उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग ने राज्य के लगभग 15,000 ग्रामीण स्कूलों को शहरी कैडर में शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी है। यह कदम हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद उठाया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को राहत प्रदान करना और स्कूलों की दशा में सुधार लाना है। इस बदलाव से नगरीय सुविधाओं का लाभ इन स्कूलों तक पहुंच सकेगा, जो अब तक सिर्फ नाममात्र में शहरी सीमा का हिस्सा थे।
कैसे शुरू हुआ यह बदलाव?
कैडर बदलने की मांग:
लखनऊ और गोरखपुर के कुछ शिक्षकों ने अपने स्कूलों को शहरी कैडर में बदलने की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस पर कोर्ट ने शिक्षकों को शहरी और ग्रामीण कैडर के बीच विकल्प चुनने का आदेश दिया। शिक्षा विभाग अब इस निर्देश का पालन करते हुए सभी संबंधित स्कूलों का कैडर बदलने की प्रक्रिया पर विचार कर रहा है। इसका मतलब यह हो सकता है कि न केवल लखनऊ और गोरखपुर, बल्कि पूरे प्रदेश में ग्रामीण से शहरी सीमा में आए स्कूलों का कैडर बदला जाएगा।
शहरी और ग्रामीण कैडर में अंतर
समस्याओं का सामना:
2018 से 2022 के बीच नगरीय निकायों की सीमाओं का कई बार विस्तार हुआ। इस प्रक्रिया में कई ग्रामीण स्कूल शहरी सीमा के अंदर आ गए, लेकिन उनका कैडर अभी भी ग्रामीण ही बना रहा। परिणामस्वरूप, ये स्कूल न तो पूरी तरह ग्रामीण सुविधाएं पा सके, और न ही शहरी सुविधाओं का लाभ उठा सके। शिक्षक लंबे समय से इस समस्या का समाधान चाहते थे।
कैडर बदलने से शिक्षकों और स्कूलों पर प्रभाव
शिक्षकों के लिए राहत:
कैडर बदलने से शिक्षकों को तबादला संबंधी लाभ मिल सकेंगे। शहरी कैडर में आ जाने पर इन स्कूलों के शिक्षक नगर क्षेत्र के अन्य स्कूलों में भी स्थानांतरित किए जा सकेंगे। इस बदलाव से उन नगर स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर की जा सकेगी, जहां पहले से ही स्टाफ की भारी कमी है।
स्कूलों की दशा में सुधार:
शहरी सीमा में आने के बावजूद, इन स्कूलों में स्वच्छता, मिड-डे मील (MDM), और अन्य जरूरी सुविधाएं अभी तक ग्राम प्रधानों के जिम्मे थीं। प्रधानों ने शहरी सीमा में आने के बाद इन कामों को बंद कर दिया था, जबकि नगर निकायों ने स्कूलों का कैडर ग्रामीण होने का हवाला देकर इन सुविधाओं को मुहैया कराने से मना कर दिया। कैडर बदलने के बाद, ये स्कूल पूरी तरह शहरी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे और छात्रों को बेहतर शिक्षा वातावरण मिल सकेगा।
विवादों की संभावना: वरिष्ठता का मसला
विवाद की आशंका:
कैडर बदलने के साथ ही वरिष्ठता के मुद्दे पर भी विचार किया जा रहा है। यदि ग्रामीण से शहरी सीमा में आए स्कूलों के शिक्षकों की वरिष्ठता पुराने आधार पर रखी जाती है, तो पहले से नगर क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों के बीच असंतोष पैदा हो सकता है। इसलिए, शिक्षा विभाग इस संभावना पर भी विचार कर रहा है कि इन शिक्षकों की वरिष्ठता नए सिरे से आंकी जाए।
आगे की राह: शिक्षकों का विकल्प
विकल्प चुनने का मौका:
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जो शिक्षक शहरी कैडर में बने रहना चाहते हैं, उन्हें यह विकल्प चुनने की स्वतंत्रता दी जाएगी। वहीं, जो शिक्षक ग्रामीण कैडर में रहना चाहते हैं, उनका तबादला ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में कर दिया जाएगा। इस प्रक्रिया से कैडर बदलाव में पारदर्शिता आएगी और शिक्षकों को अपनी सुविधा के अनुसार चुनाव करने का अवसर मिलेगा।
शिक्षा प्रणाली में आएगा सुधार
आगे की योजना:
15,000 स्कूलों का शहरी कैडर में आना केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं है, बल्कि इससे पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की उम्मीद है। नगर क्षेत्रों में स्कूलों की कमियों को पूरा करने और ग्रामीण से शहरी सीमा में आए स्कूलों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में यह निर्णय एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
शिक्षकों के लिए नई उम्मीदें-
शिक्षा विभाग का यह कदम उन स्कूलों और शिक्षकों के लिए नई उम्मीदें लेकर आया है, जो लंबे समय से कैडर बदलने की मांग कर रहे थे। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह प्रक्रिया कितनी जल्दी और किस प्रकार से लागू होती है, ताकि छात्रों और शिक्षकों को इसका पूर्ण लाभ मिल सके।