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भाजपा के लिए सेमीफाइनल जैसा है ये उपचुनाव, क्या BJP ढूंढ पाएगी सपा के पीडीए फॉर्मूले की काट?

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उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है। 13 नवंबर को होने वाले मतदान के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति तैयार कर ली है। समाजवादी पार्टी (सपा) के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले की काट निकालने के लिए भाजपा ने अपनी योजना तैयार की है, जिसमें वह 9 में से 8 सीटों पर दलित और पिछड़े वर्ग के चेहरों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। भाजपा इस उपचुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल मान रही है और हर हाल में जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है।

पीडीए फॉर्मूले को चुनौती देने की तैयारी-

भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि सपा के पीडीए फॉर्मूले को मात देने के लिए जातीय समीकरणों पर ध्यान देना होगा। इसके लिए पार्टी ने हर सीट के जातीय समीकरणों का विश्लेषण किया है और पिछड़े एवं दलित वर्ग के मजबूत चेहरों को प्राथमिकता दी है। भाजपा का उद्देश्य है कि इन वर्गों के दिलों में अपनी जगह बनाई जाए और उनके वोट को सपा के पाले में जाने से रोका जाए।

भ्रम मिटाकर इंडिया गठबंधन को पटखनी देने की योजना-

भाजपा की यह रणनीति सिर्फ उपचुनाव की जीत पर केंद्रित नहीं है, बल्कि यह 2024 के लोकसभा चुनाव में आई सीटों की कमी से जनता में पैदा हुए भ्रम को भी दूर करने की कोशिश है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि उपचुनाव के नतीजे अगर उनके पक्ष में रहे तो यह जनता के मन से विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का प्रभाव खत्म करने में मददगार होगा। भाजपा की योजना है कि हर सीट पर जातिगत समीकरणों को साधते हुए ऐसी स्थिति बनाई जाए कि उपचुनाव में भाजपा को शत-प्रतिशत सफलता मिल सके।

दलित-पिछड़ों पर फोकस, सामान्य वर्ग को भी मिलेगा मौका-

पार्टी की रणनीति के अनुसार, 9 में से 8 सीटों पर दलित और पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को उतारने की योजना है, ताकि सपा के पीडीए फॉर्मूले की काट निकाली जा सके। हालांकि, एक सीट पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को भी मौका दिया जा सकता है। पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा हो चुकी है, और हर सीट के जातिगत समीकरण के आधार पर ही उम्मीदवारों का चयन होगा। भाजपा यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उपचुनाव में पिछड़े और दलित मतदाताओं का समर्थन हासिल किया जाए।

सपा को टक्कर देने के लिए भाजपा की आक्रामक रणनीति-

भाजपा की इस आक्रामक रणनीति का मकसद सपा को हर मोर्चे पर टक्कर देना है। सपा के पीडीए फॉर्मूले ने पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने की कोशिश की है, लेकिन भाजपा का मानना है कि दलित और पिछड़े वर्ग के मजबूत उम्मीदवारों के जरिए वह इस फॉर्मूले की काट निकाल सकती है।

भाजपा के लिए सेमीफाइनल जैसा है ये उपचुनाव-

भाजपा इस उपचुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मान रही है। पार्टी के शीर्ष नेताओं की दिल्ली में हुई बैठक में यूपी संगठन की ओर से भेजे गए प्रत्याशियों के नामों पर गंभीरता से विचार किया गया है। यह उपचुनाव भाजपा के लिए सिर्फ एक राजनीतिक मुकाबला नहीं है, बल्कि 2027 के लिए एक मजबूत नींव तैयार करने का मौका है। भाजपा की इस रणनीति का परिणाम 23 नवंबर को नतीजों के रूप में सामने आएगा, जब यह साफ होगा कि सपा के पीडीए फॉर्मूले के सामने भाजपा की जातिगत गणित कितनी कारगर रही।

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