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6 लाख शिक्षकों का विरोध, बैकफुट पर आई सरकार , अब 2 महीने तक पोस्टपोन, क्या है वजह

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उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के स्कूलों में शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह निर्णय शिक्षकों के लगातार विरोध के बाद लिया गया है, जिनकी संख्या करीब 6 लाख है। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की है, जो अगले 2 महीनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित-

यूपी के मुख्य सचिव ने आज शिक्षक संगठनों के साथ बैठक की। इसमें प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा शानमुगम, डीजी स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा और महिला शिक्षक संघ की अध्यक्ष सुलोचना मौर्या मौजूद रहीं। बैठक के बाद डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित करने का आदेश जारी हुआ।

 6 लाख शिक्षक कर रहे थे विरोध प्रदर्शन-

योगी सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में 8 जुलाई से शिक्षकों की बायोमेट्रिक हाजिरी का आदेश जारी किया। इसके बाद शिक्षक सड़क पर उतर गए और धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। सरकार ने आधे घंटे का अतिरिक्त समय दिया। तकनीकी दिक्कत आने पर कभी भी हाजिरी लगाने की छूट दी, लेकिन शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा। इसके बाद योगी सरकार ने यह फैसला लिया है। यूपी में प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा मित्र से लेकर टीचर तक की संख्या 6 लाख 9 हजार 564 है।

सरकार के पीछे हटने की वजह-

भाजपा के कई सांसदों और विधायकों ने डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित करने के लिए सरकार को पत्र लिखा था। कहा था- इससे माहौल खराब हो रहा है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और शिक्षकों के हित में फैसला लेना चाहिए। बरेली सांसद छत्रपाल गंगवार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। कहा- शिक्षकों की गरिमा और विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए डिजिटल अटेंडेंस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए।

क्या हैं विरोध के कारण?

शिक्षक संघों का कहना है कि डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली में कई तकनीकी खामियां हैं, जो उनकी उपस्थिति दर्ज करने में समस्याएं उत्पन्न कर रही थीं। इससे शिक्षकों को न केवल मानसिक तनाव हो रहा था, बल्कि उनकी वेतन और प्रमोशन पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ रहा था। शिक्षक संघों ने सरकार से इस प्रणाली को तुरंत बंद करने की मांग की थी और इसके लिए कई बार धरना-प्रदर्शन भी किया।

सरकार का निर्णय-

राज्य सरकार ने शिक्षकों के विरोध को गंभीरता से लेते हुए इस मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली के फायदों और नुकसानों का मूल्यांकन करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि क्या इस प्रणाली को सुधारने की आवश्यकता है या इसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाए। इस बीच, शिक्षकों की उपस्थिति पारंपरिक तरीकों से दर्ज की जाएगी।

क्या है शिक्षकों की प्रतिक्रिया?

सरकार के इस निर्णय से शिक्षक संघों में खुशी की लहर दौड़ गई है। उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष ने कहा, "हम सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि कमेटी निष्पक्ष जांच करेगी। हमारा मानना है कि शिक्षक अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी से निभाते हैं और उन्हें इस प्रकार की डिजिटल प्रणाली के कारण मानसिक तनाव में नहीं डालना चाहिए।"

सरकार का क्या होगा अगला कदम?

कमेटी अगले दो महीनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिसमें यह सिफारिशें की जाएंगी कि क्या डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली को जारी रखना चाहिए या इसे बंद कर दिया जाना चाहिए। इसके बाद सरकार इस पर अंतिम निर्णय लेगी।

कब निकलेगा मामले का स्थायी समाधान?

उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्णय शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है। डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली की खामियों के कारण शिक्षक काफी परेशान थे, लेकिन अब उम्मीद है कि कमेटी की रिपोर्ट के बाद इस मामले का स्थायी समाधान निकल आएगा। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि शिक्षकों की भलाई और शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता को बनाए रखना उसकी प्राथमिकता है।

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