राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का विस्तृत रोडमैप भी पेश किया। यह बैठक राजधानी लखनऊ के लोकभवन में आयोजित की गई, जहां यूपी सरकार ने विकास योजनाओं, वित्तीय मांगों और आर्थिक प्रदर्शन के विभिन्न पहलुओं को आयोग के समक्ष विस्तार से रखा।

50% हिस्सेदारी की मांग पर मंथन

वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने बैठक के बाद प्रेसवार्ता में बताया कि 22-23 राज्यों ने अपनी-अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 50% करने की मांग रखी है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह मांग "बहुत ज्यादा" है और इस पर अंतिम निर्णय आयोग बाद में लेगा। आयोग की सिफारिशें 2026-27 से 2030-31 तक लागू होंगी। अभी राज्यों को 41% और केंद्र को 59% कर हिस्सेदारी प्राप्त होती है।

मानकों में संशोधन की मांग

यूपी सरकार ने आयोग से वित्तीय वितरण मानकों में बदलाव की भी मांग की है। सरकार की ओर से प्रस्तुत सुझावों में शामिल हैं:

  • इनकम डिस्टेंस क्राइटेरिया: 45% यथावत रखने की मांग

  • जनसंख्या का क्राइटेरिया: 15% से बढ़ाकर 22.50% करने का प्रस्ताव

  • भौगोलिक क्षेत्रफल: 15% से घटाकर 10%

  • जनसांख्यिकीय प्रदर्शन: 12.50% से घटाकर 7.50%

  • वन क्षेत्र: 10% से घटाकर 5%

  • कर संग्रहण प्रयास: 2.50% से बढ़ाकर 10%

यूपी सरकार का कहना है कि इन संशोधनों से राज्य को उसकी आर्थिक जरूरतों के अनुरूप न्यायोचित वित्तीय सहायता मिल सकेगी।

आयोग ने की यूपी सरकार की सराहना

प्रो. पनगढ़िया ने यूपी सरकार की योजनाओं और आर्थिक अनुशासन की सराहना करते हुए कहा कि, “उत्तर प्रदेश बहुत अच्छी तरह से संचालित राज्य है।” उन्होंने कहा कि प्रदेश का कर संग्रह जीएसडीपी के अनुपात में देश में सबसे अधिक है, और इसका राजकोषीय घाटा सामान्य सीमा में है। साथ ही ऋण-से-जीडीपी अनुपात भी प्रबंधनीय स्तरों में है।

एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर

बैठक में यूपी सरकार ने अपने 'एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था' के लक्ष्य को लेकर तैयार किया गया रोडमैप भी आयोग के सामने रखा। इसमें औद्योगिक निवेश, अवसंरचना विकास, रोजगार सृजन, डिजिटल पहलें और कृषि क्षेत्र में नवाचार जैसी रणनीतियाँ शामिल हैं।

 

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें