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यूपी के इन जिलों में इस योजना के कार्यों की ड्रोन से होगी पैनी निगरानी, परखी जाएगी कार्यों की गुणवत्ता

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उत्तर प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत किए जा रहे कार्यों की अब ड्रोन तकनीक से निगरानी की जाएगी। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है, जिससे योजना की गुणवत्ता पर कड़ी नजर रखी जा सके। ड्रोन के जरिए की जा रही वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी से कार्यों की पारदर्शिता और सही क्रियान्वयन को सुनिश्चित किया जाएगा।

सीतापुर, हरदोई और शाहजहांपुर में टीम की सक्रियता-

इस तकनीकी पहल के तहत अब ड्रोन निगरानी टीम सीतापुर, हरदोई और शाहजहांपुर जिलों में सक्रिय हो गई है। इन जिलों की 20-20 ग्राम पंचायतों में 2023-24 के दौरान मनरेगा योजना के अंतर्गत कराए गए कार्यों की समीक्षा की जाएगी। राज्य मुख्यालय से भेजी गई टीम इन पंचायतों का दौरा करेगी और ड्रोन के माध्यम से वीडियो और तस्वीरें इकट्ठा करेगी ताकि योजना के तहत हुए कार्यों की वास्तविकता को परखा जा सके।

तकनीकी जागरूकता पर जोर-

ग्राम्य विकास विभाग का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी जागरूकता बढ़ाने पर है। ग्राम्य विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने निर्देश दिया है कि सीतापुर, हरदोई और शाहजहांपुर में मनरेगा के तहत हुए कार्यों की निगरानी ड्रोन से कराई जाए। इस प्रक्रिया में संबंधित जिलों के मुख्य विकास अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे ड्रोन टीम को सहयोग देने के लिए अपने अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करें।

पारदर्शिता और गुणवत्ता के लिए तकनीकी समाधान-

ग्रामीण विकास कार्यों में तकनीक का इस्तेमाल पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। ड्रोन तकनीक के माध्यम से मनरेगा जैसे योजनाओं में हो रहे कार्यों की सही तस्वीर सामने आ सकेगी और अनियमितताओं पर तुरंत रोक लगाई जा सकेगी। यह कदम न केवल कार्य की निगरानी को आसान बनाएगा, बल्कि स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों के बीच विश्वास भी बढ़ाएगा।

भविष्य में और जिलों में विस्तार की संभावना-

सीतापुर, हरदोई और शाहजहांपुर में सफल निगरानी के बाद इस पहल को अन्य जिलों में भी लागू किए जाने की योजना है। ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए यह ड्रोन निगरानी भविष्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जिससे मनरेगा के तहत चल रही योजनाओं का सही आकलन हो सके।

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